लखनऊ। महिलाओं एवं बच्चों की सीमा पार तस्करी की रोकथाम एवं हिंसा मुक्त वातावरण के निर्माण के लिए सीमावर्ती जिलों में एक माह का विशेष अभियान शुरू किया गया है। इस दौरान विभिन्न सामाजिक संगठन, प्रबुद्धजन, सरकारी संस्थान, शासन, प्रशासन, ग्रामीण संस्थान, युवक मंगल दल, बाल अधिकार कमेटी एवं मीडिया समूहों के सहयोग से इस अभियान को सफल बनाने का प्रयास किया जाएगा।
इस अभियान से जुड़े निदेशक पुरु मयंक त्रिपाठी ने बताया कि केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी के निर्देशन में मानव तस्करी एवं बाल श्रम को कठोरता से रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। द एशिया फाउंडेशन एवं एएचटीयू, एसएसबी, पुलिस, सामाजिक संगठन, मीडिया, शासन तथा प्रशासन के सहयोग से अच्छे परिणाम हासिल हुए हैं। उन्होंने बताया कि मानव तस्करी की वैश्विक समस्या से भारत सहित दुनिया के तमाम देश बुरी तरह प्रभावित हैं। देश के 75 सीमावर्ती जिलों में बीते 25 वर्षों में 17 हजार से अधिक महिलाओं, लड़कियों एवं बच्चों को अवैध मानव तस्करी से बचाकर उनके घर तक पहुंचाने और पुनर्वास कराने का प्रयास किया गया है
तस्करों द्वारा गरीब तथा सामाजिक रूप से पिछड़े, आदिवासी समुदाय, अल्पसंख्यक वर्ग, महिलाओं एवं लड़कियों को निशाना बनाया जाता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2021 में तस्करी से बचाए गए लोगों में 3912 महिलाएं थीं। जिसमें उड़ीसा(1290), महाराष्ट्र (890), तेलंगाना (796) तथा दिल्ली (509) शामिल हैं।