बीते माह के अंतिम दिन नूंह में जलाभिषेक यात्रा पर पथराव, फायरिंग, छह लोगों की मौत और 70 से ज्यादा घायलों और इसके बाद लगे कर्फ्यू के बीच एक राहत भरी खबर भी है। इस हिंसा के बाद पुलिस की सख्ती, कर्फ्यू और इंटरनेट पर प्रतिबंध का असर यह भी रहा कि दक्षिण हरियाणा के चार जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल और नूंह में साइबर ठगी की वारदात पर विराम लग गया।
इन जिलों में जहां प्रतिदिन साइबर ठगी की 10 से 15 एफआईआर दर्ज की जाती थीं, वहीं बीते 12 दिनों में नूंह, पलवल और गुरुग्राम में एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ।
कुछ माह पूर्व ही नूंह को मिनी जामताड़ा की संज्ञा उस समय दी गई थी, जब करीब पांच हजार पुलिसकर्मियों की विभिन्न टीमों ने एक साथ नूंह के गांवों में दबिश की कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई में 200 से ज्यादा साइबर अपराधियों का नेटवर्क ध्वस्त किया गया था। यह वह साइबर ठग थे जोकि नूंह की जमीन से देश भर में साइबर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे थे। इनमें से कुछ अपराधी तो साइबर ठगी की क्लास जामताड़ा से ही लेकर आए थे।
खुलासा तो यहां तक हुआ था कि नूंह से बैठकर ही कुछ साइबर ठग ऑनलाइन ठगी की क्लास तक संचालित कर रहे थे। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद ट्रक लूट, वाहनचोरी, एटीएम लूट और गोकशी के मामलों में चर्चित रहने वाला नूंह मिनी जामताड़ा के रूप में उबरकर सामने आया था। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद पहली बार पता चला था कि नूंह के गांवों से नवयुवकों और नाबालिगों की फौज देश भर में साइबर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे थे।
पुलिस आंकड़े बताते हैं कि 31 जुलाई को नूंह में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद से गुुरुग्राम, पलवल और नूंह में साइबर ठगी का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। यही हाल नूंह और पलवल जिले का है। यहां भी दंगों के बाद से साइबर ठगी का कोई मामला पुलिस तक नहीं पहुंचा है। पुलिस अधिकारी भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि साइबर ठगी के मामलों में लगातार चर्चा में रहने वाले दक्षिण हरियाणा के इन चार जिलों में हिंसा के बाद से साइबर ठगी का कोई मामला सामने नहीं आया है।