मुन्ना बक्श ब्यूरो चीफ
बांदा। आदेशों का पालन करना सबका दायित्व लेकिन अवहेलना करने वालों की विचारधारा को कोई जल्दी मिटा नहीं सकता।क्योंकि जब यह धारणा किसी के मन में बस जाती हैं, कि हम सरकारी हैं हमें कोई हटा नहीं सकता, तो आदेश केवल धूल फाँकते है।21-जून योग दिवस के अवसर पर योग कार्यक्रम के लिए स्वच्छ परिसर उपलब्ध हो, इसलिए सभी विद्यालयों को एक दिन पूर्व अर्थात 20-जून को खोलकर, साफ सफाई करके परिसर को स्वच्छ करने का आदेश हुआ था, लेकिन देखने में आया कि पर्याप्त विद्यालय एक दिन पूर्व अर्थात आज नहीं खोले गए।यदि कहीं विद्यालय खुला, तो शिक्षा मित्रों ने खोला।हो सकता है यदा- कदा जहाँ शिक्षा मित्र न हो या हो लेकिन शिक्षकों ने अपनी उपस्थित दर्ज कराई हो।प्राथमिक विद्यालय खुरहण्ड मे आक्सीजन बाबा-रामकृष्ण अवस्थी. शिक्षा मित्र ने विद्यालय पहुंच कर सर्वप्रथम अपने कर्मक्षेत्र को नमन किया।तत्पश्चात विद्यालय खोलकर परिसर में खुद लगाया झाड़ू क्योंकि सफाई कर्मी उपलब्ध नहीं थे।21-जून योग दिवस के लिए परिसर हुआ पूर्ण स्वच्छ, पेय जल व्यवस्था की खामियों को किया दूर।भविष्य में एआई तकनीक बेसिक शिक्षा मे लगी पुरानी जंग को हटा सकती हैं, ऐसा कुछ बुद्धिजीवियों का कहना है, साथ ही पढे लिखे कुछ अभिभावकों ने अपने विचारों से अवगत कराया, कि यशस्वी लोकप्रिय योगी सरकार और स्कूल महानिदेशक विजय किरन आंनद ने वास्तव में बेसिक शिक्षा के लिए बहुत कुछ किया ।बेहतर प्रशिक्षण शिक्षकों को दिलाया गया ।लेकिन प्रशिक्षण मे बताई गई विधि को पूर्ण रूप से बच्चों पर लागू नहीं किया जाता। यदि लागू किया जाय तो निश्चित ही प्रत्येक विद्यालय से कम से कम एक बच्चा नवोदय परीक्षा जरूर पास कर लेगा।कहीं न कहीं ये गंभीर सेवा त्रुटि का मामला है।इसमें कहीं न कहीं सरकार की कमी है, क्योंकि पिछले कार्यकाल में सरकार ने शिक्षक और बच्चों की बायोमैट्रिक उपस्थिति की बात कही थी और इस कार्यकाल में टेबलेट देने की घोषणा की गई, लेकिन आज तक टेबलेट नहीं दिए गए।इसका असर यह हुआ कि धारणा बन गई कि जब सरकार टाल रही हैं, तो हम भी प्रशिक्षणो मे दिए गए सुझावों को टालना सीखें ।सूत्रों की यदि मानें तो आमजंनमानस मे चर्चा हो रही हैं कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जजो से सरकार को, बेसिक शिक्षा की धरातलीय जाँच करवा लेना चाहिए।हकीकत सामने आ जाएगी।पचास छात्र संख्या वाले विद्यालयों में विशेष निगरानी की आवश्यकता बताई जा रही हैंज।अधिकारियों का इसमें कोई दोष नहीं वो हर विद्यालय में एक साथ नहीं मौजूद हो सकते। सभी शिक्षकों व सभी विद्यालयों में लागू नहीं।