कर बोर्ड का नया फरमान, पान मसाला और तंबाकू इंडस्ट्री को मीटर रीडिंग और कूड़े का भी देना होगा हिसाब

लखनऊ। पान मसाला और तंबाकू कारोबारियों के लिए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड ने विचित्र नियम जारी किया है। पहली बार इस सेक्टर से जुड़े कारोबारियों को विभाग को बताना होगा कि उनकी मशीनों की स्पीड कितनी है। एक मिनट में कितने पाउच निकलते हैं। बिजली के मीटर की रीडिंग सुबह और रात को कितनी थी। जनरेटर में कितना डीजल है। यहां तक कि फैक्टरी से रोजाना निकलने वाले कूड़े का भी हिसाब तौलकर देना होगा। ऐसी सारी जानकारियों के लिए अलग-अलग फार्मेट जारी किए गए हैं। इस तरह की सारी जानकारियों से विभाग खुद ही गणना करेगा कि फैक्टरी में कितना पान मसाला बनाया जा रहा है। तब टैक्स की देनदारी निकाली जाएगी। कारोबारियों को सारी जानकारी देने के लिए तीस दिन का समय दिया गया है।

मसाला और तंबाकू कारोबारियों को बताना होगा कि पाउच और डिब्बों में मसाला पैक करने वाली मशीन का मॉडल नंबर क्या है और किससे खरीदी है। ये भी बताना होगा कि मशीन कब खरीदी, कहां लगाई, मशीन में कितने ट्रैक हैं और एक ट्रैक से कितने पाउच या डिब्बे तैयार होते हैं। इतना ही नहीं एक मशीन एक घंटे में कितनी बिजली खाती है, इसकी जानकारी भी एक महीने के अंदर देना होगी। विभाग के पास ये सारी जानकारियां आते ही अधिकारी 15 दिन के अंदर कॉमन पोर्टल पर अपलोड करेंगे।

आधार की तरह अब हर पान मसाला मशीन का यूनीक आईडी कोड होगा। नई मशीन खरीदने के चौबीस घंटे के अंदर कारोबारी विभाग को सूचना देगा। पुरानी मशीन को हटाने की सूचना भी चौबीस घंटे में देनी होगी। मशीन क्यों हटाई, इसकी वजह भी बतानी होगी। प्रत्येक कारोबारी को प्रतिदिन का रिकार्ड देना होगा कि उसके पास सुबह कितना कच्चा माल था। कितने माल का इस्तेमाल किया। कितना माल कूड़ा निकल गया। इन सभी की माप वीडियो की निगरानी में इलेक्ट्रानिक कांटे पर करना होगी। आठ घंटे की एक शिफ्ट में कितना पान मसाला और तंबाकू तैयार हुआ, इसका शिफ्टवार ब्योरा देना होगा।

कारोबारियों को एक अलग फार्म में बताना होगा कि सुबह मीटर की रीडिंग कितनी थी और रात में कितने यूनिट बिजली की खपत की गई। साथ ही जनरेटर की रीडिंग और डीजल खपत का हिसाब भी देना होगा। इस आदेश के बाद छापों और जांच केे असीमित अधिकार जीएसटी अधिकाारियों के पास आ गए हैं।

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