हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा विधि एवं न्याय मंत्री को ज्ञापन ! ‘लैंड जिहाद’ करनेवाला ‘वक्फ कानून’ निरस्त करें! हिन्दुत्वनिष्ठों की -मांग

रोहित सेठ

 

 

 

 

वाराणसी एक ओर हिन्दुओं के मंदिरों का सरकारीकरण कर मंदिरों की संपत्ति सरकार अपने नियंत्रण में ले रही है, – तो दूसरी ओर ‘मुसलमानों की धार्मिक संस्था’ द्वारा सरकार एवं नागरिकों की संपत्ति कानून का दुरुपयोग करते हुए हडपना, यह धर्मनिपेक्षता की संकल्पना पर प्रहार है और असंवैधानिक है। वर्ष 1995 एवं वर्ष 2013 में कांग्रेस सरकार ने इस कानून में अन्य सभी धर्मियों की कोई भी संपत्ति वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में घोषित करने के भयानक एवं असीमित अधिकार दिए। वर्ष 2009 में वक्फ बोर्ड के पास 4 लाख एकड भूमि थी, वही भूमि वर्ष 2023 में अर्थात 14 वर्ष में दुगुनी हो गई है। परिणामतः भारतीय सेवा दल एवं भारतीय रेल के उपरांत तीसरी सर्वाधिक भूमि ‘वक्फ बोर्ड के पास ही है। यदि ऐसे ही चलता रहा, तो कुछ वर्ष में भारत की सर्वाधिक भूमि वक्फ बोर्ड को होकर भारत में नए पाकिस्तान का निर्माण होगा। इस संकट को देखते हुए सामान्य जनता की भूमि हडपकर ‘लैंड जिहाद’ को प्रोत्साहन देनेवाला अन्यायकारी ‘वक्फ कानून’ तुरंत निरस्त करे इस मांग हेतु जनजागृति समिति की ओर से माननीय विधि एवं न्याय मंत्री को जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन दिया गया।

बोर्ड, यह इस्लामी संस्था होने पर भी उसके सदस्यों को वक्फ कानून के अनुसार सरकारी नौकर माना जाता है। ऐसी सुविधा अन्य धर्मियों को अथवा धार्मिक संस्थाओं के किसी भी सदस्य को नहीं। यह धार्मिक पक्षपात की चरम सीमा है । वक्फ बोर्ड भूमि हडपेगा तो उसका परिवाद वक्फ से ही करना है, छानबीन भी बक्फ ही करेगा और निर्णय भी वक्फ ही देगा | यहां न्याय सुविधाजनक ढंग से वक्फ बोर्ड के पक्ष में देने की व्यवस्था की गई है। यह न्यायालय के अधिकारों पर प्रहार एवं नागरिकों के मूलभूत संवैधानिक न्याय अधिकार छीन लिए जाने का प्रकार है।

इस संकट के संदर्भ में निम्न मांगें की गई

1. अब तक इस कानून का दुरुपयोग कर जो-जो भूमि वक्फ बोर्ड ने अपनी घोषित की है, वह उस भूमि उसके वास्तविक मालिक को देने की व्यवस्था की जाए। उस भूमि पर से वक्प बोर्ड का अधिकार पूर्णरूप से समाप्त कर दिया जाए।

2. देश में ‘समान नागरिक कानून लागू कर अल्पसंख्यकों के नाम पर लागू की गई सभी विशेष सुविधा, कानून, आयोग मंडल, शासकीय विभाग समाप्त कर सभी के साथ समान बर्ताव किया जाए।

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