जबड़े, दांत व चेहरे की हड्डी के अंदरूनी हिस्से की समस्याओं का पता लगाना होगा आसान, बीएचयू में इटली से आई खास मशीन

वाराणसी, मरीज के जबड़े, दांत, चेहरे की हड्डी और नाक के अंदरूनी हिस्से की समस्याओं का पता लगाना अब आसान होगा। प्रदेश की दूसरी 3-डी (थ्री-डायमेंशन) मशीन सीबीसीटी (कोन बीम कंप्यूटेड टोमोग्राफी) बीएचयू के दंत चिकित्सा विज्ञान संकाय में स्थापित की गई है। इटली की न्यूटाम कंपनी की यह मशीन जबड़ों की थ्री-डी स्कैनिंग करता है। यह सिर्फ 30 सेकेंड में 150 से 200 कोण में तस्वीरें देता है। सटीक रिपोर्ट मिलने से दांत प्रत्यारोपण में भी सहूलियत हो रही है।

एक माह के परीक्षण के बाद मशीन से प्रतिदिन 12 से 15 टेस्ट हो रहे हैं। सिर्फ 1275 रुपये शुल्क जमाकर दांत के अंदरुनी हिस्से और चेहरे की हड्डियों के इलाज में मदद मिल रही है। अभी तक इस जांच के लिए मरीज को निजी पैथलाजी पर निर्भर रहना पड़ता था और 4000 से 4500 रुपये तक खर्च करने पड़ते थे। रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठते थे। यह मशीन अभी प्रदेश में सिर्फ किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ में ही है।

सीटी स्कैन की तुलना में इस मशीन से 90 प्रतिशत कम विकिरण का जोखिम होगा। तेज शोर से भी मुक्ति मिलेगी। स्कैन प्रक्रिया दर्द रहित होगी। कोन बीम स्कैन मरीज के मुंह और चेहरे के अंदर की छवियां प्रदान करता है। उपकरण मरीज के सिर के चारों ओर घूमता है। यह अंतर्निहित हड्डी संरचना, तंत्रिका मार्ग के अलावा नरम ऊतकों के मूल्यांकन में मदद करता है।

हड्डी के कैंसर, ट्यूमर के अलावा दांत की जड़ में संक्रमण, रूट कैनाल, मसूड़ों के उपचार में मदद मिलेगी। दंत चिकित्सा विज्ञान संस्थान के ओरल मेडिसिन व रेडियोलाजी प्रभारी डा. आदित ने बताया कि एनेस्थीसिया वर्क्स स्टेशन का निर्माण किया जाना है। इसके लिए टेंडर जारी किया गया है। यह सर्जरी के दौरान बेहोश करने के काम आएगा। एक लेजर मशीन भी मिलेगी। इससे खून निकले बिना दांत व जबड़ों की सर्जरी की जा सकेगी।

दंत चिकित्सा विज्ञान संकाय के डीन प्रो. विनय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि नए उपकरण के स्थापित होने से शोध में काफी सहूलियत हो रही है। मरीजों के उपचार में भी मदद मिल रही है।

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