योगः कर्मसु कौशलम् -कर्म में निपुणता को प्राप्त करना ही योग है मुख्य अतिथि प्रो•पी•के•बंसल।

रोहित सेठ 

 

 

 

 

 

 

 

बतौर मुख्य अतिथि- प्रो•पी• के•बंसल

योगः कर्मसु कौशलम् -कर्म में निपुणता को प्राप्त करना ही योग है वास्तविकता ये है कि अन्त:करण की जो वृत्तीयाँ या मन है इन्द्रियों से जुडते हैं तभी हम उसको महसूस करते हैं।समस्त ज्ञानो के प्रति आसाधारण कारण अन्त:करण जो मन है उसके साथ जो चक्षु वादी जो वाह्य कर्णो वृत्तियाँ जो संबंध हैं उन्ही सम्बंधों से ये सारे वस्तु का ज्ञान हमें सम्भव है। उसका एक मार्ग प्रत्यक्ष ईश्वरोपसना से भी मन को एकाग्र कर सकते हैं।योग के माध्यम से स्वस्थ शरीर और उत्तम विचार का जन्म होता है।असाध्य रोगों को दूर करने का माध्यम योग है तथा चित्त वृत्त को शुद्ध करता है उक्त विचार आज सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में पूर्वांह 5:30 बजे स्वतंत्रता के 75 वीं वर्षगांठ पर आजादी के अमृत महोत्सव पर नवम अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर परिसर स्थित दीक्षांत लॉन मे आयोजन पर बतौर मुख्य अतिथि एम•एम•यूनिवर्सिटी,सोलन के पूर्व कुलपति एवं क्वेस्टा ग्रुप ऑफ इन्स्टीट्यूट,मोहाली के डायरेक्टर प्रो•पी• के•बंसल ने व्यक्त किया।

पूर्व कुलपति एवं डायरेक्टर प्रो बंसल ने सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नौवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का महत्वपूर्ण अवसर है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2014 से, हर वर्ष आज के दिन पूरे विश्व में पिछले नौ वर्षों से मनाया जा रहा है। इसे अच्छे स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती को बनाए रखने के लिए स्वीकार किया गया है। स्वास्थ्य आपको फिट रखता है और फिर आप अपने जीवन की योजना बनाते हैं. इस जीवन शैली को अपनाये. रोज योग करें इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इसे जीवन का अंग बना लेना चाहिए। उदहारण के लिए यह तनाव सहित और कई समस्याओं को दूर रखता है। यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। योग सदियों से हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है लेकिन हममे से काफी लोगों ने इसे भुला दिया,योग को अपनाये।

योग आध्यात्मिक भारत को जानने और समझने का एक तरीका है विशिष्ट अतिथि योगाचार्य श्री राकेश पान्डेय।

विशिष्ट अतिथि एवं योग प्रशिक्षक योगाचार्य राकेश पान्डेय ने कहा कि योग को ‘चित्त की वृत्तियों के निरोध’ (योगः चित्तवृत्तिनिरोधः) के रूप में परिभाषित किया है। उन्होंने ‘योगसूत्र’ नाम से योगसूत्रों का एक संकलन किया जिसमें उन्होंने पूर्ण कल्याण तथा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए अष्टांग योग (आठ अंगों वाले योग) का एक मार्ग है।योग और प्राणायाम के माध्यम से हम अपने प्राणों की रक्षा करते हुये स्वस्थ रह सकते हैं।ज्ञान योग और कर्म योग को जोड़ने वाली सेतु से जुड़कर ही हम योग के तरफ बढ सकते हैं।आज 148 देश एक साथ जुडकर योग कर रहे हैं।

*अध्यक्षता

संस्था के वरिष्ठ आचार्य (प्रो) रामकिशोर त्रिपाठी ने कहा कि योग,आध्यात्मिक भारत को जानने और समझने का एक तरीका है। इसके साथ ही योग भारत की संस्कृति और विरासत से भी जुड़ा हुआ है। संस्कृत में, योग का अर्थ है “एकजुट होना”।

जिसे निज देश, निज भाषा और निज गौरव का अभिमान नहीं! वह नर नहीं, नरपशु निरा, और मृतक समान है- कुलसचिव श्री राकेश कुमार

*कुलसचिव श्री राकेश कुमार(आईएएस)के द्वारा धन्यवाद निवेदित कृतज्ञता ज्ञापित करते हुये कुलसचिव श्री राकेश कुमार ने मंचस्थ अतिथियों के वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालते हुये कहा कि”वसुधैव कुटुम्बकम्” सनातन धर्म का मूल संस्कार तथा विचारधारा है।

योग हमारी प्राचीन विद्या की ज्ञान राशि और जीवन पद्धति रही है उसे पुनर्जीवित कर पूरी दुनिया के सामने लायी गयी,इससे सम्पूर्ण विश्व सम्मोहीत होकर अनुकरण व अनुसरण कर रही है यह हम सभी के लिये गौरव और सौभाग्य का विषय है।

हमे अपनी संस्कृति,सभ्यता,दर्शन,जीवन पद्धति,ज्ञान- विज्ञान पर गर्व होना चाहिये।”जिसे निज देश, निज भाषा और निज गौरव का अभिमान नहीं! वह नर नहीं, नरपशु निरा, और मृतक समान है!”

