नई दिल्ली। आम छात्रों की तर्ज पर अब नेत्रहीन छात्र भी डायग्राम के साथ गणित और विज्ञान की पढ़ाई कर सकेंगे। आईआईटी दिल्ली और रेज्ड लाइन फाउंडेशन के विशेषज्ञों ने पांच साल की रिसर्च के बाद देशभर के स्कूली पाठ्यक्रम पर आधारित ‘टैक्टाइल स्टेम’ किट तैयार की है। खास बात यह है कि अब यह स्कूली विशेष बच्चे ब्रेल पेपर पर ज्योमेट्री के डायग्राम भी बना सकेंगे। इसके अलावा तीन से छह साल के बच्चे ब्लॉक्स की मदद से जमा, घटाव, गुणा भी सीख पाएंगे।
आईआईटी दिल्ली कैंपस में शुक्रवार को आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर और रेज्ड लाइन फाउंडेशन के निदेशक प्रोफेसर एम बालाकृष्णन समेत अन्य अधिकारियों ने नेत्रहीन स्कूली बच्चों के लिए देश की पहली ‘टैक्टाइल स्टेम’ किट लांच की है। अब यह देशभर के स्कूलों में उपलब्ध करवायी जाएंगी, ताकि नेत्रहीन छात्र भी आसानी से आम बच्चों की तर्ज पर गणित और विज्ञान की पढ़ाई कर सकें। आईआईटी ने गणित और विज्ञान की किताबों के अलावा जोजो ब्लॉक्स, ज्योमेट्री डायग्राम की किताबें जारी की गयी हैं।
आईआईटी दिल्ली के रेज्ड लाइन फाउंडेशन के संस्थापक पुल्कित सापरा ने बताया कि अभी तक नेत्रहीन छात्रों के लिए गणित और विज्ञान में ब्रेल में लिखित और ऑडियो बुक्स उपलब्ध हैं। लेकिन ब्रेल में डायग्राम नहीं आ सकते है तो उसको हटा दिया जाता है। क्योंकि अभी तक ऐसी कोई तकनीक ही उपलब्ध नहीं थी। इसलिए नेत्रहीन छात्र गणित और विज्ञान विषय की पढ़ाई डायग्राम के बिना करते थे, जोकि अधूरी प्रक्रिया है। इसीलिए वर्ष 2014 में केंद्र सरकार के आईटी मंत्रालय की फंडिंग से आईआईटी दिल्ली में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन टेक्टाइल ग्राफिक्स का गठन किया गया। इसका मकसद ऐसी तकनीक इजाद करना था, ताकि गणित और विज्ञान की किताबों में डायग्राम को शामिल करना था। इसके अलावा ऐसी तकनीक बनानी थी, जिससे डायग्राम ब्रेल की तरह उभरकर आये, सस्ती तकनीक और प्रोडेक्शन हो सके। विशेषज्ञों ने 2018 में तकनीक तैयार की और रेज्ड लाइन फाउंडेशन का गठन किया। इसके बाद उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड समेत 26 राज्यों में इसका स्कूलों में ट्रायल होता रहा। फीडबैक के आधार पर बदलाव और आखिरकार पांच सालों के बाद ‘टैक्टाइल स्टेम’ किट को मंजूरी के साथ किताबें भी तैयार हो गयी है।
देशभर के सभी प्रदेश शिक्षा बोर्ड और एनसीईआरटी पाठ्यक्रम से पहली से 10वीं कक्षा के गणित और विज्ञान विषय की किताबों को अलग-अलग बनाने की बजाय एक ही किताब (मल्टीपल वॉल्यूम) में जोड़ा गया है। क्योंकि डायग्राम तो एक ही जैसे होते हैं। इस अध्ययन और डायग्राम को किताब में शामिल करने के लिए मुंबई के जेवियर्स रिसोर्स सेंटर फॉर द विजुअली चैलेंज्ड के विशेषज्ञों ने मदद की है। मैथ्स विषय में पहली से 10वीं कक्षा तक की किताबों को डायग्राम के साथ जोड़ा गया है। जबकि विज्ञान विषय में चौथी से दसवीं कक्षा तक की किताब तैयार की गयी हैं। इनके डायग्राम बनाने के लिए एक खास तकनीक तैयार की गयी है, जिसमें ढांचा के माध्यम से एक्सप्रेशन ऊपर आ जाता है। इसे नेत्रहीन बच्चा ‘ छूकर ‘ उस डायग्राम को समझ सकता है।
ज्योमेट्री के डायग्राम के लिए ‘ जियोम किट ‘ तैयार करने का मकसद इन विशेष बच्चों को सशक्त बनाना था। इसमें 34 टूल प्रयोग किये हैं। इसकी मदद से चौथी से 10वीं कक्षा के छात्र ज्योमेट्री के अपने पाठ्यक्रम के अनुसार ब्रेल पेपर पर अब सभी डायग्राम बना सकेंगे।
मॉइक्रोसॉफ्ट रिसर्च इंडिया बंगलुरू के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत अर्ली चाइल्डहुड यानी तीन से छह साल के बच्चों के लिए ‘जो-जो ‘ ब्लॉक तैयार किया गया है। इसमें एक से 12 नंबर तक के 150 ब्लॉक्स हैं। विशेष बच्चे इन ब्लाॅक्स को बनाने के दौरान गणित का जमा, घटाव व गुणा आसानी से खेलते-खेलते सीख जाएंगे।