पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थक माने जाने वाले राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को सेना ने अपने घेरे में ले लिया है। यह कदम अल्वी को चुनावी तारीखें घोषित करने से रोकने के लिए उठाया है। शनिवार को नाटकीय घटनाक्रम में राष्ट्रपति भवन की चौथी मंजिल पर स्थित राष्ट्रपति के दफ्तर को पूरी तरह से खाली करा लिया गया। वहां मौजूद स्टाफ को दफ्तर से निकल जाने के लिए कह दिया गया।
सेना प्रमुख असीम मुनीर और ISI के DG जनरल नदीम अंजुम के वहां पहुंचने से पहले पाकिस्तानी आर्मी ने भवन की चौथी मंजिल को अपने कब्जे में ले लिया। इसकी पुष्टि राष्ट्रपति भवन के एक अधिकारी ने की है। दरअसल, शुक्रवार को आर्मी चीफ और ISI DG को भनक लगी कि शनिवार को राष्ट्रपति अल्वी चुनाव की तारीखों का ऐलान करने वाले हैं। इसलिए वे राष्ट्रपति से मिलने पहुंचे और उन्हें ऐसी कोई भी घोषणा करने से रोक दिया।
सूत्रों के मुताबिक यह बैठक तल्ख रही और राष्ट्रपति के साथ उचित व्यवहार नहीं किया गया। एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक मौजूदा हालात को देखते हुए 90 दिनों में चुनाव हो जाने चाहिए।
अगर राष्ट्रपति अल्वी चुनाव की घोषणा कर देते तो इससे पूर्व PM इमरान खान के खिलाफ चल रहे अभियान को बड़ा झटका लगता। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति द्वारा जल्द ही चुनाव की तारीखों का ऐलान करने की खबर भीतर खाने से लीक की गई है, ताकि पाकिस्तानी सेना इमरान की पार्टीपाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (PTI) पर दबाव बनाकर उसे बातचीत की मेज तक ले आए।
एक सूत्र ने बताया कि राष्ट्रपति और ISI DG के बीच बैठक में सीक्रेट एक्ट और आर्मी एक्ट पर दस्तखत न करने को लेकर किए गए ट्वीट पर बात हुई थी। इसमें सेना कोआंतरिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर परदुविधा में डाल दिया था।
इसमें दो बातें थीं। पहली यह कि वे 9 सितंबर कोई इस्तीफा नहीं दे रहे हैं, जब उनका पांच साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। वह तब तक पद पर बने रहेंगे, जब तक कि निर्वाचन मंडल का गठन न हो जाए। दूसरा वे चुनाव तारीख घोषित करने जा रहे है।