सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस, पीएम मोदी ने जताया शोक

नई दिल्ली। सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को निधन हो गया। डॉ. पाठक ने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली है। इनका पार्थिव शरीर बुधवार को सुबह करीब छह बजे महावीर एंक्लेव स्थित सुलभ ग्राम लाया जाएगा।

वह मंगलवार को सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर अपने आवास महावीर एंक्लेव स्थित सुलभ ग्राम पहुंचे। यहां करीब 11 बजे ध्वजारोहण हुआ। करीब पांच मिनट इन्होंने वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया। इसके कुछ देर बाद इन्हें सांस लेने में थोड़ी दिक्कत महसूस हुई। करीब 12 बजकर 50 मिनट पर इनकी बेचैनी काफी बढ़ गई

इन्होंने स्वयं एम्स के चिकित्सक  से बात की। इसके बाद ये पूरे होश में एम्स निकले। डॉक्टरों ने उन्हें सीपीआर (कार्डियक पल्मोनरी रिससिटेशन) देकर धड़कन ठीक करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।  करीब 1 बजकर 42 मिनट पर इन्होंने अंतिम सांस ली।

डॉ. बिंदेश्वर पाठक मूल रूप से बिहार के वैशाली जिला स्थित रामपुर बघेल गांव के रहने वाले थे। बता दें कि वर्ष 1991 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। डॉक्टर पाठक द्वारा स्थापित शौचालय संग्रहालय को टाइम पत्रिका ने दुनिया के 10 सर्वाधिक अनूठे संग्रहालय में स्थान दिया था।

महावीर एंक्लेव स्थित सुलभ ग्राम में स्थापित इस संग्रहालय में देश विदेश के अनेक लोग पहुंच चुके हैं। सिर पर मैला ढोने की प्रथा की समाप्ति के इनके द्वारा किये गए कार्यों को पूरी दुनिया में तारीफ मिली।डॉक्टर पाठक ने वर्ष 1970 में सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की थी।

सुलभ के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने कहा कि डॉ. बिंदेश्वर पाठक जी का निधन हमारे देश के लिए एक गहरी क्षति है। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जिन्होंने सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया।

मोदी ने ट्वीट करके लिखा कि बिंदेश्वर जी ने स्वच्छ भारत के निर्माण को अपना मिशन बना लिया। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को जबरदस्त समर्थन प्रदान किया। हमारी विभिन्न बातचीत के दौरान स्वच्छता के प्रति उनका जुनून हमेशा दिखता रहा। उनका काम कई लोगों को प्रेरणा देता रहेगा। इस कठिन समय में उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएँ।

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