अल्लीपुर के राजकीय रेशम फार्म का डीएम ने किया निरीक्षण – रेशम कीटपालकों से कीटपालन संबंधी ली जानकारी
फतेहपुर। रेशम विकास विभाग के राजकीय रेशम फार्म अल्लीपुर का जिलाधिकारी श्रुति ने निरीक्षण किया। उन्होंने फार्म पर अर्जुन नर्सरी, वर्मी कम्पोस्ट यूनिट एवं मनरेगा कनर्वेजेन्स अन्तर्गत अर्जुन पेडों पर थाला निर्माण के कार्याे को देखा। फार्म पर उपस्थित रेशम कीटपालकों से रेशम कीटपालन संबंधी जानकारी ली और मनरेगा कन्वर्जेंस अन्तर्गत कराये जा रहे थाला निर्माण आदि कार्याे को शीघ्र पूर्ण कराने के निर्देश दिए।
सहायक निदेशक (रेशम) कल्पना गुप्ता ने बताया कि रेशम चार प्रकार मूंगा रेशम, शहतूती रेशम, टसर रेशम एवं एरी रेशम होता है। जिसमें से जनपद फतेहपुर में दो प्रकार के रेशम जिसमे टसर रेशम एवं एरी रेशम का कार्य होता है। जनपद में पांच राजकीय टसर रेशम फार्म हैं। जिसमें अल्लीपुर, मनावा, सिल्मी, नरैनी एवं एकारी शामिल है। अर्जुन पेडों पर वर्ष में दो बार प्रथम अम्पतियां फसल माह जुलाई के अंतिम सप्ताह में प्रारम्भ होती है। द्वितीय डाबा फसल माह अक्टूबर के प्रथम सप्ताह से कीटपालन कर कीटपालक उत्पादित कोया को विक्रय कर प्रति फसल 12000 से 15000 रूपये आय प्राप्त करते हैं। एरी रेशम जनपद के छह विकास खंड देवमई, खजुहा, अमौली, असोथर, हथगाँव एवं धाता के कीटपालक अपने खेतों में अन्य फसलों के साथ सहफसली के रूप में अरण्डी की फसल करते हैं। एरी रेशम की वर्ष में चार फसल होती है। दो बीजू फसल प्रथम मानसून फसल माह सितम्बर एवं पतझड फसल (बीजू) माह दिसम्बर, जनवरी में की जाती है। वर्ष में दो बार व्यवासायिक फसल-पतझड फसल माह अक्टूबर एवं बसन्त फसल माह फरवरी मार्च में की जाती है। रेशम कीटपालन का कार्य 25 से 30 दिन में पूर्ण हो जाता है। अरण्डी पत्ती का उपयोग एरी रेशम कीटपालन में किया जाता है। उत्पादित रेशम कोया विक्रय कर कृषक/कीटपालक अतिरिक्त आय प्राप्त करते है। निरीक्षण के समय उपायुक्त मनरेगा अशोक कुमार गुप्ता, सहायक रेशम विकास अधिकारी सुरेन्द्र प्रताप, कनिष्ठ सहायक मो० यासीन, जिला सूचना अधिकारी आरएस वर्मा सहित संबंधित उपस्थित रहे।