10वीं की छात्रा को उल्टी-पेट दर्द होने पर डॉक्टर ने कहा कुछ ऐसा जानकार परिजन रह गए हैरान; पढ़े पूरी खबर
इंदौर में 10वीं की छात्रा को उल्टी-पेट दर्द होने पर जब परिजन उसे डॉक्टर के पास ले गए, तो जांच के बाद डॉक्टर ने जो बताया वो हैरान करने वाला था। जांच में पता चला कि वो प्रेग्नेंट है। उसे 4 महीने से ज्यादा का गर्भ है। माता-पिता ने बेटी से इसके बारे में पूछा तो पता चला स्कूल आते-जाते एक आरोपी उसका पीछा करता था।
पहले दोस्ती के लिए दबाव बनाकर उसके साथ ज्यादती की फिर शादी का झांसा देकर दोबारा गलत काम किया। किसी को बताने पर बदनाम करने की धमकी दी। मामले में 4 साल बाद कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए 25 साल के आरोपी युवक को सोमवार को उम्र कैद की सजा सुनाई है।
मामले में आरोपी की डीएनए रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। न्यायालय ने डीएनए रिपोर्ट, पीड़िता के बयान सहित अन्य सभी सबूतों को देखते हुए आरोपी राजू को तीन अलग-अलग धाराओं 376(2), 5 (एल) सहपठित 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, 5 (जे) सहपठित 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में उम्र कैद की सजा सुनाई।
गिरफ्तारी के बाद बचने के लिए कोर्ट में आरोपी ने डीएनए रिपोर्ट को ही झुठला दिया, जिसमें साफ लिखा था कि भ्रूण आरोपी की जैविक संतान है। इतना ही नहीं पुलिस पर अन्य किसी अपराधी को बचाने का आरोप तक लगाया।
मामला साल 2019 का है। विजय नगर थाना क्षेत्र में रहने वाली पीड़िता उस समय कक्षा 10वीं में पढ़ाई करती थी। आरोपी राजेंद्र उर्फ राजू चौहान निवासी स्वर्ण बाग कॉलोनी पीड़िता के स्कूल के बाहर, आसपास मोहल्ले में खड़ा रहता था। पीड़िता का पीछा करता था और उससे बात करने की कोशिश करता।
इसके बाद आरोपी पीड़िता पर दोस्ती का दबाव बनाने लगा। पीड़िता ने उसे दोस्ती करने से मना कर दिया। लेकिन फिर भी वो उसे राह चलते परेशान करता। इसके बाद आरोपी ने पीड़िता को विश्वास दिलाया कि मैं सिर्फ दोस्ती करना चाहता हूं और कोई बात नहीं है। फिर एक दिन (10 जुलाई 2019 को) आरोपी ने पीड़िता को झांसे में लिया और उसे अपने घर ले गया।
उस दिन उसके घर पर कोई नहीं था। वहां पहली बार आरोपी ने पीड़िता से दुष्कर्म किया। साथ ही उसे धमकाया भी अगर उसने किसी को ये बात बताई तो ठीक नहीं होगा। वो उसे बदनाम कर देगा। घटना के कुछ समय बाद आरोपी राजू ने फिर से पीड़िता को शादी का कहकर झांसे में लिया। उस पर घर चलने का दबाव बनाया।
कहा कि वो उसे अपने माता-पिता से मिलवाएगा। शादी की बात करनी है। पीड़िता आरोपी के घर गई लेकिन वहां कोई नहीं था। तब दोबारा आरोपी ने पीड़िता के साथ ज्यादती की। बाद में भी कई बार आरोपी ने पीड़िता को धमकाकर उसके साथ ज्यादती की।
कुछ दिन बाद पीड़िता को चक्कर, उल्टियां होने लगी, पेट दर्द हुआ तो परिजन उसे डॉक्टर के पास लेकर गए। तब परिजनों को पता चला कि उनकी बच्ची प्रेग्नेंट है। डॉक्टर ने परिजनों को बताया कि बच्ची को करीब 4 माह का गर्भ है। इसके बाद परिजनों ने पीड़िता से पूछा तो उसने आरोपी के द्वारा उसके साथ की गई ज्यादती के बारे में पूरी घटना बताई।
