आजमगढ़ मामले की पूरी कहानी, मौत से पहले प्रिंसिपल के कमरे के बाहर दिखी थी छात्रा, उसके साथ उस दिन क्या-क्या हुआ

 

आजमगढ़ के चिल्ड्रन गर्ल्स कॉलेज में छात्रा की संदिग्ध मौत का मामला बढ़ता ही जा रहा है।प्रधानाचार्या व शिक्षक की गिरफ्तारी को लेकर सीबीएसई स्कूल मैनेजर्स एसोसिएशन लामबंद हो गया है। उसने पूरे प्रदेश में आठ अगस्त यानी मंगलवार को प्राइवेट स्कूलों को बंद रखने का एलान कर दिया। वहीं स्कूलों की तानाशाही रवैया को लेकर अभिभावक संघ भी लामबंद हो गया है। वह भी नौ अगस्त यानी बुधवार को स्कूलों में बच्चों को न भेजने की अपील कर रहे हैं।

संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद यादव ने 31 जुलाई को चिल्ड्रन गर्ल्स कॉलेज में हुई घटना को दुखद बताया। साथ ही उन्होने इस घटना में स्कूल के प्रधानाचार्या व शिक्षक की गिरफ्तारी को अनुचित ठहराया है। वहीं उत्तर प्रदेश अभिभावक महासंघ के सचिव गोविंद दुबे ने पूरे प्रदेश की जनता से अपील किया कि स्कूलों के इन तानाशाही रवैया के खिलाफ वह सब भी अपनी आवाज बुलंद करेंगे। अपील की कि नौ अगस्त को अपने बच्चों को स्कूल न भेजें।

दरअसल, रानी की सराय थाना क्षेत्र की रहने वाली एक 17 वर्षीय किशोरी श्रेया तिवारी सिधारी थाना क्षेत्र के हरवंशपुर स्थित चिल्ड्रन गर्ल्स कॉलेज में 11वीं की छात्रा थी। 31 जुलाई, सोमवार को संदिग्ध परिस्थितियों में उसने विद्यालय की बिल्डिंग से कूदकर अपनी जान दे दी।

छात्रा की मौत के बाद कई घंटों तक परिजनों को सूचना नहीं दी गई। इतना ही नहीं परिजनों को सूचना दिए बगैर ही उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक भी ले जाया गया। परिजनों ने विद्यालय प्रशासन पर सोमवार को ही कई गंभीर आरोप लगाए थे। इस मामले में सिधारी थाने में प्रधानाचार्या व क्लास टीचर के खिलाफ हत्या का मुकदमा भी पंजीकृत कराया गया। दूसरे दिन मंगलवार को परिजना एसपी कार्यालय पहुंच कर मुलाकात कर विद्यालय प्रबंधक के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग किये थे। उक्त मामले में पुलिस ने हत्या आरोपित प्रधानाचार्य सोनम मिश्र पत्नी प्रणव मिश्रा निवासी 10/58 खत्री टोला, चौक शहर कोतवाली और क्लास टीचर अभिषेक राय पुत्र हरेन्द्र निवासी कृष्णा बिहार गली ख्वाजा जहांपुर थाना कोतवाली जनपद मऊ को गुरुवार की सुबह गिरफ्तार कर लिया।

पूछताछ में प्रिंसिपल व टीचर ने बताया कि श्रेया के बैग से मोबाइल बरामद हुआ था। जिसके लिए उसे डांटा फटकारा गया था और परिजनों को फोन किया गया था। सजा के तौर पर प्रधानाचार्य के ऑफिस के बाहर खड़ा किया गया था और परिजनों के आने का इंतजार हो रहा था। जिसके कारण खुद अपमानित महसूस करते हुए उसने इस तरह की घटना को अंजाम दिया।

 

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