भारत के बाद 4 देशों में चीनी मैप का किया विरोध: फिलीपींस, मलेशिया बोले- ये अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है

 

 

विदेश में भारत के बाद अब फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया और ताइवान ने भी चीन के विवादित मैप का विरोध किया है। उन्होंने साउथ चाइना सी में चीन के दावे को खारिज कर दिया है। फिलीपींस ने कहा- चीन को जिम्मेदारी से फैसले लेते हुए अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करना चाहिए। वहीं मलेशिया ने नक्शे को लेकर डिप्लोमैटिक प्रोटेस्ट दर्ज कराई है।

मैप में चीन ने हैनान द्वीप के साउथ में 1500 किमी तक एक U-शेप की लाइन दिखाई है। ये लाइन वियतनाम, फिलीपींस, ब्रुनेई और इंडोनेशिया के एक्सक्लूजिव इकोनॉमिक जोन्स से होकर गुजरती है। चीन के इस नए मैप में ज्यादा जियोग्राफिकल एरिया को कवर किया गया है। इसमें एक 10 डैश वाली लाइन है, जिसके जरिए चीन ने ताइवान को अपने हिस्से में दिखाया है। ये मैप 1948 में जारी नक्शे की तरह ही है।

 

 

नए मैप पर ताइवान के विदेश मंत्रालय ने कहा- हम चीन का हिस्सा नहीं है। उनकी सरकार चाहे कैसे भी अपना पक्ष पेश करती रहे, वो हमारे देश के अस्तित्व की सच्चाई को झुठला नहीं सकती। वहीं वियतनाम ने कहा कि चीन के इस नक्शे का कोई महत्व नहीं है और ये वियतनाम की सीमा और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करता है।

चीन के सेंट्रल टेलीविजन के मुताबिक, देश में फिलहाल एक नेशनल मैप जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। 10 डैश वाले मैप से जुड़े सवाल पर चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा- हम हमेशा से अपने क्षेत्र को लेकर स्पष्ट रहे हैं। साउथ चाइना सी को लेकर भी हमारा स्टैंड साफ रहा है। इसके लिए चीन हर साल कई स्टैंडर्ड मैप रिलीज और अपडेट करता रहता है।

 

 

29 अगस्त को चीन ने एक मैप जारी कर अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना हिस्सा बताया था। इसके अलावा उन्होंने ताइवान और साउथ-चाइना सी को भी अपने क्षेत्र में दिखाया था। चीन के सरकारी न्यूज पेपर ने एक्स (पहले ट्विटर) पर दोपहर 3:47 बजे नया मैप पोस्ट किया था।

मैप पर चीन ने कहा था- हमारे नक्शे का 2023 एडिशन जारी करना सामान्य प्रक्रिया है। यह मैप चीन की संप्रुभता और अखंडता को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है। यह हिस्सा कानूनन हमारा है। हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष इसे समझेंगे और समझदारी के साथ इस पर अपना स्टैंड लेंगे।

 

 

चीन के मैप पर भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि चीन की पुरानी आदत है। उनके दावों से कुछ नहीं होता। दिए इंटरव्यू में विदेश मंत्री जयशंकर भारत के इलाकों को अपना बताने के चीन के दावे को सिरे से खारिज कर दिया था।

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था- चीन ने नक्शे में जिन इलाकों को अपना बताया है, वो उनके नहीं हैं। ऐसा करना चीन की पुरानी आदत है। अक्साई चिन और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है। पहले भी चीन भारत के हिस्सों के लेकर नक्शे निकालता रहा है। उसके दावों से कुछ नहीं होता। हमारी सरकार का रुख साफ है। बेकार के दावों से ऐसा नहीं हो जाता कि किसी और के इलाके आपके हो जाएंगे।

 

 

इससे पहले चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। चीन ने पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसा किया है। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।

भारत ने कहा था- नाम बदलने से हकीकत नहीं बदल जाएगीभारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन की इस हरकत पर पलटवार किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था- हमारे सामने चीन की इस तरह की हरकतों की रिपोर्ट्स पहले भी आई हैं। हम इन नए नामों को सिरे से खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का आतंरिक हिस्सा था, है और रहेगा। इस तरह से नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलेगी।

 

 

दोनों देशों में 3488 किलोमीटर लंबी LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) को लेकर विवाद है। हालांकि, चीन अरुणाचल प्रदेश वाले हिस्से को भी विवादित मानता है।

अरुणाचल प्रदेश की 1126 किलोमीटर लंबी सीमा चीन के साथ और 520 किलोमीटर लंबी सीमा म्यांमार के साथ मिलती है।

 

चीन का दावा है कि अरुणाचल पारंपरिक तौर पर दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है, वहीं भारत अक्साई चिन इलाके को अपना बताता है।

1962 के युद्ध में चीन ने अक्साई चिन वाले हिस्से पर कब्जा कर लिया था।

 

 

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