फिर परिजन विजय नगर थाने पहुंचे और आरोपी राजेंद्र उर्फ राजू के खिलाफ 5 अक्टूबर 2019 को केस दर्ज करवाया। पुलिस ने अगले ही दिन आरोपी राजू को गिरफ्तार कर लिया। मेडिकल बोर्ड ने 17 हफ्ते और 5 दिन का गर्भ होना पाया था। कोर्ट के आदेश के बाद बच्ची का गर्भपात हुआ। पुलिस ने जांच के बाद कोर्ट में चालान पेश किया।
कोर्ट में आरोपी को बचाने के लिए डीएनए की कार्रवाई को चैलेंज किया गया था, जिसमें बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि डीएनए सैंपल आरोपी से लिया ही नहीं गया है। डीएनए आइडेंटिफिकेशन नहीं हुआ इसलिए डीएनए रिपोर्ट अनुसार वह पीड़िता की संतान का पिता नहीं है, कोई अन्य राजू अपराधी है, जिसे बचाने के लिए पुलिस ने उसे झूठा फंसाया है।
कोर्ट ने कहा कि ये तर्क मानने योग्य नहीं है, क्योंकि जांच अधिकारी ने अपने बयान में साफ कहा है कि आरोपी के डीएनए परीक्षण के लिए न्यायालय से अनुमति लेकर उसके ब्लड सैंपलिंग की कार्यवाही की गई और सैंपल सील बंद स्थिति में अस्पताल से थाने लाए गए।
इसके बाद सैंपल जांच के लिए राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला सागर भेजे गए। डीएनए रिपोर्ट से साफ है कि भ्रूण आरोपी राजू की जैविक संतान है साथ ही पीड़िता और आरोपी के बीच शारीरिक संबंध बनने के बाद ही पीड़िता गर्भवती हुई थी।
वहीं एमवाय अस्पताल में तत्कालीन मेडिकल ऑफिसर डॉ.नीलिमा फणसे ने भी कोर्ट में अपने बयान में बताया कि डीएनए के लिए उनके सामने आरोपी राजू का ब्लड सैंपल लिया जाकर सील बंद कर उपनिरीक्षक प्रियंका शर्मा के सुपुर्द किया गया था। डीएनए आईडेंटिफिकेशन फार्म पर अस्पताल की सील, आरोपी का फोटो लगा है और उनके हस्ताक्षर हैं।
आरोपी राजू को जब कोर्ट ने मामले में दोषी माना तो सजा के सवाल पर आरोपी के वकील ने कोर्ट से गुहार लगाई की वो एक गरीब प्राइवेट नौकरी पेशा व्यक्ति है। वह आदतन अपराधी नहीं है, यह उसका पहला अपराध है। ऐसे में सजा के संबंध में सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए।
आरोपी ने अवयस्क पीड़िता का अपहरण कर उसे अपने घर ले जाकर उसके साथ अनेक बार बलात्संग कर लैंगिक अपराध किया है, जिसके फलस्वरूप पीड़िता गर्भवती भी हो गई थी और उसके बाद उसे गर्भपात का दर्द झेलना पड़ा। इस प्रकार अभियुक्त का अपराध अत्यंत गंभीर अपराध होकर क्षमा किए जाने योग्य नहीं है। अत: उसे उचित दण्ड दिया जाना आवश्यक है।
पीड़िता के वकील संजय मीणा ने बताया कि आरोपी ने बचने के लिए कोर्ट में डीएनए सैंपल पर सवाल खड़े किए जबकि डीएनए सैंपल लेने की प्रक्रिया सीलबंद अवस्था में होती है और वैज्ञानिक तरीके से होती है। डॉक्टर के बयान में भी ये बात नहीं आई की अन्य किसी व्यक्ति का डीएनए हो। आरोपी का डीएनए मैच हुआ है। मामले में डीएनए किसी और का होने की संभावना नहीं थी।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी के कारण पीड़िता को शारीरिक और मानसिक कष्ट उठाने पड़े हैं, जिनकी पूर्ति स्वरूप केवल अर्थदंड से प्राप्त राशि पर्याप्त नहीं है। उसे सामाजिक पुनर्स्थापना के लिए प्रतिकर दिलाया जाना आवश्यक है। आरोपी की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि उससे पीड़िता को प्रतिकर दिलवाया जा सके।
पीड़िता को मप्र अपराध पीड़ित प्रतिकर योजना 2015 के प्रावधान अनुसार 2 लाख रुपए प्रतिकर दिलवाए जाने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को अनुशंसा किए जाने के लिए निर्णय की प्रतिलिपि सहित पत्र भेजा जाए।