10 मिनट की फिल्म ने ली डायरेक्टर की जान, आतंकियों ने वान गॉग का रेता गला, गोलियों से भी भूना

 

बॉलीवुड: आज अनसुनी दास्तान में डच डायरेक्टर वान गॉग की कहानी पढ़िए, जिनका शरीर आंतकवादियों ने गोलियों से छलनी कर दिया, फिर सिर धड़ से अलग कर दिया। कसूर सिर्फ इतना ही था कि उन्होंने एक ऐसी फिल्म बनाई थी, जो इस्लाम और उसके नियमों के खिलाफ आवाज उठाती थी। उस फिल्म का नाम था सबमिशन, जो महज 10 मिनट की ही थी।

वान गॉग का नाम उनके अंकल पर रखा गया था, जिनकी वर्ल्ड वॉर-2 में गोली मारकर हत्या हुई थी। उनके दादाजी के भाई डच के सबसे मशहूर पेंटर थे, जिन्होंने खुद को गोली मार ली थी। इतना ही नहीं जिस डच पॉलिटीशियन पर उन्होंने आखिरी फिल्म बनाई थी उसकी भी गोली मारकर हत्या की गई थी।

 

23 जुलाई 1957 को थियोडूर वान गॉग का जन्म, द हेग नीदरलैंड में हुआ था। उनके पिता डच सीक्रेट सर्विस में थे। वान गॉग का नाम उनके एक अंकल के नाम पर रखा गया था, वो एक फाइटर थे, जिनकी वर्ल्ड वॉर-2 में नीदरलैंड पर नाजी कब्जे के दौरान हत्या कर दी गई थी। वान गॉग के दादा थियो वान गोग एक आर्ट डीलर थे, जो डच के सबसे मशहूर पेंटर विनसेंट वान गॉग के छोटे भाई थे।

वान गॉग ने घरवालों के कहने पर यूनिवर्सिटी ऑफ एम्स्टर्डम में लॉ की पढ़ाई शुरू की थी, हालांकि, उनका मन नहीं लगा तो उन्होंने बीच में ही पढ़ाई अधूरी छोड़ दी। कुछ समय बाद वो एक स्टेज मैनेजर बन गए।

 

1980 तक वान गॉग न्यूजपेपर के लिए लिखने लगे। वो अपने कॉलम में सरकार, राजनीति, एक्टर्स, डायरेक्टर्स पर अपना गुस्सा निकालते थे। लगातार विवादित बयानों के चलते वो डच के सबसे कॉन्ट्रोवर्शियल लोगों में शामिल हो गए। उन्होंने अपनी एक वेबसाइट द हेल्दी स्मोकर भी बनाई थी, जिसमें वो मल्टी कल्चर सोसाइटी की जमकर आलोचना किया करते थे।

वान गॉग हमेशा से ही फिल्ममेकर बनना चाहते थे, ऐसे में उन्होंने फिल्ममेकिंग में भी हाथ आजमाना शुरू कर दिया। उन्होंने 1981 की फिल्म लूनर से बतौर डायरेक्टर फिल्मी दुनिया में कदम रखा।

 

सैन फ्रांसिस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की ओर से उन्हें सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट भी दिया गया था। वान गॉग राजनीति और धर्म पर फिल्म बनाते थे, जिनमें से ज्यादा सब्जेक्ट या तो विवादित होते थे या भड़काऊ।

साल 2003 में वाग गॉग ने बुक (अल्लाह नोज बेस्ट) लिखी थी, जो इस्लाम और उसके नियमों के खिलाफ थी। इरानियन रेवोल्यूशन और 9/11 के बाद उन्होंने इस्लाम के खिलाफ कई बयान दिए, जिसके लिए उन्हें लगातार धमकियां मिलती थीं।

 

नीदरलैंड में चुनाव थे और संसद के पद पर राइटर अयान हिस्री अली ने चुनाव लड़ा। वो एक सोमालियन मुस्लिम थीं, जो कम उम्र में घरवालों द्वारा जबरदस्ती तय की गई शादी से भागकर नीदरलैंड पहुंची थीं। नीदरलैंड आकर वो एक राइटर बनीं और फिर राजनेता। जब वो चुनाव में उतरीं तो डायरेक्टर वान गॉग ने उनका समर्थन किया और वो चुनाव जीत गईं।

