वर्तमान परिदृश्य में पुरानी पेंशन लागू करने की आदर्श स्थिति: आलोक – आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक दृष्टि से सरकार के लिए होगा बेहतर
फतेहपुर। देश में कार्यरत शिक्षक व कर्मचारियों के लिए पेंशन अनिवार्य और उनके सुखद जीवन का आधार है। यह व्यवस्था आज से नहीं बल्कि अंग्रेजों के समय से चली आ रही है। पुरानी पेंशन नीति बंद होने पर पेंशन एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है। चालू वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की अधिक वृद्धिदर हासिल करने की ओर अग्रसर है। वर्तमान परिदृश्य में पुरानी पेंशन लागू करने की आदर्श स्थिति है और यह सरकार के लिए आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक दृष्टि से बेहतर होगा।
यह बात उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष आलोक शुक्ला ने कही। उन्होने कहा कि आजादी के बाद सन 1965 में सेंटर सर्विसेज रूल्स को लागू किया गया। आजाद देश में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की गई। वर्ष 2004 में केंद्र सरकार ने पहले से चली आ रही पुरानी पेंशन व्यवस्था को समाप्त कर दिया। इसके स्थान पर नई पेंशन व्यवस्था एनपीएस लागू कर दिया। कुछ राज्यों को छोड़कर देश के अधिकांश राज्यों ने इस व्यवस्था को स्वीकार कर लिया। अब देश के कर्मचारियों को एनपीएस के अंतर्गत काम करना पड़ रहा है। एनपीएस पूरी तरह दोषपूर्ण व कर्मचारियों के दीर्घकालिक हितों की अनदेखी करने वाला है। जिसके अंतर्गत कर्मचारियों के वेतन का दस प्रतिशत उनके प्रान खाते में जमा होता है। वर्तमान सरकार द्वारा कर्मचारियों के वेतन का चौदह प्रतिशत प्रान खाते में जमा किया जाता है। कुल मिलाकर चौबीस प्रतिशत घनराशि विभिन्न फंड मैनेजरों द्वारा निवेश किया जाता है। इससे प्राप्त होने वाले प्रतिफल से ही कर्मचारियों को पेंशन देने की व्यवस्था है। नई पेंशन व्यवस्था के अंतर्गत कर्मचारी की सेवानिवृत्त के पश्चात उसके प्रान खाते में संचित धनराशि का 60 प्रतिशत निकाले जाने की व्यवस्था है। शेष 40 प्रतिशत धनराशि बीमा कम्पनियों के एन्यूटी प्लान खरीदने के लिए प्रयुक्त होता है। इस धनराशि से प्राप्त ब्याज ही कर्मचारियों को पेंशन के रूप में प्राप्त होता है। उन्होने कहा कि वर्ष 2004 में जब राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली एनपीएस लागू किया गया तब देश की अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुजर रही थी। वर्तमान में अर्थव्यवस्था मजबूती की तरफ अग्रसर है। सकल स्थिर पूंजी निर्माण अप्रैल से जून के महीने में 34.7 प्रतिशत बढ़ा है जो पिछले 10 वर्षों में सबसे अधिक है। इस सकारात्मक संकेतकों के बीच कर्मचारियों की पेंशन एक बड़ा मुद्दा बनकर उभर रहा है। कई राज्यों व दलों द्वारा कर्मचारी संगठनों व कर्मचारियों की सक्रियता के कारण पेंशन को लागू करने की बात कही जा रही है। सरकार को लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को स्थापित करते हुए मजबूत आर्थिक व्यवस्था का लाभ कर्मचारियों को देना हितकर होगा। इससे आर्थिक स्थिरता और वैश्विक मंदी के खतरों से देश को मुक्ति भी मिलेगी। इसलिए पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू किए जाने की यह आदर्श स्थिति है।