भारत के लिए डायबिटीज बन रही महामारी, नहीं दिखते शुरुआती लक्षण, इंटरनेट से डाइट प्लान फॉलो करना रिस्की

 

 

भारत में डायबिटीज महामारी का रूप लेती जा रही है। जिसके चलते भारत को डायबेटिक कैपिटल ऑफ वर्ल्ड कहा जाने लगा है। ये एक साइलेंट किलर डिजीज है।

डायबिटीज पर हुई रिसर्च

द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी की एक रिसर्च हाल में पब्लिश हुई। इसके मुताबिक भारत के 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज के मरीज हैं।

भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय का डेटा कहता है कि 13.6 करोड़ लोग देश में प्री-डायबिटीज हैं। यानी वो लोग जिनमें डायबिटीज के शुरुआत लक्षण दिखने लगे हैं।

एक और हालिया डेटा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-इंडिया डायबिटीज (ICMR-INDIAB) का भी है। जिसमें बताया गया कि 20 वर्ष से अधिक आयु के 15.3% लोगों में डायबिटीज के शुरुआती लक्षण दिखाई दिए।

रिसर्चर और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. मोहन अंजना कहते हैं, ‘पिछले 4 सालों में ही डायबिटीज के मामलों में 44% की बढ़ोतरी हुई है। यह स्थिति किसी टाइम बम जैसी है। अगर अब भी नहीं संभले तो, प्री-डायबिटीज वाले 60% लोग अगले 5 सालों में डायबिटीज के पेशेंट हो जाएंगे।

मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन की डायबिटीज पर की गई यह रिसर्च 10 सालों तक चली। इसमें भारत के हर राज्य से लोगों ने हिस्सा लिया।

वो राज्य जहां इस समय डायबिटीज पेशेंट ज्यादा हैं

गोवा: इस लिस्ट में टॉप पर गोवा है। यहां 26.4% डायबिटीज के मरीज हैं।

पुडुचेरी: 26.3% डायबिटीज पेशेंट हैं।

केरल: 25.5% डायबिटीज मरीज हैं।

उत्तर प्रदेश: सबसे कम 4.8% डायबिटीज मरीज हैं, लेकिन यहां की लगभग 18% आबादी प्री- डायबिटीक है जो कि एक बड़ा रिस्क है।

मध्य-प्रदेश, बिहार और अरुणाचल प्रदेश में प्री- डायबिटीक पेशेंट की संख्या ज्यादा है।

दिल्ली के डायबिटीज स्पेशलिस्ट डॉ. राकेश प्रसाद से हमने इस बारे में डिटेल में कुछ सवाल किए।

सवाल: डायबिटीज क्या है?
जवाब: 
डायबिटीज होने पर शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। यह तब होता है जब शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हार्मोन नहीं बना पाता।

पैंक्रियाज इंसुलिन हार्मोन बनाता है जो कार्बोहाइड्रेट के टूटने से बने ग्लूकोज को एनर्जी के लिए यूज करने में मदद करता है।

डायबिटीज 3 तरह की होती है

टाइप 2 डायबिटीज: लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव करके इसे कंट्रोल किया जा सकता है।

टाइप 1 डायबिटीज: ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए पेशेंट को लाइफटाइम इंसुलिन के इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं।

जेस्टेशनल डायबिटीज: प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली हाई ब्लड शुगर की समस्या है।

कुछ साल पहले तक यह माना जाता था कि डायबिटीज बढ़ती उम्र के साथ होता है। लेकिन अब ये बीमारी छोटे-छोटे बच्चों को भी हो रही है।

सवाल: डायबिटीज और प्री-डायबिटीज में क्या फर्क है?
जवाब:
 डायबिटीज में पेशेंट का शुगर लेवल खाली पेट 126 से ज्यादा और खाने के 2 घंटे बाद 200 से ज्यादा होता है।

प्री-डायबिटीज में पेशेंट का शुगर लेवल सुबह खाली पेट 110-126 के बीच होता है। खाने के 2 घंटे के बाद अगर शुगर लेवल चेक किया जाता है, तो 140-200 के बीच होता है।

सवाल: डायबिटीज होने के पीछे क्या वजह है?
जवाब: 
डायबिटीज के मामलों में बढ़ोतरी के कई कारण हैं…इसे नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं।

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