थाना कैंपस में इंस्पेक्टर ने किया सुसाइड, 19 दिन पहले उन्नाव में किया था ज्वॉइन

 

उन्नाव की सफीपुर कोतवाली के कोतवाल अशोक कुमार वर्मा (34) ने सुसाइड कर लिया। उनका शव थाना कैंपस में बने कमरे में फांसी पर लटका मिला है। 19 दिन पहले ही उन्होंने थाने में ज्वाइनिंग की थी। सुसाइड से कुछ देर पहले उनकी पत्नी से फोन पर बात हुई थी। थोड़ी देर बाद पत्नी ने कॉल किया तो फोन पिक नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने थाने के एक सिपाही विक्रांत गुर्जर को फोन किया। कहा कि साहब का फोन नहीं उठ रहा है। एक बार जाकर देखिएगा।

 

थाने से 10 कदम की दूरी पर कमरे में पहुंचकर विक्रांत ने दरवाजा खटखटाया। लेकिन, काफी देर तक कोई रिस्पांस नहीं मिला। इसके बाद उसने खिड़की खोलकर देखी तो इंस्पेक्टर का शव अंदर फंदे पर लटक रहा था। इंस्पेक्टर के सुसाइड का पता चलते ही थाने में कोहराम मच गया। तुरंत एसपी सिद्धार्थ शंकर मीणा समेत सीनियर अफसर मौके पर पहुंच गए।

 

एसपी सिद्धार्थ शंकर मीणा ने बताया कि सुसाइड के कुछ देर पहले अशोक कुमार वर्मा की पत्नी से बात हुई थी। सुसाइड क्यों किया? इसको लेकर जांच की जा रही है। परिवार को सूचना भेजी गई है। उनके आने पर स्थिति स्पष्ट होगी। डॉग स्क्वायड और फॉरेंसिक एक्सपर्ट को मौके पर बुलाया। टीम ने परिसर के अंदर और आवास में पहुंचकर घटना से संबंधित साक्ष्य जुटाए। हालांकि, प्रथम दृष्टया पुलिस सुसाइड की वजह पत्नी से विवाद और पारिवारिक कलह मान रही है।

 

इंस्पेक्टर अशोक वर्मा ने देर रात पिखी गांव से नाइट गश्त की। इसके बाद वह थाना आए। यहां रात 11 बजे तक काम निपटाया। इसके बाद थाना परिसर में सरकारी आवास में चले गए। आशंका है कि थोड़ी देर बाद ही उन्होंने सुसाइड कर लिया। एसपी ने थाने में मौजूद सिपाहियों से भी बात की। उन्होंने बताया कि वह किसी तरह के तनाव में नजर नहीं आ रहे थे। एकाएक क्या हुआ जो सुसाइड कर लिया? यह बात किसी को समझ नहीं आ रही है। फिलहाल, पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है।

अशोक कुमार वर्मा साल 2012 बैच में मृतक आश्रित कोटे में भर्ती हुए थे। उनके पिता का नाम विक्रम सिंह था। परिवार थाना नौगवां सादात जिला अमरोहा का रहने वाला था। पिता विक्रम दरोगा थे। उनकी बीमारी से मौत के बाद अशोक वर्मा को नौकरी मिली थी। परिवार में उनके 12 साल का बेटा और 13 साल की बेटी है।

जुलाई में ही लखनऊ रेंज के खीरी से उनका ट्रांसफर उन्नाव किया गया। 5 जुलाई को एसपी ने उनको सफीपुर कोतवाली का प्रभारी बनाया था। इस थाने के चर्चित परियर में युवती की गैंगरेप-हत्या मामले में 2 दिन पहले ही आरोपियों पर एनएसए की कार्रवाई की थी।
मृतक इंस्पेक्टर अशोक वर्मा का शव पोस्टमार्टम होने के बाद पुलिस लाइन पहुंचा। जहां उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर देकर मौजूद पुलिसकर्मियों ने 2 मिनट का मौन रखा।
इस दौरान डीएम अपूर्वा दुबे, एसपी सिद्धार्थ शंकर मीणा, अपर पुलिस अधीक्षक शशी शेखर सिंह, क्षेत्राधिकारी नगर आशुतोष कुमार, सीओ हसनगंज संतोष कुमार सिंह, सीओ ऋषिकांत शुक्ला, सीओ पंकज सिंह समेत जनपद के कई थानेदार मौजूद रहे। एसपी ने कंधा देकर शव को उनके गृह जनपद के लिए रवाना किया।
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