हम जीवन्त सभ्यता और संस्कृति हैं,दुनिया को हम बताये कि आप यदि हमारे राह को स्वीकारते हैं तो आप भी जीवन्त बन सकेंगे,दुनिया के सामने हमारे देश के नेतृत्व नेअपने को बताने मे सफल रहे हैं जिसका परिणाम ऋषियों और शास्त्रों के ज्ञान पद्धति योग को स्वीकार किया जाना है।यह संस्था दुनिया में सबसे विलक्षण ज्ञान भंडार और पद्धति से अनमोल है यहां के पुस्तकालय में अत्यंत प्राचीन एवं दुर्लभ पाण्डुलिपियाँ संरक्षित की गयी हैं जिसमे शोध कर दुर्लभ ज्ञान राशि को लाया जायेगा,इसका प्रयास चल रहा है।

कुलसचिव श्री राकेश कुमार ने बताया कि योग पर्व के उपलक्ष्य में यहाँ पर दिनांक 15 जून 2023 से अद्दतन(सप्ताह व्यापी) योग प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित किया गया। जिसमें सभी सहभागियों का आभार व्यक्त करता हूँ कि आप सभी स्वंय प्रशिक्षित होकर अपने समाज व परिवार को योग के प्रति राष्ट्रभावना जागृत करें।

*सभी प्रशिक्षार्थियों को योग प्रशिक्षण

योगाचार्य राकेश पान्डेय एवं खेल प्रशिक्षक आदित्य कुमार के द्वारा सभी सहभगियोँ को विभिन्न प्रकार के आसनों के माध्यम से योग और प्राणायाम मे योग प्रोटोकाल के अनुसार ग्रीवा सञ्चालन , स्कन्ध सञ्चालन , घुटना सञ्चालन , त्रिकोणासन , कटिचक्रासन , व्रजासन , शशकासन , उत्तानपादासन , अर्ध हलासन , हलासन , वक्रासन, बटरफ्लाई , भद्रासन , मकरासन , शलभासन , भुजंगासन तथा प्राणायाम में कपालभाति ,अनुलोम विलोम, नाड़ी शोधन प्राणायाम ,शीतली प्राणायाम एवं भ्रामरी प्राणायाम किया गया।

*योग दिवस के प्रारम्भ मे

उक्त अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस महोत्सव के प्रारम्भ में मंगलाचरण किया गया।सम्पूर्ण महोत्सव का संचालन संयोजक प्रो दिनेश कुमार गर्ग एवं आदित्य कुमार ने किया।

*कुलसचिव श्री राकेश कुमार के द्वारा मंचस्थ अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन

संस्था के वरिष्ठ आचार्यों एवं कुलसचिव के द्वारा अंतरर्राष्ट्रीय योग दिवस के मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति एवं डायरेक्टर प्रो•पी• के• बंसल जी एवं राष्ट्रीय स्तर के योगी योगाचार्य राकेश पान्डेय का देकर अभिनंदन एवं स्वागत किया गया।

*योग प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन की उद्घोषणा

कुलसचिव जी के अनुरोध पर मुख्य अतिथि प्रो •पी•के•बंसल जी के द्वारा योग प्रशिक्षण के समाप्ति की घोषणा की गयी इसके साथ ही

पुन:राष्ट्रगान के साथ योग दिवस प्रशिक्षण संपन्न हुआ।

योग दिवस पर विश्वविद्यालय परिवार का रहा सहभाग

उक्त योग दिवस महोत्सव में कुलसचिव श्री राकेश कुमार,प्रो रामकिशोर त्रिपाठी,परीक्षा नियन्त्रक प्रो सुधाकर मिश्र,प्रो रामपूजन पान्डेय,प्रो हरिशंकर पान्डेय,प्रो हरिप्रसाद अधिकारी,प्रो रमेश प्रसाद,प्रो हीरककान्त चक्रवर्ती,डॉ विजय कुमार पान्डेय,प्रो राघवेंद्र जी दुबे,प्रो शैलेश कुमार,प्रो राजनाथ,प्रो विधु द्विवेदी,डॉ पद्माकर मिश्र,लालजी मिश्र,कर्मचारी,विद्यार्थी सहित विश्वविद्यालय परिवार,एनएसएस,एनसीसी आदि के कैडेट बड़ी संख्या में सभी जनों के प्रशिक्षण मे सहभाग किया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.