दरगाह अबुल हसन वारसी से हजरत कासिम की शहादत की यादगार में उठा मेहंदी का जुलूस

 

ब्यूरो संजीव शर्मा

 

कई जनपदों के श्रद्धालुओं ने लिया हिस्सा जुल्फकार अलम बने आकर्षण का मुख्य केंद्र

न्यूज़ वाणी इटावा । मोहर्रम की आठवीं तारीख को हजरत इमाम हुसैन एवं शहीदाने कर्बला की यादगार में हजरत कासिम की शहादत की याद में स्थानीय कटरा साहब खां स्थित दरगाह हज़रत अबुल हसन वारिसी से परंपरागत तरीके से मेंहदी का जुलूस उठाया गया।इस जुलूस मे हज़रत कासिम की यादगार में फूलों से सुसज्जित

तुगरा के साथ अलम चौकियां थी।जिसे श्रद्धालुजन सिर पर रखे हुए थे।इन अलम चौकियों और मेंहदी तुगरा को सर्व प्रथम मुहल्ला पंजाबियान स्थित मस्जिद के पास इमाम स्थान पर रखा गया ।जहां पर बारह अखाड़ों के उस्ताद और खलीफाओं ने परंपरागत तरीके से हजरत इमाम हुसैन व शहीदाने कर्बला को अपनी सलामी दी।यहां पर मेहंदी जुलूस के साथ चलने वाली अन्य झांकियां और बैंड एकत्रित हुए,जिन्होंने मातमी धुनों के साथ संयुक्त रूप से श्रृद्धासुमन हज़रत इमाम हुसैन ,हजरत कासिम व शहीदाने कर्बला के प्रति समर्पित किए।इसके बाद जुलूस पुरानी रवायत के अनुसार मरहूम शेख असद हुसैन वारिसी के निवास स्थान से गुजरा।जहां पर बड़ी संख्या में एकत्रित अकीदतमंद लोगों ने अपनी खिराजे अकीदत पेश की । हज़रत कासिम की यादगार को ताजा बनाए रखने के लिए यह ऐतिहासिक जुलूस बड़े अदबों, आदब के बड़ी शानों शौकत के साथ शहर के भ्रमण पर देर रात को उठा ।इस जुलूस के साथ दर्जनों झांकियां (तुगरे)अलम ध्वज व जुल्फकार थे, जिनमें चमचमाती तलवारें लटक रहीं थीं।

मेहंदी जुलूस में कई अलम ऐसे थे,जिन पर काबा ,मदीना व करबला के रोजा बने थे ,जो जनमानस के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र बने हुए थे।

जुलूस में बड़े ढोलों का काफिला भी था। और कई शहर के मशहूर बैंड भी थे,जो मातमी धुनें बजाकर तथा गमगीन मनकबत सुना कर अकीदतमंद (श्रद्दालुजनों) की आखें नम किए हुए थे।

मेहंदी जुलूस में गुजरात के महबूब शाह सहाब भी चल रहे थे। मेहंदी जुलूस के स्वागत के लिए कई जगह तोरण द्वार भी बनाए गए थे ।जगह-जगह लंगर की व्यवस्था की गई थी ।

जिन पर चाय, कॉफी, खीर, बिरयानी व खिचड़ा के साथ तमाम प्रकार की खाद्य सामग्री का वितरण किया जा रहा था। मेंटाडोरों पर ध्वनि विस्तारक यंत्र, लाउडस्पीकर व डीजे लगे थे, जो कर्बला का दर्दनाक मंजर बयां कर रहे थे। मेहंदी जुलूस के आगे अलमध्वज जुल्फकारों का काफिला चल रहा था ।तथा सबसे पीछे अलम चौकियों के साथ फूलों से सुसज्जित मेहंदी का तुगरा कमेटी के जिम्मेदार सिर पर रखकर चल रहे थे ।जुलूस की व्यवस्था में दरगाह अबुल हसन वारसी के आनरारी सेक्रेट्री हसनैन वारसी अपने हमनबाओं के साथ चल रहे थे। उनके साथ में मरहूम शान इलाही वारसी के परिजन जिनमें तहसीन इलाही ,साजिद हुसैन वारसी प्रमुख रूप से चल रहे थे ।हजरत कासिम की मेहंदी जुलूस की छटा देखने के लिए कई जनपदों के श्रद्धालुजन उमड़ पड़े। जुलूस में जावेद हसन वारसी,अजहरुद्दीन , गफ्फार ,फरीद वारिसी , मो. यूसुफ वारिसी,तहसीन इलाही, अरशद वारसी, अरशद ररुरत, दानिश वारसी, साजिद हुसैन वारसी, मसूद तैमूरी, मोहम्मद आमीन भाई , कौमी तहफ्फुज कमेटी के संयोजक खादिम अब्बास की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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