 

चुनाव जीतने के बाद अयान हिस्री अली और डायरेक्टर वान गॉग की दोस्ती हो गई। कई बार बातचीत में अयान ने बताया कि उन्हें कुरान की कुछ आयतों से ऐतराज है, जिसमें महिलाओं को कोई हक नहीं दिया गया है। जैसे अगर कोई मुस्लिम महिला अपने पति की बात न माने तो उसे थप्पड़ मारना जायज हो सकता है। इसी तरह महिलाओं पर लिखी गई कुछ और आयतों के खिलाफ उन्होंने एक स्क्रिप्ट तैयार की, जिस पर वान गॉग ने एक शॉर्ट फिल्म बनाने का फैसला किया।

 

फिल्म अनाउंसमेंट के बाद एक इंटरव्यू के दौरान अयान हिस्री अली से पूछा गया कि क्या ये फिल्म भड़काऊ हो सकती है, तो उसके जवाब में उन्होंने कहा था, अगर आप एक मुस्लिम महिला हैं और आपने कुरान पढ़ी है तो उसमें साफ लिखा है कि अगर आप अपने पति को इनकार करती हैं तो वो आपका रेप कर सकता है, ये ही भड़काऊ और निंदनीय है।

 

फिल्म का टाइटल सबमिशन था। फिल्म रिलीज के साथ ही पूरे नीदरलैंड में विवाद शुरू हो गए। कई क्रिटिक्स ने इसे भड़काऊ बताया, तो कई इस्लामिक पार्टियों ने इसका जमकर विरोध किया।

फिल्म रिलीज होते ही जर्नलिस्ट फ्रांसिस्को वान जोल ने राइटर अयान हिस्री पर स्क्रिप्ट चुराने का इल्जाम लगाया। उन्होंने अखबार डी वोल्कस्क्रांट को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि फिल्म में इरानियन-अमेरिकन वीडियो आर्टिस्ट शिरीन नेशत के काम को चोरी किया गया है। इस फिल्म से पहले ही शिरीन अपने एक वीडियो में शरीर पर कुरान की आयतें लिखी हुईं दिखा चुकी थीं।

 

फिल्म रिलीज के साथ ही जहां पूरे नीदरलैंड में विवाद हुआ, वहीं दूसरी तरफ डायरेक्टर वान गॉग और राइटर अयान हिस्री को लगातार जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं। एक-दो बार उन पर हमले भी हुए, लेकिन इसके बावजूद वान गॉग ने पुलिस प्रोटेक्शन लेने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि उन जैसे गांव के बेवकूफ आदमी को कोई नहीं मारता। वो अक्सर खुद को गांव का गंवार कहा करते थे।

 

2 नवंबर 2004 को सुबह करीब 9 बजे वान गॉग साइकलिंग करने निकले थे। घर से कुछ दूरी पर ओस्टरपार्क (एम्स्टर्डम) पहुंचे ही थे कि मोहम्मद बोयेरी नाम के एक शख्स ने पहले गोलियां से उनका शरीर छलनी कर दिया और फिर गला रेत दिया। सड़क पर कई लोग मौजूद थे, लेकिन जो भी उनके करीब गया उन पर भी मोहम्मद बोयेरी ने हमला कर उन्हें जख्मी कर दिया। इस हत्या के चश्मदीद लोगों ने बताया था कि मरने से पहले वान गॉग उस हत्यारे से रहम की भीख मांग रहे थे। वो लगातार गिड़गिड़ा रहे थे कि उन्हें बात करने का मौका दिया जाए।

 

