वाराणसी में ताजिया जुलूस को लेकर शिया-सुन्नी समुदाय में बवाल, 50 से अधिक घायल, कई वाहन क्षतिग्रस्त

वाराणसी में भारी सतर्कता और सुरक्षा की घेरेबंदी के बाद भी जैतपुरा इलाके के दोषीपुरा में मुहर्रम के जुलूस के दौरान बवाल हो गया। शनिवार शाम ताजिया जुलूस के दौरान शिया और सुन्नी भिड़ गए। कहासुनी के बाद दोनों पक्षों के बीच जमकर पथराव हुआ और तोड़फोड़ की गई। पथराव में पुलिसकर्मियों सहित 50 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

पुलिस की जीप व बाइक सहित 12 से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त कर दिए गए। पुलिस ने लाठी भांजकर पथराव कर रहे लोगों को खदेड़ा और माहौल को सामान्य कराया। 18 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। वहीं, घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस आयुक्त मुथा अशोक जैन और डीएम एस राजलिंगम ने क्षेत्र में कैंप किया।

मामले की संवेदशीलता को देखते हुए क्षेत्र में जैतपुरा सहित छह थानों की पुलिस फोर्स, पीएसी और आरएएफ तैनात की गई है। पुलिस आयुक्त मुथा अशोक जैन ने कहा कि घटना की जांच कराई जा रही है। जिन भी लोगों ने जानबूझकर माहौल बिगाड़ने का काम किया है, उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

दोषीपुरा इलाके में पथराव और तोड़फोड़ के कारण दो घंटे से ज्यादा समय तक माहौल अराजक रहा। भारी संख्या में पुलिस बल के आने के बावजूद उपद्रवी पथराव करने से बाज नहीं आए। पुलिस ने जब लाठी लेकर गलियों के भीतर तक खदेड़ना शुरू किया, तब जाकर स्थिति नियंत्रित हुई। इस बीच इलाके की महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग अपने घरों के भीतर दुबके नजर आए।

पथराव और तोड़फोड़ के बाद स्थिति सामान्य हुई तो पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसी कैमरों की फुटेज खंगाली है। डीवीआर से उपद्रव की फुटेज ली।क्षेत्र के अन्य सीसी कैमरों की फुटेज भी खंगाली जा रही है। साथ ही, दोषीपुरा इलाके के जिन लोगों ने पथराव और तोड़फोड़ की रिकॉर्डिंग मोबाइल से की थी, पुलिस ने उनसे वीडियो भी लिया है। जैतपुरा थाने की पुलिस ने कहा कि सीसी कैमरों की फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग की मदद से पथराव में शामिल एक-एक आरोपी को चिह्नित कर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी

पथराव के कारण शिया और सुन्नी समुदाय के लोगों के ताजिये क्षतिग्रस्त हो गए। इससे नाराज लोग ताजिया को दफनाने के लिए ले जाने से मना कर दिया और धरने पर बैठ गए। पुलिस आयुक्त ने सभी को समझा-बुझाकर शांत कराया और ठोस कार्रवाई का आश्वासन दिया। तब जाकर सभी माने और ताजिया लेकर आगे बढ़े। इसके साथ ही सुन्नी समुदाय के परंपरागत ताजियों को भी आगे के लिए रवाना किया गया। वहीं, जिन ताजिया को इजाजत नहीं थी, वह वापस दूसरे रास्ते से आगे बढ़े।

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.