रोहित सेठ
वाराणसी। सृष्टि के आरंभकाल से आजतक पत्रकारिता अपनी महती भूमिका निभाकर समाज को पथभ्रष्ट होने से बचाकर सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे रही है।सृष्टि के प्रथम पत्रकार भगवान नारद जी को माना गया है।भगवान नारद जी बिना लाग लपेट के देवताओं से लेकर असुरों तक को अनीति,अन्याय और अधर्म के प्रति सावधान करते रहे हैं।जिन्होंने इनका कहना माना उन्हें प्रतिष्ठा मिली और जिन्होंने नहीं माना उनका विनाश हुआ।आज के पत्रकार भगवान नारद जी के प्रतिनिधि हैं।कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो आज भी पत्रकार समाज और राष्ट्र के उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और इनकी स्वीकार्यता भी है।आम जन से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग,शासक,प्रशासक,नेता,अभिनेता,किसान,मजदूर तक प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़कर अथवा टेलीविजन को देखकर देश,दुनिया की खबरों से अवगत होते हैं।पत्रकारिता के वर्चस्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मंत्री से लेकर संतरी तक कोई गलत काम करते समय सशंकित रहते हैं कि कहीं मीडिया वाले न आ जाएं।कई लोग मीडिया के डर से सबूत मिटाने लगते हैं।भ्रष्टाचारी को यदि किसी से भय होता है तो पत्रकारों से।कारण भ्रष्टाचारियों का एक तंत्र विकसित हो चुका है जो शासन एवम प्रशासन में दीमक की तरह लग चुका है।ऐसी विषम परिस्थिति में पत्रकारिता ही उम्मीद की किरण बचती है।इसी पत्रकारिता ने बड़े से बड़े घोटालों,जुर्म का पर्दाफाश किया है।यदि पत्रकारिता भी लोभ,लालच अथवा दबाव में आ जाए तो समाज और देश का भगवान ही मालिक है।वर्तमान समय में पत्रकारिता में गिरावट अनुभव की जा रही है जो चिंता का विषय है।पत्रकार भाइयों,बहनों से अपेक्षा है कि वे अपने नैतिक धर्म का पालन करें और राष्ट्र हित में निष्पक्ष पत्रकारिता को प्राथमिकता दें। रीता जोशी