ज्ञानवापी मंदिर है या मस्जिद? एएसआई सर्वे से सामने आएगा 353 साल की लड़ाई का सच

वाराणसी। मुगल शासक औरंगजेब के फरमान से वर्ष 1669 में आदिविश्वेश्वर का प्राचीन मंदिर ध्वस्त कर उसके ऊपर मस्जिद बनाने का दावा हिंदू पक्ष करता रहा है। इस आशय का तर्क जिला जज की अदालत में भी दिया गया। हिंदू पक्ष की तरफ से कहा गया कि वर्ष 1670 से ही लड़ाई लड़ी जा रही है। 353 वर्ष हो गए हैं। अब एएसआई सर्वे से ही सच सामने आएगा सुबह से सर्वे भी शुरू हो रहा है।

वहीं, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी में मस्जिद ही थी। मंदिर ध्वस्त करके उसके ऊपर नहीं बनाई गई है।

वैज्ञानिक जांच से ज्ञानवापी का सच सामने आ जाएगा। जो भी भ्रांतियां हैं, वह भी दूर हो जाएंगी। दरअसल, जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने राखी सिंह बनाम व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य के मुकदमे की सुनवाई के क्रम में 21 जुलाई को सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया है। 11 बिंदुओं के आदेश में अदालत ने एएसआई के निदेशक से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि विवादित भूमि पर खड़ी मौजूदा संरचना को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। वह जस की तस बरकरार रहे।

एएसआई के निदेशक मस्जिद के तीन गुंबदों के ठीक नीचे ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से सर्वेक्षण करें और यदि आवश्यक हो तो खोदाई करें। इमारत के पश्चिमी दीवार के नीचे सर्वे करें और खोदाई करें। सभी तहखानों की जमीन के नीचे सर्वे करें और यदि आवश्यक हो तो खोदाई करें।

एएसआई के निदेशक आराजी नंबर-9130 पर (सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सील वजूखाने को छोड़कर) वैज्ञानिक जांच / सर्वेक्षण / खुदाई करें। विस्तृत वैज्ञानिक जांच के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण, उत्खनन, डेटिंग पद्धति और अन्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग करें। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि क्या मौजूदा संरचना का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया है। मस्जिद की पश्चिमी दीवार की उम्र और प्रकृति का सर्वे भी होगा।

अदालत के आदेश के मुताबिक इमारत में पाई जाने वाली सभी कलाकृतियों की एक सूची तैयार की जाएगी। उन कलाकृतियों की उम्र और प्रकृति का पता लगाई जाएगी। इमारत की आयु, निर्माण की प्रकृति का भी पता लगाया जाएगा। जीपीआर सर्वेक्षण के साथ ही जहां भी आवश्यक होगा, वहां उत्खनन किया जाएगा।

ज्ञानवापी के मौजूदा निर्माण की प्रकृति और आयु का निर्धारण होगा। इसके लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएंगे। इमारत के विभिन्न हिस्सों और संरचना के नीचे मौजूद ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की कलाकृतियों और अन्य वस्तुओं का भी सर्वे होगा।

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