कान के पर्दे खराब करेगा ईयरफोन, दिमाग पर भी असर, कितने घंटे यूज करना है सेफ

 

ईयर फोन या ईयर बड्स। पिछले कुछ सालों में इसका इस्तेमाल बढ़ा है। छोटे-छोटे बच्चे के लेकर बुजुर्ग सब इसे यूज कर रहे हैं।

किसी को कॉल करनी हो, मीटिंग, ऑनलाइन क्लासेज लेनी हो, म्यूजिक सुनना हो, OTT सीरीज को बिंज वॉच करना हो, तो घंटों तक कान में ईयरफोन लगा रहता है।

सड़क पर देखें तो ट्रैफिक रूल को तोड़ते हुए लोग बेखौफ ईयरफोन लगाकर ड्राइव और वॉक कर रहे हैं।

प्राइवेसी के लिहाज से जिसे लोग अच्छा मान रहे हैं, उसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल सेहत पर बुरा असर डाल रहा है। हेडफोन या ईयरफोन से आने वाली आवाज आपके ईयरड्रम को भारी नुकसान पहुंचा रही है।

किस हद तक इससे कानों को नुकसान होगा, हमें क्या सावधानी बरतनी चाहिए।

 सवाल: ईयरफोन रेगुलर या ज्यादा यूज करने से क्या प्रॉब्लम होती है?
जवाब:
 WHO ने चेतावनी दी है कि रेगुलर ईयरफोन यूज करने से 2050 तक 70 करोड़ से ज्यादा लोगों के कान खराब हो जाएंगे।

वाइब्रेशन ज्यादा होने से सुनने वाले सेल्स अपनी संवेदनशीलता खो देते हैं। जिससे बहरापन हो जाता है। इसके साथ कई दूसरी प्रॉब्लम भी हो सकती हैं। जैसे-

कान में दर्द: देर तक रेगुलर यूज करने से कानों में दर्द शुरु हो सकता है। कई बार ये दर्द तेज भी हो सकता है जिससे कानों में भारीपन होने की संभावना बढ़ जाती है।

बहरापन: ज्यादा देर तक लगाने और वाइब्रेशन से कानों की नसों पर दबाव पड़ता है, जिससे नसों में सूजन आ सकती है। सेंसिटिविटी खोने से बहरापन भी हो सकता है।

सिरदर्द: डेली तेज आवाज में सुनने से कानों को बल्कि दिमाग को भी बहुत ज्यादा नुकसान होता है। तेज वाइब्रेशन से हमें सिरदर्द और नींद न आने की परेशानी होने लगती है।

कान सुन्न होना: लंबे समय तक सुनने पर कान सुन्न हो सकते हैं। मानसिक समस्याएं जैसे चक्कर आना, नींद न आने की प्रॉब्लम होने लगती है।

सुनने की क्षमता प्रभावित: धीरे-धीरे सुनने की क्षमता कम होने लगती है और इंफेक्शन भी हो सकता है। इससे टिनिटस मतलब कान में गुंजन या अतिरिक्त ध्वनि सुनाई देती है।

 सवाल: किन लोगों में ये प्रॉब्लम सबसे ज्यादा होती है?
जवाब: 
जो लोग ईयर फोन, ईयरबड्स और हेडफोन का लगातार कई-कई घंटों तक यूज करते हैं, रात में लगाकर सो जाते हैं उन्हें ज्यादा प्रॉब्लम होती है।

सवाल: ईयरफोन में ऐसा क्या होता है जिससे इतनी सारी दिक्कतें हो सकती हैं?
जवाब: 
कान के अंदर एक पर्दा मौजूद होता है जिसे ईयरड्रम कहते हैं। इसमें तमाम नसें और अंग होते हैं, जो दिमाग से कनेक्ट होते हैं।

जब ईयरफोन या हेडफोन लगाकर तेज आवाज में सुनते हैं, तो आवाज और उसका वाइब्रेशन दवाब के साथ ईयर ड्रम से टकराता है जिससे समस्याएं पैदा होती हैं।

एक बार जब यह समस्या हो जाती है तो परमानेंट बन जाती है। अगर इसका तुरंत इलाज नहीं किया जाए, तो यह डेंजरस भी हो सकती है।

सवाल: ईयरफोन या हेडफोन दोनों यूज करने से नुकसान होता है क्या?
जवाब:
 हां, बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। ईयरफोन के मुकाबले हेडफोन थोड़ा सुरक्षित है। ईयरफोन कान के अंदर लगता है इसलिए वाईब्रेशन की कान के पर्दे से दूरी कम होती है जबकि हेडफोन कान के बाहर लगता है जिससे पर्दे से दूरी थोड़ी ज्यादा होती है।

तो यह कम नुकसान करता है। लेकिन दोनों का यूज ज्यादा किया जाए और तेज आवाज में सुना जाए, तो नुकसान ही पहुंचाएंगे।

सवाल: दिन में कितनी देर ईयरफोन का यूज करना चाहिए?
जवाब: 
डॉक्टर का मानना है कि दिन में सिर्फ 30 मिनट ही ईयरफोन का यूज करना चाहिए। इसके अलावा जब जरूरत हो तब करें।

सवाल: ईयरफोन यूज करने का सही तरीका क्या है, जिससे इन परेशानियों से बचा जा सके?
जवाब: 
सबसे पहली बात तो ईयरफोन का यूज जरूरत पड़ने पर ही करें।

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