वान गॉग की लाश खून से लथपथ पड़ी थी, तभी मोहम्मद ने अपने जेब से 5 पन्ने निकाले, जिन पर फिल्म सबमिशन लिखने वालीं राइटर अयान हिस्री को भी जल्द मारने की बात लिखी थी। मोहम्मद ने वो नोट चाकू के जरिए वान गॉग के पेट पर घोंप दिया। उस नोट में कुछ वेस्टर्न कंट्रीज और यहूदियों के लिए भी धमकियां थीं, साथ ही उसमें इजिप्ट के ऑर्गेनाइजेशन जमात-अल-मुस्लिमी की कुछ विचारधाराएं लिखी थीं, जो इस तरफ इशारा करती थीं कि मोहम्मद भी उसी ऑर्गेनाइजेशन का हिस्सा था।

 

मोहम्मद बोयेरी ने भागने की कोशिश की, लेकिन उसे डच पुलिस पकड़ने में कायमाब रही। जांच में सामने आया कि 26 साल की मोहम्मद होसेरी डच इस्लामवादी हॉफस्टैड नेटवर्क से जुड़ा हुआ था, जो एक आतंकवादी संगठन था। वान गॉग से पहले वो कई पुलिस ऑफिसर्स का कत्ल कर चुका था।

डायरेक्टर वान गॉग के कत्ल के बाद फिल्म सबमिशन राइटर अयान हिस्री अली अंडरग्राउंड हो गईं और उन्हें कड़ी पुलिस सुरक्षा दी गई। इसके कुछ ही समय बाद उन्होंने एम्स्टर्डम छोड़ दिया और यूनाइटेड स्टेट्स जाकर बस गईं।

 

26 जुलाई 2004 को मुकदमें में उसे वान गॉग, कई पुलिसवालों की हत्या और अयान हिस्री की मौत की साजिश रचने के जुर्म में दोषी पाया गया। उसे उम्रकैद की सजा हुई, जिसमें पैरोल की कोई संभावना नहीं थी।

ये केस मीडिया सेंसेशन बन गया और दुनियाभर में इसकी चर्चा हुई। मौत के एक हफ्ते बाद 9 सितंबर 2004 को एम्स्टर्डम में उनका अंतिम संस्कार हुआ, जिसमें भारी भीड़ पहुंची थी। वान गॉग एक टूर पर न्यूयॉर्क जाने वाले थे, लेकिन उन्हें डर था कि वो न्यूयॉर्क फ्लाइट में बैठकर जिंदा नहीं बचेंगे।

 

मौत से कुछ दिनों पहले उन्होंने अपने दोस्त से कहा कि वो जल्द ही मर जाएंगे और साथ ही अंतिम संस्कार के लिए अपनी कुछ इच्छाएं भी जाहिर कीं। उन्हीं इच्छाओं के मद्देनजर उनका अंतिम संस्कार किया गया। कई लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे और वहीं हिंसा शुरू हुई और फिर दंगे पूरे नीदरलैंड में फैल गए।

 

वान गॉग की मौत के बाद शुरू हुई हिंसा में कई मस्जिदों और चर्च में आग लगा दी गई। क्योंकि उनका हत्यारा मुस्लिम था तो कई लोगों ने मुस्लिमों और मस्जिदों पर हमला किया, जिसकी जवाबी कार्यवाही में मुस्लिमों ने चर्च और क्रिश्चियन्स पर हमले किए। आइंडहोवन शहर के एक मुस्लिम स्कूल में भी बम ब्लास्ट किया गया। इसी तरह कुल 106 हिंसक घटनाएं हुईं, जिसमें कई लोग घायल हुए। 47 मस्जिदें और 13 चर्च इस हमले का निशाना बने।

 

वान गॉग की मौत का कारण उनके द्वारा धर्मों पर दिए गए बयान और उनकी धर्मों के खिलाफ विचारधारा थी। इसके मद्देनजर डच के क्रिश्चियन न्याय मंत्री पीट हेन डोनर ने सुधाव दिया कि किसी भी धर्म के खिलाफ दिए जाने वाले बयानों के खिलाफ सख्त और ज्यादा नियम बनाए जाने चाहिए, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।

 

वान गॉग की आखिरी फिल्म 6/05 थी, जो डच पॉलिटीशियन पिन फोर्टिन की 2002 में हुई हत्या पर आधारित थी। इस फिल्म को उनकी मौत के कुछ महीनों बाद दिसंबर 2004 में रिलीज किया गया था।

 

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