अलविदा तनाव शिविर में मनाया अलौकिक जन्मोत्सव – परमात्मा शिव प्रजापिता ब्रह्मा के तन में अवतरित हो सुना रहे ज्ञान मुरली: पूनम
फतेहपुर। परमपिता परमात्मा की लोक कितनी महिमा गाते हैं तो जरूर उन्होने इस सृष्टि पर आकर कोई दिव्य कर्तव्य किया होगा। पिता बन पालना दी होगी, शिक्षक बन ज्ञान दिया होगा, सदगुरू बन सबकी सदगति की होगी। इसके लिए प्रजापिता ब्रह्मा की जीवन कहानी जाननी होगी। जिन्होने अपना संपूर्ण जीवन परमात्मा के कार्यों के लिए समर्पित कर दिया। उक्त बातें इंदौर से आई तनावमुक्ति विशेषज्ञा ब्रह्माकुमारी पूनम बहन ने आयोजित नौ दिवसीय निःशुल्क अलविदा तनाव शिविर के सातवें दिन के सत्र में परमात्मा अवतरण विषय के अंतर्गत कही।
उन्होने कहा कि उनको सिंध हैदराबाद में सभी दादा लेखराज कहते थे। वे बचपन से बहुत सरल स्वभाव व मधुर व्यवहार के धनी थे। दादा लेखराज के पिता प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर थे। बचपन में ही मां गुजर गई और कुछ वर्षों बाद पिता का भी देहांत हो गया। उनका पालन पोषण उनके चाचा के यहां हुआ। दादा उनके अनाज के व्यापार में सहयोग करने लगे। बाद में सोने चांदी का व्यापार शुरू कर देखते ही देखते बहुत बड़े ज्वेलर्स बन गये। राजा महाराजाओं से भी इनका व्यापार होता था। सन 1936 में 60 वर्ष की आयु में शाम के समय वे मुंबई के बबूलनाथ मंदिर में बैठे थे। जहां उन्हें विष्णु चतुर्भुज का दर्शन हुआ। इसके बाद वे खोए-खोए रहने लगे। उसके कुछ समय बाद बनारस में अपने दोस्त के बंगले में बैठे थे। वहां उन्होने महाविनाष का साक्षात्कार किया। ब्रह्माकुमारी ने आज का स्प्रीचुअल इंजेक्शन दिया। मैं भगवान का हूं, भाग्यवान हूं, मुझ जैसा भाग्यवान इस सृष्टि पर कोई और नहीं। मेरा मिलन भगवान से हो गया। उन्होने मेडिटेशन के माध्यम से तनाव, चिंता, बोझ परमात्मा को समर्पण कराया तथा खुशी, आनंद, प्रेम, शांति की अनुभूति करवाई। कल (आज) संसार नाटक का ज्ञान देकर महाविजय उत्सव मनाया जायेगा।