अब नहीं होंगी 1 लाख भर्तियां? अभी तक 1 भी पद तय नहीं, आचार संहिता लग गई तो टूट जाएगा सरकारी नौकरी का सपना

 

इसी साल फरवरी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट रिप्लाई के दौरान ये घोषणा की थी, जो अब पूरी होती नहीं दिख रही है। क्योंकि सरकार के किसी भी विभाग ने अभी तक एक भी पद तय नहीं किया है, जिसपर भर्ती होनी है।

भर्तियां करने वाले राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी-अजमेर) और कर्मचारी चयन बोर्ड (जयपुर) के पास सरकार ने अब तक किसी नए पद की भर्ती की अभ्यर्थना नहीं भेजी है। कार्मिक विभाग द्वारा एक लाख पदों की विस्तृत जानकारी सभी विभागों से दो बार मांगी जा चुकी है, लेकिन विभागों से अभी तक यह जानकारी नहीं मिली है।

अब इस बारे में 30 मई को मुख्य सचिव उषा शर्मा एक उच्च स्तरीय बैठक लेंगी। मामले में जल्द फैसला इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि भर्तियों के पदों की विभागवार घोषणा नहीं होने के विरोध में देश के सभी राज्यों के प्रमुख बेरोजगार संगठनों की ओर से जयपुर में 7 जून को एक राष्ट्रीय महासम्मेलन आयोजित होने वाला है।

8 चरण पूरे के बाद हो सकती है भर्ती

सरकारी विभागों में भर्तियां केवल घोषणा कर देने भर से नहीं होती। इसके पूरे आठ चरण हैं। इनमें से सरकार ने अभी एक चरण भी पूरा नहीं किया है। निजी क्षेत्र की मल्टीनेशनल कम्पनियों में जहां भर्ती प्रक्रिया एक घंटे में भी पूरी हो सकती है, वहीं सरकारी विभागों में भर्तियों को पूरा होने में एक से दो वर्ष और कभी-कभी उससे भी ज्यादा समय लगता है।

घोषणा : किसी भी भर्ती का पहला चरण होता है कि राज्य सरकार या संबंधित विभाग किसी भर्ती की घोषणा करे।

पद तय : घोषणा के अनुसार उस भर्ती के लिए विभाग में पद तय किए जाते हैं कि किस श्रेणी के पद पर कितनी भर्तियां की जानी हैं। उदाहरण के लिए पुलिस विभाग में कितने काॅन्स्टेबल के पद हैं और कितने सब इंस्पेक्टर के।

वित्तीय मंजूरी : संबंधित विभाग रिक्त पदों और कुल आवश्यक पदों का ब्योरा बनाकर वित्त विभाग के पास भेजता है और उन पदों के लिए वित्तीय मंजूरी मांगता है। वित्त विभाग उनमें से जितने पदों की आ‌वश्यकता को उचित समझता है, उतने पदों को मंजूरी देता है। वित्त विभाग कई बार पदों को पूरी तरह से खत्म भी कर देता है। फिर उन पर कोई भर्ती नहीं हो पाती है।

प्रशासनिक मंजूरी : वित्त विभाग से मंजूरी मिलने के बाद पदों पर भर्ती के लिए राज्य सरकार से प्रशासनिक मंजूरी मांगी जाती है। ऐसा स्वायत्तशाषी कहे जाने वाले विश्वविद्यालयों, बोर्ड-निगमों, मंडलों, आयोगों आदि को भी करना पड़ता है।

भर्ती एजेंसी तय करना : वित्तीय व प्रशासनिक मंजूरी के बाद भर्ती कौन सी एजेंसी (आरपीएससी, कर्मचारी चयन बोर्ड या विभाग खुद) करेगी तय की जाती है।

एजेंसी को अभ्यर्थना भेजना : विभाग सभी तरह की मंजूरियां लेने के बाद आरपीएससी या कर्मचारी चयन बोर्ड को अपनी अभ्यर्थना भेजता है कि किन पदों पर कौन सी भर्तियां करनी हैं।

भर्ती एजेंसी की प्रक्रिया शुरू : सबके अंत में भर्ती एजेंसी अपना काम करती है, जिसमें विज्ञापन जारी करने, आवेदन पत्र जमा करने, भर्ती के लिखित परीक्षा-साक्षात्कार, परिणाम जारी करने जैसे काम होते हैं।

एजेंसी भर्ती का परिणाम सरकार को भेजती है : परीक्षा परिणाम जारी करने के बाद अंतिम रूप से चयनित उम्मीदवारों की सूची भर्ती एजेंसी विभाग और सरकार के पास भेजती है। फिर संबंधित चयनित युवा सरकार में भर्ती होता है।

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