अमेरिका-सऊदी के साथ रेल-पोर्ट डील में शामिल होगा भारत, मिडिल ईस्ट में चीन को काउंटर करने के लिए बनी स्ट्रैटजी

 

विदेश। भारत, अमेरिका और सऊदी अरब के बीच एक इंफ्रास्ट्रक्चर डील फाइनल हो सकती है। इसके तहत खाड़ी देशों को अरब देशों से जोड़ने के लिए रेलवे प्रोजेक्ट पर बात हुई। इस रेलवे नेटवर्क को बंदरगाह और शिपिंग लेन के जरिए भारत से भी जोड़ा जाएगा। इस डील के लिए तीनों नेताओं के बीच बात चल रही है। रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले के इस बात की जानकारी दी है।

तीनों देशों के नेताओं की G20 समिट के दौरान इस मुद्दे पर बातचीत संभव है। इस प्रोजेक्ट के तहत रेल और पोर्ट को डेवलप किया जाएगा। इस बात की जानकारी सबसे पहले अमेरिकी न्यूज लेटर एक्सियस से मिली है। प्रोजेक्ट शुरू करने के पीछे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को बताया जा रहा है।

 

 

बाइडेन प्रशासन 2024 के चुनाव से पहले सऊदी अरब और इजराइल के बीच संबंधों को सामान्य कराने और इस डील को फाइनल करने की कोशिश कर रहा है। इससे पहले मई में खबर आई थी कि भारत के NSA अजीत डोभाल ने सऊदी अरब में अमेरिका के और UAE के NSA के साथ इस डील को लेकर बातचीत की है।

व्हाइट हाउस के प्रोजेक्ट के लिए I2U2 फोरम के तहत पिछले 18 महीनों से बातचीत हो रही है। इस फोरम में अमेरिका, इजराइल, भारत और UAE शामिल हैं।

 

 

ये फोरम मिडिल ईस्ट में इंफ्रास्ट्रचर प्रोजेक्ट की रणनीति तय करने के लिए 2021 में बनाया गया था।

फोरम में शामिल एक इजराइली अधिकारी ने एक्सियस को बताया कि महीनों से हो रही बातचीत में किसी देश ने चीन का नाम नहीं लिया, लेकिन ये चीन की वजह से ही बनाया जा रहा है।

मिडिल ईस्ट में चीन के असर को कम करने के लिए इस प्रोजेक्ट का आइडिया भी इजराइल ने दिया था। इंफ्रास्ट्रचर प्रोजेक्ट में भारत की एक्सपर्टीज को देखते हुए इसमें शामिल किया गया है।

 

 

 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चीन लगातार पश्चिमी एशिया में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। चीन की अगुआई में हाल ही में सऊदी अरब और ईरान के बीच समझौता हुआ उसने अमेरिका के साथ-साथ भारत को भी चौंका दिया। इस समझौते से पश्चिमी एशिया में भारत के हित भी प्रभावित हो सकते हैं।

प्रोजेक्ट के तहत अगर गल्फ और अरब के बीच के रेलवे नेटवर्क को समुद्री मार्ग से दक्षिण एशिया से जोड़ा जाता है तो इससे भारत तक तेजी और कम लागत में तेल और गैस पहुंचेगी। इस कनेक्टिविटी से खाड़ी देशों में रहने वाले भारत के 80 लाख लोगों को भी फायदा होगा।

 

 

दूसरी अहम बात ये होगी कि इससे भारत की रेलवे सेक्टर में एक इन्फ्रास्ट्रक्चर बिल्डर के तौर पर ब्रांडिंग होगी।

सरकार को लगता है कि भारत का अपने पश्चिम के पड़ोसियों के साथ कनेक्टिविटी पर पाकिस्तान की वजह से असर पड़ा है। इससे उनके साथ रिश्ते बेहतर करने के लिए कई ओवरलैंड रूट बंद हो गए हैं। उदाहरण के लिए चाहबार (ईरान) , बंदर-ए-अब्बास (ईरान), दुक्म (ओमान), जेद्दाह (सऊदी अरब) और कुवैत सिटी। इस चुनौती से निपटने में अब नया रेलवे प्रोजेक्ट भारत की मदद करेगा।

 

 

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.