अयोध्या में एक तरफ भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है तो दूसरी तरफ शहर को वैश्विक नगरी बनाने के लिए हजारों करोड़ रुपये की परियाेजनाओं पर काम चल रहा है। खास बात यह है कि अयोध्या के विकास का मास्टर प्लान बनाने से पहले यरुशलम और वेटिकन सिटी जैसे तीर्थस्थलों की सुविधाओं और व्यवस्थाओं का अध्ययन किया गया है। यह जानकारी अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने हाल ही मे वाराणसी में हुए मंदिरों के सम्मेलन में दी।
सम्मेलन से लौटे विशाल सिंह ने बताया कि अयोध्या विजन-2047 के साथ हम भगवान राम की नगरी को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। सम्मेलन में हमने नव्य अयोध्या की एक तस्वीर प्रस्तुत करने की कोशिश की। इसी क्रम में यरुशलम और वेटिकन सिटी के अलावा देश के अंकोरवाट, पशुपतिनाथ, नासिक स्थित साईं मंदिर, तिरूमाला तिरुपति और सिद्धि विनायक जैसे राष्ट्रीय तीर्थ स्थलों का भी बारीकी से ऑडिट और निरीक्षण किया गया।
राममंदिर बन जाने के बाद यहां हर रोज करीब एक लाख श्रद्धालु व पर्यटक आएंगे। इसलिए अयोध्या के विकास का मास्टर प्लान गहन अध्ययन करने के बाद तैयार किया गया है। वर्तमान में अयोध्या को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करने के लिए 32 हजार करोड़ की परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
अयोध्या में वैश्विक पर्यटन को बढ़ावा मिल सके, इसलिए यहां से कनेक्टिविटी बढ़ाने पर फोकस है। नवंबर 2023 तक अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट संचालित हो जाएगा। इसके अलावा प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, नैमिषारण्य आदि शहरों से रेलवे कनेक्टिविटी बेहतर की जा रही है।
अयोध्या का निर्माण और उसका सौंदर्यीकरण विश्व स्तर का हो रहा है। 32 हजार करोड़ रुपए इन योजनाओं के लिए स्वीकृत किए जा चुके हैं।