राजस्थान सेंट्रल यूनिवर्सिटी की एक स्टूडेंट ने बुधवार रात फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। इस यूनिवर्सिटी में सुसाइड का ये 6 महीने में दूसरा मामला है।
इधर, इस घटना के बाद स्टूडेंट्स ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। हालांकि अभी तक स्टूडेंट के सुसाइड के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है।
मामला अजमेर के बांदर सिंदरी थाना क्षेत्र स्थित यूनिवर्सिटी में बुधवार रात 10:45 बजे का है। लद्दाख की रहने वाली फ़ुन्स्टॉग डोल्मा (28) सोशलवर्क डिपार्टमेन्ट की पीएचडी स्टूडेंट थी।
घटना की जानकारी के बाद यूनिवर्सिटी की एम्बुलेंस के जरिए उसे किशनगढ़ यज्ञनारायण अस्पताल ले जाया गया। जहां पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
पुलिस के अनुसार मृतक छात्रा कैंपस के हॉस्टल बी-1 में रहती थी। बताया जा रहा है कि आठ बजे फुन्स्टाॅग डोलमा ने खाना खाया था। इसके बाद वह अपने हॉस्टल के रूम में चली गई। अन्य गर्ल्स स्टूडेंट ने खिड़की से देखा तो पंखे पर लटकी हुई थी। इस पर वार्डन को सूचना दी गई।
फिर डोल्मा के रूम का दरवाजा तोड़ा गया और उसे नीचे उतारा गया। यहां से उसे यूनिवर्सिटी की डिस्पेंसरी लेकर गए, जहां प्राथमिक उपचार के बाद किशनगढ़ के सरकारी हॉस्पिटल ले गए।
हैरानी की बात ये भी है कि इसके बाद भी यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट की ओर से पुलिस को सूचना नहीं दी गई। जब मृतका को हॉस्पिटल ले जाया गया तो वहां से पुलिस को सूचना मिली।
इधर, जब सुसाइड की जानकारी दूसरे स्टूडेंट को मिली तो वे रात में ही धरने पर बैठ गए और 7 दिन में घटना की निष्पक्ष जां करने की मांग करने लगे।
स्टूडेन्ट का कहना रहा कि मेडिकल डिपार्टमेन्ट के लोगों ने ऑक्सीजन की जगह ड्रिप लगा दी। इससे उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और उसे किशनगढ़ लेकर गए तब तक मौत हो चुकी थी। अगर समय पर इलाज मिलता तो वह बच जाती। यूनिवर्सिटी प्रशासन पर लापरवाही व संसाधनों की कमी का आरोप लगाते प्रशासनिक भवन पर ताला जड़ दिया। समझाइश करने के लिए प्रशासन मौके पर है लेकिन स्टूडेन्ट्स मान नहीं रहे।
बांदरसिन्दरी थाना प्रभारी वीरेन्द्रसिंह शेखावत ने बताया कि हॉस्पिटल की ओर से सूचना मिली है। पुलिस रात को अस्पताल पहुंची। बॉडी मॉचर्यूरी में रखवा दी है। सुसाइड को लेकर कोई सूचना प्रशासन ने नहीं दी। न ही अब तक किसी की ओर से कोई रिपोर्ट मिली है।
इधर, इस सुसाइड के बाद अब भी स्टूडेंट्स का धरना जारी है। वे यूनिवर्सिटी के बाहर बैठ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
स्टूडेंट्स ने रखी ये मांगे
जांच की जाए कि ड्यूटी पर मौजूद नर्स क्यों अनुपस्थित थी और आपात स्थिति को संभालने के लिए कोई भी क्यों वहां मौजूद नहीं था। पीड़िता को अस्पताल ले जाने के लिए यूनिवर्सिटी का कोई कर्मचारी वहां क्यों नहीं था?
इस संबंध में हम अलग ड्राइवर के साथ कम से कम 2 एम्बुलेंस सेवा चाहते हैं। यह पता लगाया जाएगा कि एम्बुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर क्यों नहीं था और एम्बुलेंस B1 (घटना स्थल) पर क्यों नहीं आई थी।
छात्रों को आत्महत्या की पिछली घटना में हुई प्रगति के बारे में अपडेट रहना चाहिए। मामले की जांच के लिए कौन सी कमेटी बनाई गई है और रिपोर्ट व प्रगति को छात्रों के बीच सार्वजनिक किया जाए।
छात्र समुदाय आधिकारिक बयान पाने के लिए पूरी रात बारिश में इंतजार करता रहा लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन के लोगों ने सुबह तक प्रतिक्रिया दी। लापरवाही के लिए जिम्मेदारी तय की जाए और सख्त कार्रवाई की जाए।
छात्रों को सार्वजनिक रूप से धमकाने और इतने सारे छात्रों को मानसिक रूप से परेशान करने के लिए सिक्योरिटी ऑफिसर राजपाल सिंह रेवाड़ पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
यह सार्वजनिक करना होगा कि पुलिस किसकी इजाजत से कैंपस में दाखिल हुई है। जिस आधार पर पुलिस को बुलाया गया था उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए और सख्त कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए।