6,000 कमाने वाला फैक्ट्री वर्कर का बेटा, गरीबी से लड़कर आज बना भारत का पहला क्रिप्टो अरबपति

गुजरात में अहमदाबाद के बाहरी इलाके में एक छोटे से घर में रहने वाले जयंती के पिता एक हीरा कारखाने में मजदूर थे. घर की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि कई बार जयंती को स्कूल की फीस भरने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था. उस समय उनकी यही इच्छा थी कि पढ़-लिख कर उन्हें एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी मिल जाए, जिससे वो पिता का कर्ज़ चुकाने में उनकी मदद कर सकें. स्कूल के दिनों में उनके परिवार के पास स्कूल की फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे. लेकिन सौभाग्य से उन्होंने 10वीं और 12वीं पास की और फिर पास के नडियाद में धर्मसिंह देसाई विश्वविद्यालय नामक एक कॉलेज में दाखिला लिया और वहां अपनी इंजीनियरिंग की

मेहनत के दमपर इंसान अपनी खुद की किस्मत भी लिख सकता है. जब आप किसी लक्ष्य को पाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं तो विपरीत परिस्थितियां भी आपके पक्ष में हो जाती हैं. एक फैक्ट्री कर्मचारी के बेटे ने इस बात को बहुत अच्छी तरह साबित किया है.

इस लड़के ने गरीबी का सामना करने से लेकर, 6,000 रुपये मासिक वेतन वाली नौकरी करने और फिर एक क्रिप्टो फर्म स्थापित कर शार्क टैंक जज मार्क क्यूबन को इसका निवेशक कई ऐसे काम कर दिखाए हैं जो सोचने में भी असंभव लगते हैं. एक फैक्ट्री कर्मचारी पिता के बेटे जयंती कनानी ने भारत के पहले क्रिप्टो अरबपतियों में से एक बन कर प्रेरणा की एक मिसाल खड़ी कर दी है.

मनी कंट्रोल के साथ एक साक्षात्कार में जयंती ने कहा था, “मेरा लक्ष्य एक अच्छी नौकरी पाना था और मेरे पिता ने हमारी शिक्षा और मेरी बहन की शादी के लिए जो कर्ज लिया था, उसे चुकाना था. इसलिए मैं पुणे में पर्सिस्टेंट सिस्टम्स में शामिल हो गया. मेरा वेतन 6,000 रुपये प्रति माह था. मेरे पिता भी दृष्टि संबंधी समस्याओं के कारण हीरों का आकार नहीं देख पाते थे, जिसके कारण वो सेवानिवृत्त हो गए. इसलिए मुझे अपनी अगली नौकरी तलाशनी पड़ी और सौभाग्य से मुझे नौकरी मिल गई.”

उन्होंने आगे कहा था, “मैं मल्टीपल साइड प्रोजेक्ट्स पर काम करता था. मैं सुमित मनियार के स्टार्टअप से जुड़ा, जिसने बाद में रुपेक शुरू किया. फिर मैं हाउसिंग डॉट कॉम से जुड़ा और फिर मैटिक शुरू किया. किसी समय, मैं कर्ज में डूबा हुआ था क्योंकि मैंने भी कर्ज लिया था शादी करने के लिए. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक अरब डॉलर की कंपनी शुरू करूंगा.”

निश्चित रूप से, नियति ने उनके लिए उनकी सोच से भी कहीं बेहतर योजनाएं बनाई थीं. जब उनसे पूछा गया कि वह अपने परिवार को अपने उद्यम के बारे में कैसे बताते हैं, तो कनानी ने कहा, “ईमानदारी से कहूं तो, मेरा परिवार पॉलीगॉन को नहीं समझता है. मुझे यकीन नहीं है कि मेरे माता-पिता समझते हैं कि मैं क्या करता हूं, इसलिए उन्हें समझाने के लिए मेरे पास कोई रास्ता नहीं है. जो लोग समझ सकते हैं, मैं बस इतना कह सकता हूं कि मैं बैंकिंग और हर चीज के लिए अगले भविष्य के बुनियादी ढांचे का विस्तार से निर्माण कर रहा हूं.” शार्क टैंक जज और अरबपति मार्क क्यूबन, जयंती के मैटिक में निवेशक होने से पहले, इसके उपयोगकर्ता थे. वह कथित तौर पर पॉली एप्लिकेशन का अक्सर उपयोग करते थे.

उन्होंने कहा, ईमानदारी से कहूं तो इससे भी निवेश को बढ़ावा मिला. तो हमने सोचा, चलो उनसे पूछें कि क्या वह निवेश में रुचि रखते हैं? फिर हम उनके पास पहुंचे और वह पॉलीगॉन में निवेश करने के लिए खुशी खुशी तैयार हो गए. मुझे लगता है कि हम भारत से बाहर पहली क्रिप्टो परियोजना हैं जिनमें उन्होंने निवेश किया है. यह भारतीय इकोसिस्टम के लिए भी एक महान क्षण है.”

क्रिप्टो फर्म पॉलीगॉन की स्थापना 2017 में हुई थी. इसके वर्तमान नाम के साथ पुनः ब्रांडेड होने से पहले इसे मैटिक कहा जाता था. इसकी स्थापना मुंबई के चार सॉफ्टवेयर इंजीनियरों द्वारा की गई थी. जिनमें जयंती कनानी, संदीप नेलवाल, अनुराग अर्जुन और मिहेलो बजेलिक शामिल थे. यह डिजिटल कॉइन एथेरियम को अधिक सुलभ बनाता है और इसका उपयोग विकेंद्रीकृत वित्त (डीएफआई) और अपूरणीय टोकन (एनएफटी) और विकेंद्रीकृत स्वायत्त संगठनों (डीएओ) जैसे अन्य विकेंद्रीकृत ऐप (डीएपी) विकसित करने के लिए किया जा सकता है. इसे बाजार पूंजीकरण के हिसाब से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी एथेरियम पर उच्च शुल्क और धीमी लेनदेन की समस्या को हल करने के लिए बनाया गया था.

कंपनी का बड़ा आकर्षण तब आया जब उसने 2021 में अरबपति मार्क क्यूबन से ‘बड़ा निवेश’ जुटाया. एक साल बाद कंपनी ने पॉलीगॉन स्टूडियो का नेतृत्व करने के लिए YouTube के गेमिंग प्रमुख रयान व्याट को शामिल किया. फिर फरवरी 2022 में, कंपनी ने सिकोइया कैपिटल इंडिया, सॉफ्टबैंक विजन फंड 2, गैलेक्सी डिजिटल, गैलेक्सी इंटरएक्टिव, टाइगर ग्लोबल, रिपब्लिक कैपिटल और अन्य सहित 40 से अधिक उद्यम पूंजी फर्मों से 450 मिलियन डॉलर जुटाए. केवल 6 वर्षों में ही पॉलीगोन ने काफी सफलता हासिल की है. कंपनी की मौजूदा वैल्‍यू 55 हजार करोड़ रुपये आंकी गई है.

 

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