फेफड़ों का कैंसर वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। शोधकर्ताओं ने पाया कि दुनियाभर में हर 16 में से एक व्यक्ति में लंग कैंसर का जोखिम हो सकता है। अमेरिकन लंग्स एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक लगभग हर ढाई मिनट में यू.एस. में किसी न किसी व्यक्ति में फेफड़े के कैंसर का पता चलता है और हर दिन फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित करीब 350 लोगों की मौत हो जाती है। वैसे तो पिछले पांच वर्षों में लंग्स कैंसर, किसी भी प्रकार के कैंसर से होने वाली मृत्यु दर का बड़ा जोखिम रहा है, हालांकि रोगियों के अधिक समय तक जीवित रहने की दर 21 फीसदी से बढ़कर 25 फीसदी हुई है।
इस बीच लंग्स कैंसर और इसके कारण होने वाली मौतों की रोकथाम को लेकर अध्ययन कर रही वैज्ञानिकों की टीम को बड़ी सफलता मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं ने एक ऐसी दवा खोज ली है जो फेफड़ों के कैंसर के खतरे को काफी कम कर सकती है।
फेफड़ों के कैंसर का कम हो सकता है मृत्युदर
दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने एक ऐसी पिल के नैदानिक परीक्षण में सफलता का दावा किया है जो लंग्स कैंसर के कारण होने वाली मौत के मामलों को 50 फीसदी तक कम कर सकती है। शिकागो में अमेरिकन सोसायटी ऑफ क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी की वार्षिक बैठक में परीक्षण के परिणाम प्रस्तुत किए गए हैं।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती चरण के रोगियों की सर्जरी के बाद, दैनिक रूप से इस दवा के सेवन ने मृत्यु के जोखिम को काफी हद तक कम किया है।
अध्ययन में क्या पता चला?
फेफड़ों के कैंसर वाले 682 रोगियों पर इस दवा का अध्ययन किया गया। लगभग आधे प्रतिभागियों को तीन साल तक दैनिक रूप से यह गोली दी गई, जबकि अन्य आधे को प्लेसबो दिया गया। कैंसर के निदान के पांच साल बाद, प्लेसीबो लेने वाले समूह के 78% की तुलना में इस दवा को लेने वाले 88% रोगी अभी भी जीवित थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह दवा फेफड़ों के कैंसर से मृत्यु के समग्र जोखिम को 51% तक कम कर सकती है।
क्या कहते हैं शोधकर्ता?
येल कैंसर सेंटर में अध्ययन मुख्य अन्वेषक डॉ. रॉय हर्बस्ट कहते हैं, मुझे लगता है कि कैंसर रोगियों के इलाज में यह दवा काफी कारगर हो सकती है। हम वास्तव में फेफड़ों के कैंसर के उपचार में प्रगति देख रहे हैं, जैसे पहले कभी नहीं देखा गया था। इस दवा के परीक्षण के परिणाम हमारी अपेक्षा से लगभग दोगुने अच्छे हैं।
हमें उम्मीद है कि आगामी परीक्षणों के आधार पर इस दवा को वैश्विक स्वीकृति मिलेगी और हम दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे फेफड़ों के कैंसर को रोकथाम में विशेष सफलता पा सकेंगे।
क्या कहते हैं शोधकर्ता?
येल कैंसर सेंटर में अध्ययन मुख्य अन्वेषक डॉ. रॉय हर्बस्ट कहते हैं, मुझे लगता है कि कैंसर रोगियों के इलाज में यह दवा काफी कारगर हो सकती है। हम वास्तव में फेफड़ों के कैंसर के उपचार में प्रगति देख रहे हैं, जैसे पहले कभी नहीं देखा गया था। इस दवा के परीक्षण के परिणाम हमारी अपेक्षा से लगभग दोगुने अच्छे हैं।
हमें उम्मीद है कि आगामी परीक्षणों के आधार पर इस दवा को वैश्विक स्वीकृति मिलेगी और हम दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे फेफड़ों के कैंसर को रोकथाम में विशेष सफलता पा सकेंगे।