उत्तर प्रदेश: 2024 की सियासी लड़ाई अब NDA बनाम I.N.D.I.A पर आ चुकी है। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बुधवार को दिल्ली में प्रेस कॉफ्रेंस की। इसमें उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया। मायावती ने कहा, “NDA और I.N.D.I.A दोनों के साथ हम नहीं हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी।
मायावती ने कांग्रेस और भाजपा दोनों पर निशाना साधा। कहा कि गठबंधन की राजनीति कांग्रेस करती है। उनका जातिवादी दलों के साथ गठबंधन है। वहीं, BJP की बातें-दावे खोखले हैं। कांग्रेस सत्ता में आने के लिए गठबंधन कर रही है। हम ऐसा नहीं कर सकते हैं।
मायावती ने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव बेहद नजदीक हैं। NDA और विपक्षी पार्टियों के गठबंधन की बैठकों का दौर चल रहा है। एक तरफ NDA अपनी पूर्ण बहुमत की सरकार बनने की दलीलें दे रहा है। दूसरी तरफ, विपक्ष गठबंधन सत्ताधारी को मात देने की प्लानिंग कर रहे हैं। इसमें बसपा भी पीछे नहीं है।
कांग्रेस पार्टी, अपने जैसी जातिवादी और पूंजीवादी सोच रखने वाली पार्टियों के साथ गठबंधन करके फिर से सत्ता में आने की सोच रही है। सभी विपक्षी दलों की सोच एक जैसी है, यही कारण है कि BSP ने इनसे दूरी बनाई है।
मायावती ने कहा कि केंद्र की सरकार में BJP और कांग्रेस रही हैं। दोनों की सोच गरीब और वंचितों के लिए एक जैसी है। जमीनी हकीकत में उन्होंने कभी कोई ठोस काम नहीं किया। जब ऐसे लोग सत्ता से बाहर हो जाते हैं, तो वोट लेने के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। इसलिए बसपा अकेले ही दलित और वंचितों के लिए काम कर रही है। अगर बसपा केंद्र की सत्ता में नहीं आती है तो भी दलित और अल्पसंख्यक समाज के लिए काम करती रहेगी।
मायावती ने कहा कि देश में महंगाई और बेरोजगारी को लेकर संसद सत्र में जवाबदेही का भी इंतजार रहेगा। देश हित से जुड़े इन मामलों का लगातार जटिल बना रहना बहुत ही दुखद है। इसका निदान निकालना बहुत ही जरूरी है। अब लोकसभा चुनाव से पहले संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष का टकराव से बेहतर विकल्प निकालना चाहिए।
दिल्ली में NDA ने आम चुनाव से पहले सियासी पिक्चर का ट्रेलर पेश किया। वहीं बेंगलुरु में विपक्षी दलों ने INDIA नाम के साथ नया श्री गणेश किया। एक तरफ 41 दल थे, तो दूसरी तरफ 26 दल थे, लेकिन इन सबसे अलग बसपा ने एक बार फिर एकला चलो की अपनी बात दोहराई है।
मायावती ने आज प्रेस कॉफ्रेंस में अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया। 2024 लोकसभा के साथ ही आगामी चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में अकेले ही उतरने का ऐलान किया। मायावती ने NDA और इंडिया दोनों पर निशाना साधा है।
दरअसल, इस बार बसपा अपने कोर वोट बैंक और अल्पसंख्यक वोट बैंक के सहारे यूपी में लोकसभा चुनाव में पिछले रिकॉर्ड को बचाने में जुटी है। हाल ही में यूपी में हुए निकाय चुनाव में जिस तरह से बसपा ने 17 मेयर में से 11 मुस्लिम मेयर उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे।
संकेत वहीं से मिलने लगे थे कि बसपा 2024 में किस रणनीति के तहत उतरेगी। इतना ही नहीं, जब चुनाव से पहले दूसरे दलों के नेताओं की ज्वाइनिंग की बात हुई तब भी मुस्लिम नेताओं को ही तरजीह दी गई। फिर चाहे वो इमरान मसूद रहे हों या फिर इरफान मलिक। जो सपा और एआईएमआईएम छोड़कर बसपा में आए थे।
मायावती ने चार राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में तो अकेले चुनाव लड़ने का जिक्र किया। लेकिन पंजाब और हरियाणा के लिए रीजनल पार्टियों से गठबंधन का विकल्प खुल रखा है। लेकिन वहां भी कंडीशन अप्लाई है, जो दल न NDA के साथ हों और न ही इंडिया के साथ।
वैसे भी पंजाब में शिरोमणी अकाली दल के साथ बसपा का गठबंधन पहले रहा है। NDA की बैठक में भी वो शामिल नहीं हुई हैं। ऐसे में ये माना जा रहा है कि जल्द ही पंजाब में बसपा और शिरोमणी अकाली दल साथ आ सकते हैं।