विभाग बनाता रह गया योजना, जमींदोज हो गया पारिजात – विजयीपुर ब्लाक के सरौली गांव में गिरा 300 वर्ष पुरान पारिजात – दो वर्ष पूर्व वन विभाग ने दोनों पारिजात संरक्षित किए जाने की बनाई थी योजना

खागा/फतेहपुर। विजयीपुर विकास खंड के सरौली गांव में आबादी के बाहर खड़े रहने वाले दो पारिजात में से एक, बीते दिनों दिनों आंधी में गिर गया। औषधीय महत्व वाले पारिजात की लकड़ी ग्रामीण ईंधन के लिए उठा ले जा रहे हैं। दूसरा पारिजात भी संरक्षण के अभाव में आखिरी दिन गिर रहा है।
गांव के लोग बताते हैं कि दोनों पारिजात 300 वर्ष से अधिक पुराने हैं। एक अभी तक सुरक्षित है, जबकि दूसरा वृक्ष सूखने के बाद गिर गया। किसानों की भूमिधरी पर होने की वजह से वन विभाग द्वारा इन्हें समय रहते संरक्षित नहीं किया गया। रामराखन सिंह, चंद्रपाल सिंह, अशोक सिंह, सुरेंद्र सिंह, भरोसा सिंह आदि ने बताया कि दुर्लभ वृक्षों को लोग गुजराती इमली के नाम से जानते थे। क्षेत्र में ऐसे वृक्ष बहुत कम देखने के लिए मिलते हैं। जमीन पर गिरे वृक्ष की छाल और लकड़ी भी धीरे-धीरे गायब होती जा रही है। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के उपाध्यक्ष रवि सिंह ने बताया कि उनके द्वारा दोनों पारिजात संरक्षित किए जाने के लिए पत्राचार किया गया था। दो वर्ष पहले वन विभाग द्वारा पुराने वृक्षों, विशेषकर दोनों पारिजात को संरक्षित किए जाने की योजना तैयार की गई थी। हालांकि मौका मुआयना से अधिक विभाग द्वारा कुछ भी नहीं किया गया।
इनसेट-
छाल और पत्तियां उपयोगी
ग्रामीणों ने बताया कि पारिजात की छाल और पत्तियां बेहद उपयोगी हैं। आयुर्वेद के जानकार, अक्सर इसकी छाल निकालने के लिए आते हैं। बताते हैं छल को पीसकर पीने से तमाम प्रकार की बीमारियां दूर हो जाती हैं। पुरुष व महिलाओं को होने वाली कई बीमारियां इससे ठीक होती हैं। इसका फल स्वाद में खट्टा होने की वजह से इसे गुजराती इमली का नाम दिया गया है।
इनसेट-
मौके पर जाएंगे वन रेंजर
सरौली गांव में दोनों पारिजात दुर्लभ प्रजाति के हैं। मिट्टी, पानी व बीमारी की वजह से वृक्ष सूख सकता है। दूसरा पारिजात, जो किसानों की भूमिधरी पर है। उसे संरक्षित करने का प्रयास किया जाएगा- सच्चिदानंद यादव, वन क्षेत्राधिकारी-खागा

Leave A Reply

Your email address will not be published.