भीख मंगवाने वाले गंदे ‘मम्मी-पापा’, 5 साल से छोटे बच्चों को बनाते टारगेट; अय्याशी के लिए ढूंढा नया तरीका
राजस्थान में बच्चे चुराने वाले बंटी-बबली सक्रिय हैं। 30 साल का युवक और उसकी 40 साल की प्रेमिका भीलवाड़ा, जोधपुर और दिल्ली में बच्चा चोरी की वारदात को अंजाम दे चुके हैं।
किडनैपिंग से पहले ये बंटी-बबली रैकी करके अपना टारगेट आइडेंटिफाई करते। इसके बाद बच्चे के परिवार से मेलजोल बढ़ाते। जब पूरी तरह परिवार का विश्वास जीत लेते तो एक दिन मौका पाकर बच्चे को लेकर फरार हो जाते।
इसके बाद उन मासूमों से रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, मंदिर-मस्जिद के सामने भीख मंगवाते। जो बच्चा भीख मांगने से इनकार करता, उसे जानवरों की तरह पीटते थे।
3 अगस्त 2023 को भीलवाड़ा शहर में 3 साल की बच्ची के अपहरण की FIR दर्ज हुई। पुलिस ने मामले में इंवेस्टिगेट किया तो इस बच्चा चोर बंटी-बबली का सच सामने आया। पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड और उसकी गर्लफ्रेंड को गुजरात के दाहोद से गिरफ्तार किया है। दोनों ने पुलिस के सामने कई राज उगले हैं।
गैंग के सरगना के कई नाम हैं, बालू सिंह उर्फ बजरंग सिंह उर्फ नरेंद्र सिंह उर्फ करण सिंह। नरेंद्र सिंह मूल रूप से भीलवाड़ा जिले के मंडोल गांव का रहने वाला है। जब वो 6-7 साल का था तभी उसके माता-पिता की मौत हो गई। इसके बाद एक दिन अचानक वह गांव से गायब हो गया।
अचानक 10 साल पहले साल 2013-14 में वह दोबारा गांव लौटा। यहां सभी से घुल-मिल गया। इसके बाद एक दिन अपनी काकी को प्रेम जाल में फंसा कर ही गांव से लेकर भाग गया।
गांव वालों ने दबाव डाला तो 8-10 दिन बाद उसने काकी को वापस गांव भेज दिया। इस घटना के बाद उसे फिर किसी ने मंडोल या आसपास के भी किसी गांव में नहीं देखा।
बच्चा चोरी के आरोप में नरेंद्र सिंह और गीता को 6 अगस्त को गिरफ्तार किया गया है। दोनों के पास से अगवा किए गए 3 बच्चों को भी छुड़ाया गया है।
फिलहाल पुलिस पूछताछ में गीता को लेकर कोई विशेष जानकारी सामने नहीं आई है। हालांकि उसने खुद को राजस्थान के सरवाड़ की रहने वाली और नरेंद्र सिंह की पत्नी बताया है।
पूछताछ में ये भी पता चला है, कुछ सालों पहले गीता और नरेंद्र सिंह की नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ही मुलाकात हुई थी। तब नरेंद्र रेलवे स्टेशन पर मजदूरी करता था। शादीशुदा गीता अपने पति के घर से भागकर वहां पहुंची थी।
दोनों में प्यार हो गया और दोनों पति-पत्नी की तरह साथ रहने लगे। यहीं दोनों ने मिलकर प्लान बनाया कि अब मजदूरी कर गरीबी की जिंदगी नहीं जीनी है।
दोनों को पता था कि वे दिन भर मजदूरी करने के बाद भी जितना नहीं कमा पाते हैं, उससे कहीं ज्यादा रेलवे स्टेशनों पर भिखारी कमा लेते थे। हालांकि उन्हें ये भी पता था कि भीख भी दिव्यांग भिखारियों को ज्यादा मिलती है। इसके अलावा उन्होंने स्टेशन पर देखा कि छोटे-छोटे बच्चों को भीख में ज्यादा पैसे मिलते हैं। इसके बाद दोनों ने प्लान बनाया कि वो अलग-अलग शहरों से बच्चे किडनैप करेंगे और उनसे भीख मंगवाएंगे।
3-4 साल के बच्चे टारगेट : पुलिस पड़ताल में पता चला कि दोनों हमेशा 3 से 4 साल के बच्चों को ही अपना टारगेट बनाते थे। ऐसा इसलिए कि थोड़े टाइम बाद बच्चे अपने परिवार को भूल जाएं और उन दोनों को ही अपने मम्मी-पापा मानने लग जाएं।
गरीब घरों के बच्चे उठाते : दोनों झोपड़पट्टियों में रहने वाले गरीबों और प्रवासी मजदूरों के बच्चों को निशाना बनाते, क्योंकि उन्हें पता था कि ऐसे बच्चों को किडनैप करने के बाद उनके मां-बाप ज्यादा तलाश या खोज नहीं कर पाएंगे।
परिवार से मेलजोल बढ़ाते : बच्चा चोरी करने से पहले वे बच्चे और उसके परिवार से फर्जी नाम के साथ मिलते और मेलजोल बढ़ाते ताकि किडनैपिंग को आसानी से अंजाम दे सकें और एक-दो दिन तक बच्चा कोई परेशानी न बन पाए।
