चीन बोला- भारत के साथ संबंध स्थिर, G20 अध्यक्षता का किया समर्थन, कहा- रिश्ते मजबूत करने के लिए करेंगे काम
विदेश। चीन ने भारत की G20 प्रेसिडेंसी का समर्थन किया है। उन्होंने भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को भी स्थिर बताया है। दरअसल, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग G20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत नहीं आ रहे हैं। उनकी जगह चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग डेलीगेशन के साथ शामिल होंगे।
बैठक से पहले मंगलवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया। उन्होंने कहा- हमने हमेशा समिट के लिए भारत की मेजबानी का स्वागत किया है। हम सभी सदस्यों के साथ मिलकर इसे कामयाब बनाने के लिए काम करने को तैयार हैं। भारत और चीन के रिश्ते स्थिर हैं और हमने लगातार अलग-अलग स्तर पर बातचीत जारी रखी है।
G20 समिट में चीन और रूस के राष्ट्रपति के न शामिल होने पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- ये उनका फैसला है। इसका भारत से कोई लेना-देना नहीं है। दोनों देशों से प्रतिनिधि बैठक में शामिल होने आएंगे। ऐसा पहले भी हुआ है, जब राष्ट्राध्यक्ष बैठक में शामिल नहीं हुए हैं।
समिट के दौरान आम सहमति बनने पर जयशंकर ने कहा- ऐसे कई मुद्दे हैं, जिन पर महीनों से काम चल रहा है। ये एक दिन में नहीं होता। अलग-अलग देशों के मंत्री प्रोसीजर को आगे बढ़ाने की कोशिश में लगे हुए हैं।
चीन ने भारत के साथ रिश्तों पर कहा- दोनों देशों के संबंधों में लगातार ग्रोथ हमारे कॉमन इंटरेस्ट के लिए जरूरी है। हम भारत के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करने के लिए काम करने को तैयार हैं। वहीं अमेरिका ने समिट में चीन के शामिल होने पर कहा- ये उन पर निर्भर करता है कि वो क्या भूमिका निभाना चाहते हैं। अगर वो सम्मेलन में आकर इसे खराब करना चाहते हैं, तो उनके पास ये ऑप्शन भी मौजूद है।
अमेरिका के NSA जेक सुलीवन समिट पर भारत-चीन के रिश्तों का असर पड़ने से जुड़े एक सवाल पर कहा- हमें लगता है भारत बाकी सभी सदस्यों की तरह चीन को समिट में शामिल होकर अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए प्रेरित करेगा। अब ये चीन पर निर्भर करता है कि वो वहां क्या चाहता है।
भारत और चीन के बीच 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से तनाव जारी है। इसी बीच अगस्त में ब्रिक्स समिट के दौरान PM मोदी और जिनपिंग ने बातचीत की थी। तब दोनों नेताओं के बीच रिश्ते सुधारने और लद्दाख पर सैनिकों को कम करने को लेकर सहमति भी बनी थी।
हालांकि, इसके कुछ ही दिन बाद 29 अगस्त को चीन ने एक मैप जारी कर अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना हिस्सा बताया था। इसके अलावा उन्होंने ताइवान और साउथ-चाइना सी को भी अपने क्षेत्र में दिखाया था। चीन के सरकारी न्यूज पेपर ने एक्स (पहले ट्विटर) पर दोपहर 3:47 बजे नया मैप पोस्ट किया था।
मैप पर चीन ने कहा था- हमारे नक्शे का 2023 एडिशन जारी करना सामान्य प्रक्रिया है। यह मैप चीन की संप्रुभता और अखंडता को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है। यह हिस्सा कानूनन हमारा है। हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष इसे समझेंगे और समझदारी के साथ इस पर अपना स्टैंड लेंगे।
भारत ने इस नक्शे का विरोध करते हुए कहा था कि ये चीन की पुरानी आदत है। उसके दावों से कुछ नहीं होता।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का घरेलू हालात पर ज्यादा फोकस है। चीन की आर्थिक रफ्तार तेजी से कम हो रही है। ऐसे में वे इस साल केवल 5 दिन देश से बाहर रहे हैं। जिनपिंग 6 सितंबर से होने वाले आसियान समिट में भी हिस्सा लेने नहीं जा रहे हैं। G20 और आसियान में उनकी जगह प्रीमियर ली कियांग शामिल होंगे।
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की खराब होती अर्थव्यवस्था के लिए रियल एस्टेट सेक्टर जिम्मेदार है। पिछले 2 दशकों में रियल एस्टेट सेक्टर में जबरदस्त तेजी दर्ज की गई। हालांकि, कोरोना की वजह से प्रॉपर्टी की मांग में तेजी से गिरावट आई। इससे प्रॉपर्टी की कीमत काफी कम हो गई।