आगरा में ताजमहल तक भरा यमुना का पानी, ताज व्यू प्वाइंट बंद; बटेश्वर घाट के सैलाब में 3 लोग बहे

 

आगरा में यमुना नदी खतरे के निशान को पार कर गई है। ताजमहल की दीवारों तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है। मेहताब बाग में ताज व्यू प्वाइंट को बंद कर दिया गया है। इस बीच, मंगलवार को बटेश्वर घाट पर आए यमुना के सैलाब में 3 लोग बह गए। वहीं, मथुरा में भी यमुना खतरे के निशान से डेढ़ मीटर ऊपर बह रही हैं। सोमवार को मंदिरों तक यमुना का पानी पहुंचा तो यमुना मां की आरती की गई। साधु-संतों ने भगवान को नाव में बैठाकर नौका बिहार कराया।

बटेश्वर घाट का वीडियो भी सामने आया है। जिसमें यमुना नदी में बहे तीन लोगों ने एक झोपड़ी का सहारा लिया। झोपड़ी नदी के तेज बहाव में बही जा रही है। जबकि ये तीनों लोग उसके ऊपर खड़े हैं। काफी दूर बहने के बाद घाट किनारे तैनात तैराकों ने स्ट्रीमर से जाकर तीनों को रेस्क्यू किया। यमुना खतरे के निशान मिड फ्लड लेवल 499 फीट से 10 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है।

आगरा में सोमवार को कैलाश गांव के पास का तटबंध टूटने से 13 साल बाद शहर में पानी आ गया। कैलाश मंदिर समेत कई मंदिरों में पानी भर गया। कैलाश गांव में पानी भर जाने से बलदेव की ओर के 6 गांवों का संपर्क शहरी क्षेत्र से कट गया है। लोहिया नगर, तनिष्क राजश्री और दयालबाग की कॉलोनियों में पानी भर गया।

हालात को देखते हुए कैलाश मेला स्थगित कर दिया गया है। शहर में यमुना किनारे बने 5 सीवेज पंपिंग स्टेशन एहतियातन बंद कर दिए गए हैं। यमुना में गिर रहे भैंरो नाला, मंटोला नाला समेत छोटे-बड़े नालों का बहाव उल्टा हो गया है। वहीं टोरेंट ने घाट के पास ट्रांसफॉर्मर के पानी में डूब जाने पर विद्युत आपूर्ति रोक दी है। उधर, ताजमहल तक यमुना का पानी पहुंच गया है। आगरा व्यू प्वाइंट और मेहताब बाग को बंद कर दिया है।

वहीं, यमुना के ही किनारे बसे मथुरा-वृंदावन में भी बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। यहां बांके बिहारी मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर यमुना बह रही हैं। कई मंदिरों तक यमुना का जल पहुंचने के बाद साधु-संतों ने आरती की। हालांकि मंगलवार को जलस्तर में करीब 7 सेंटीमीटर की गिरावट भी दर्ज की गई है।

ताजगंज मोक्षधाम में यमुना का पानी दूसरे प्लेटफार्म तक पहुंच गया। जिससे अब सबसे ऊपर के प्लेटफार्म पर ही दाह संस्कार किए जा सकेंगे। यमुना अब खतरे के निशान 499 फुट से कुछ इंच ही दूर है।

कैलाश गांव में रहने वाले संतोष गिरि ने बताया कि वर्ष 1978 में बाढ़ आई थी। 2010 में भी गांव में पानी आया था, लेकिन इस बार लगातार पानी बढ़ रहा है। दहशत के माहौल में लोगों को छतों पर रात गुजारनी पड़ी है। NDRF की टीम यहां तैनात कर दी गई है।

गांव में करीब 5 फीट तक पानी भर गया है। सोमवार से पानी बढ़ना शुरू हुआ, जो कि मंगलवार तक जारी रहा। ऐसे में प्रशासन ने एहतियातन गांव में यमुना किनारे पर रहने वाले करीब 30 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा। जिन लोगों के घर दो मंजिला थे, उन्होंने अपने घर का सामान दूसरी मंजिल पर पहुंचाया। इसके बाद रात को सभी लोग छत पर सोए।

गांव में रहने वाले परिवार परेशान हैं। 20 घंटे से बिजली नहीं है। रात में गर्मी और उमस में परेशान होना पड़ा। लोगों को घर के बाहर मंदिर प्रांगण में रात गुजारनी पड़ी। स्कूल बंद हो गए हैं। खाने-पीने के सामान की किल्लत हो रही है।

कैलाश मंदिर में हर दिन पूजा करने आने वाले भक्तों के लिए मंगलवार का आलम अलग था। सुबह जब वो मंदिर पहुंचे तो करीब तीन फीट पानी भरा था। भक्त पानी के बीच ही मंदिर पहुंचे।