दोनों ने सबसे पहले दिल्ली में ही एक नेपाली दंपती की बच्ची का किडनैप किया। इसके बाद करीब 4 साल पहले जोधपुर के शास्त्रीनगर इलाके से 3 साल का बच्चे को अगवा किया। इसी साल अगस्त में भीलवाड़ा शहर से 3 साल की बच्ची का अपहरण किया। तीनों बच्चों को दोनों ने इस तरह डरा रखा तो वे अपने मम्मी-पापा का नाम गीता और नरेंद्र सिंह ही बताते थे।
गुजरात में दाहोद जिले के SP राजदीप सिंह झाला ने बताया कि राजस्थान की भीलवाड़ा पुलिस ने हमें कुछ सीसीटीवी फुटेज शेयर किए थे। उन्होंने आशंका जताई ही कि फुटेज में दिख रहे महिला-पुरुष भीलवाड़ा शहर से एक 3 साल की बच्ची को उठाकर भागे हैं। अब ये एमपी के रास्ते गुजरात आ सकते हैं।
मामले की सेंसेटिविटी को देखते हुए हमने सभी पुलिस थानों और रेलवे स्टेशनों पर इस सीसीटीवी फुटेज को लेकर अलर्ट कर दिया था। 4 अगस्त को दाहोद रेलवे स्टेशन के बाहर हमारे एक हेड कॉन्स्टेबल ने दोनों को देखा। गौर से देखा तो उनके साथ चल रहे 3 बच्चों में से एक का चेहरा उनसे बिलकुल अलग दिख रहा था।
हेड कॉन्स्टेबल ने तुरंत सीनियर अधिकारियों को जानकारी दी। इसके बाद दाहोद पुलिस ने दबिश देकर दोनों को हिरासत में ले लिया। पूछताछ में दोनों ने एक दूसरे को पति-पत्नी और अपना नाम नरेंद्र व गीता बताया।
दोनों ने तीनों बच्चों को भी अपना बताया। बार-बार पूछताछ के बाद भी वे यहीं बात बता रहे थे और बच्चे भी उन्हें ही अपने मम्मी-पापा बता रहे थे। आखिरकार दाहोद पुलिस ने ये जानकारी भीलवाड़ा पुलिस को दी। इसके बाद तीनों बच्चों की फोटो भी भीलवाड़ा पुलिस से शेयर की गई। इनमे से एक की पहचान भीलवाड़ा से 3 अगस्त को अगवा हुई बच्ची के रूप में हो गई।
इसके बाद जब सख्ती हुई तो दोनों ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया। उन्होंने बताया कि वे इन बच्चों से भीख मंगवाते थे। इसके बाद दाहोद पुलिस ने दोनों आरोपियों को भीलवाड़ा पुलिस के सुपुर्द कर दिया। वहीं, तीनों बच्चों को CWC दाहोद के समक्ष पेश कर उनके संरक्षण में भिजवा दिया। जाेधपुर से अगवा बच्चे की उम्र 7 साल, दिल्ली और भीलवाड़ा से किडनैप बच्ची की उम्र 5 और 3 साल है।
भीलवाड़ा शहर कोतवाली थाने की इंचार्ज ट्रेनी RPS मेघा गोयल ने बताया कि जोधपुर से अगवा किए गए बच्चे ने उन्हें बताया, जब वो भीख मांगने से मना कर देता तो गीता और नरेंद्र उसे जानवरों की तरह पट्टे से मारते। उसे हमेशा डराकर रखते थे। उसी बच्चे ने पुलिस को बताया कि कभी-कभी नरेंद्र, गीता की भी पिटाई करता था। वह उसे भी पट्टे से मारता था। हालांकि इसके बावजूद गीता नरेंद्र का साथ नहीं छोड़ रही थी। फिलहाल ये भी जांच की जा रही है कि इन तीन बच्चों के अलावा उन्होंने और कहीं बच्चा चोरी की घटना को तो अंजाम नहीं दिया।
जोधपुर शहर के शास्त्रीनगर थाने के SHO जोगेंद्र कड़वासड़ा ने बताया कि झोपड़पट्टी में रहने वाले उस बच्चे को दादी के पास से अगवा किया गया था। घटना के वक्त बच्चे के माता-पिता घर में नहीं थे। वहीं अगवा करने वाला शख्स 10-12 दिन से रोजाना दादी के पास आ-जा रहा था। एक दिन अचानक टॉफी दिलाने के बहाने से वह 3 साल के बच्चे को अपने साथ ले गया था।
गुजरात पुलिस की सूचना पर हम 4 साल पहले अगवा हुए उस बच्चे को दाहोद से लेकर आए हैं। उसे CWC के समक्ष पेश किया, जहां से बच्चे को उसके मां-बाप को सौंप दिया गया। हालांकि DNA जांच के लिए बच्चे के सैंपल ले लिए गए हैं। रिपोर्ट 2 महीने में आ जाएगी। वहीं, आरोपियों गीता और नरेंद्र को प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार कर जोधपुर भी लाया जाएगा ताकि बच्चा चोरी की दूसरी घटनाओं को लेकर भी पूछताछ की जा सके।
दाहोद एसपी राजदीप सिंह झाला ने बताया कि तीसरी बच्ची के माता-पिता का पता नहीं चल पाया है। फिलहाल ये ही पता चला है कि उसे दिल्ली रेलवे स्टेशन से अगवा किया गया था। फिलहाल बच्ची को हमने CWC के संरक्षण में दे दिया है।