2011 से निर्माणाधीन तहसील का कार्य आज भी अधूरा – अधिकारियों के वाद सुनने की न तो कोर्ट है और न ही रहने के लिए आवास

खागा/फतेहपुर। अंग्रेजों के जमाने का बना तहसील मुख्यालय जर्जर हो जाने के कारण वर्ष 2010-11 में शासन द्वारा तहसील मुख्यालय के निर्माण के लिए 247.89 लाख रुपये की स्वीकृत की थी लेकिन निर्माण कार्य प्रारंभ होने से अब तक तहसील मुख्यालय अपने आप पर आंसू बहा रहा है और आधा अधूरा पड़ा है। जिससे न तो अधिकारियों के बैठने के लिए न्यायालय है और न ही रहने के लिए आवास उपलब्ध हो सका है।
मालूम हो कि अंग्रेजों के समय का बना तहसील मुख्यालय पूरी तरह से जर्जर हो गया था। जिसके निर्माण के लिए बसपा सरकार के शासनकाल में आवासीय भवनों का निर्माण व मुख्यालय का निर्माण जिला योजना राजस्व परिषद द्वारा कराया जाना था। जिसके लिए वर्ष 2010-11 में बसपा सरकार के शासनकाल में 247.89 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृति की गई थी और 30 मई 2011 से निर्माण कार्य प्रारंभ किए गए थे। निर्माण कार्य की जिम्मेदारी कार्यदाई संस्था विधायन एवं निर्माण सहकारी संघ लिमिटेड (पैकफेड) निर्माण प्रखंड फतेहपुर द्वारा कराया जाना शुरू किया गया लेकिन बसपा सरकार के बाद समाजवादी पार्टी की सरकार आई और पांच वर्ष का समय उनके शासनकाल का भी गुजर गया। इतना ही नहीं सपा सरकार के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आई और उसके भी पांच वर्ष गुजर गये। जबकि तीनों सरकारों ने पूर्ण बहुमत से अपना शासन किया। उसके बाद भी भाजपा की सरकार पूर्ण बहुमत से ही दोबारा रिपीट हुई और उसका भी कार्यकाल एक वर्ष पूरा हो गया है। उसके बावजूद भी इस अधूरी तहसील के निर्माण की ओर किसी की निगाहें नहीं गई हैं। आज उसी का नतीजा है कि सभी अधिकारियों के बैठने के लिए न तो समुचित व्यवस्था है और न ही मुकदमा सुनने के लिए कोर्ट की व्यवस्था है। इसी वजह में बहुत सारे सरकारी काम बाधित होते रहते हैं। यहां तक कि रहने के लिए निवास भी नहीं है। वर्तमान समय में उप जिलाधिकारी, न्यायिक उप जिलाधिकारी, तहसीलदार, चार नायब तहसीलदार कार्यरत हैं लेकिन कुल न्यायालय की चार कोर्ट ही बनी हैं। तीन अधिकारियों के वाद सुनने के लिए न्यायालय कोर्ट की समुचित व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा तहसील में 18 राजस्व निरीक्षकों की नियुक्ति है लेकिन उनके बैठने के लिए भी कोई उपयुक्त जगह नहीं है। जबकि इनके पूर्व में रहे कई अधिकारियों द्वारा अधूरे तहसील निर्माण को पूरा किए जाने के लिए शासन को पत्र भेजा गया लेकिन उसके बाद भी अभी कोई प्रगति नहीं हुई। वर्तमान समय में भी तीन बार अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए तहसीलदार द्वारा पत्र भेजा गया लेकिन मामला ढाक के दो पात बना हुआ है।
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अधूरे निर्माण के लिए तीन बार भेजा गया पत्र
तहसीलदार ईवेंद्र कुमार ने बताया कि अधूरे तहसील के निर्माण को लेकर तीन बार पत्राचार किया जा चुका है लेकिन मामला उसी तरह जस का तस बना हुआ है। अधूरे निर्माण को पूरा न होने से काफी अव्यवस्था महसूस हो रही है।
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एसडीएम सहित चार न्यायालय
तहसीलदार ईवेंद्र कुमार ने बताया कि तहसील में वर्तमान समय में उप जिलाधिकारी, न्यायिक उप जिलाधिकारी, तहसीलदार तथा चार नायब तहसीलदारों की नियुक्ति है लेकिन कुल चार न्यायालय कोर्ट बनी हुई हैं। सबके बैठने के लिए न्यायालय कोर्ट भी नहीं है। टर्नवार बैठकर कार्य निपटाए जा रहे हैं।
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तहसीलदार व नायब तहसीलदार के लिए नहीं आवास
तहसीलदार ईवेन्द्र कुमार ने बताया कि तहसीलदार तथा नायब तहसीलदार के रहने के लिए कोई आवास नहीं है। ऐसी दशा में सभी नायब तहसीलदारों को तहसील मुख्यालय के अलावा अलग स्थानों पर रहना पड़ रहा है जबकि तहसील मुख्यालय में चार नायब तहसीलदारों की नई नियुक्ति भी हो गई है लेकिन उनको मण्डी परिसर में रहकर किसी तरह रात गुजारनी पड़ रही है।
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राजस्व निरीक्षकों के बैठने के लिए अव्यवस्था
तहसील मुख्यालय में 18 राजस्व निरीक्षकों की नियुक्ति है। जिसमें उनके बैठने के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। राजस्व निरीक्षक टूटे-फूटे जर्जर आवासों में बैठकर किसी तरह से सरकारी कामकाज को निपटा रहे हैं। इसी प्रकार राजस्व संग्रह कार्यालय व आपूर्ति विभाग का भी कोई कार्यालय सुनिश्चित नहीं है। इधर-उधर के कमरे में बैठकर अपने दैनिक कार्यों को निपटा रहे हैं।
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तहसील मुख्यालय की जगह में बनी दुकाने
तहसील मुख्यालय के आवासीय खंड में दुकान बनी हुई है जिसकी जांच तत्कालीन तहसीलदार द्वारा कराई गई और सही पाया गया लेकिन आज तक उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई और न ही उन सभी दुकानों को खाली कराया गया। दुकान का आवंटन किसी के नाम है और उनकी बिक्री भी कर दी गई है जबकि यह पूरी तरह से अवैध है।

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