यमुना में जलस्तर को देखते हुए प्रशासन की ओर से यमुना के सभी घाटों पर बैरिकेडिंग कर दी गई है। बल्केश्वर घाट, जौहरा बाग, हाथी घाट, कैलाश मंदिर घाट, दशहरा घाट पर बैरिकेडिंग की गई है। सावन के दूसरे सोमवार पर नगर परिक्रमा को देखते हुए बल्केश्वर और कैलाश घाट पर पुलिस तैनात की गई है, जिससे कोई पानी में न जा सके।

दयालबाग के कई इलाकों में पानी भरना शुरू हो गया है। इसके लिए प्रशासन ने दयालबाग की तनिष्क राजश्री कॉलोनी में नोटिस चस्पा किया है। कालोनी के सभी 33 मकानों को खाली करने के लिए कहा गया है। यमुना का पानी कॉलोनी की ओर तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में यहां पर लोगों ने अपना सामान बांध लिया है। उनका कहना है कि पानी आते ही वो लोग सुरक्षित स्थान की ओर निकल जाएंगे।

प्रशासन ने बाढ़ को देखते हुए चार बाढ़ राहत चौकी बनाई हैं। दयालबाग में वीरी सिंह इंटर कॉलेज में बाढ़ राहत केंद्र बनाया गया है। इसके अलावा बल्केश्वर में भी केंद्र बनाया गया है। डीएम नवनीत चहल भी बाढ़ का जायजा लेने के लिए पहुंचे।

लगातार बढ़ते जलस्तर को देखते हुए शहरी क्षेत्र के 28 इलाकों को चिह्नित किया गया है। जलस्तर और बढ़ने पर सबसे पहले इन इलाकों में पानी घुसेगा। सिंचाई विभाग द्वारा जारी सूची में नगला बूढ़ी, अमर विहार, दयालबाग, बल्केश्वर, जसवंत की छतरी, सरस्वती नगर, राधा नगर, जीवनी मंडी, कृष्णा कालोनी, बेलनगंज, सक्सेरिया गली, यमुना किनारा रोड, वेदांत मंदिर से फोर्ट तक, स्ट्रेची ब्रिज, छत्ता बाजार, गोकुलपुरा, कछपुरा, नगला देवजीत, मारवाड़ी बस्ती, मोती महल, यमुना ब्रिज, कटरा वजीर खां, रामबाग बस्ती, अप्सरा टाकीज, भगवती बाग, राधा विहार, केके नगर, जगदंबा डिग्री कॉलेज हैं।

यमुना का जल सबसे पहले उस स्थान पर पहुंचा जहां भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग को नाथा था। कालीदह पर यमुना का पानी 3 दिन पहले पहुंचा तो लोग कहने लगे कि यहां 45 वर्ष बाद यमुना का जल आया है। यमुना का जल प्रसिद्ध शक्ति पीठ कात्यायनी मंदिर, उत्तर भारत के विशालतम रंगनाथ मंदिर, लाला बाबू मंदिर और ज्ञान गुदड़ी तक भी पहुंच चुका है। वहीं यमुना का जल रमन रेती में स्थित रमन बिहारी मंदिर में भी प्रवेश कर गया। इस जगह पर भगवान रेती में लेटे थे।

यमुना का जल सबसे पहले उस स्थान पर पहुंचा जहां भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग को नाथा था। कालीदह पर यमुना का पानी 3 दिन पहले पहुंचा तो लोग कहने लगे कि यहां 45 वर्ष बाद यमुना का जल आया है। यमुना का जल प्रसिद्ध शक्ति पीठ कात्यायनी मंदि, उत्तर भारत के विशालतम रंगनाथ मंदिर, लाला बाबू मंदिर और ज्ञान गुदड़ी तक भी पहुंच चुका है। वहीं यमुना का जल रमन रेती में स्थित रमन बिहारी मंदिर में भी प्रवेश कर गया। इस जगह पर भगवान रेती में लेटे थे।

यमुना पुलिन का सबसे बड़ा महत्व लाला बाबू मंदिर पर देखने को मिलता है। यहां जब यमुना का जल पहुंचता है, तभी इस मंदिर का पूर्वी द्वार खुलता है और मां यमुना जी की आरती की जाती है। लाला बाबू मंदिर में कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की वह प्रतिमा है, जिसने भक्त की पुकार पर सांस लेकर अपने होने का एहसास कराया था। यहां के बारे में मान्यता है कि यमुना जी जब पहुंचती हैं तो यहां के पुजारी आरती करते हैं जिसके बाद यमुना के जल में गिरावट शुरू हो जाती है।

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.