बॉलीवुड। अनुराग कश्यप ने कहा कि गैंग्स ऑफ वासेपुर की स्क्रिप्ट लिखते वक्त वे इतना रम गए कि पता ही नहीं चला कि कहानी काफी लंबी हो गई। अनुराग ने जो स्क्रिप्ट लिखी थी, उसके हिसाब से फिल्म तीन पार्ट में बनती।
फिल्म की लेंथ साढ़े सात घंटे की हो गई थी। वो फिल्म मेकर विक्रमादित्य मोटवानी थे, जिन्होंने इसकी लेंथ कम की और फिल्म दो पार्ट में बन पाई। अनुराग ने कहा कि फिल्म में कुछ डायलॉग्स ऐसे थे, जो स्क्रिप्ट में नहीं थे।
अनुराग कश्यप ने साइरस भरूचा के पॉडकास्ट में कहा- मैं फिल्म की कहानी लिखते ही जा रहा था। ऐसा लगा कि फिल्म तीन पार्ट में बनेगी। हालांकि विक्रम आए और उन्होंने इसकी लेंथ पर काम किया। उनकी वजह से फिल्म तीन पार्ट की बजाय दो पार्ट में बन पाई। जो मैंने कहानी लिखी थी, उसकी लेंथ साढ़े सात घंटे तक चली गई थी।
अनुराग कश्यप ने कहा कि गैंग्स ऑफ वासेपुर में कई ऐसे डायलॉग थे, जो इम्प्रोवाइज्ड थे। स्क्रिप्ट में वो डायलॉग कहीं थे ही नहीं। फिल्म का एक फेमस डायलॉग ‘तुमसे न हो पाएगा’ भी स्क्रिप्ट में नहीं था। इस डायलॉग को तिग्मांशु धुलिया ने ऐसे ही बोल दिया था।
तिग्मांशु धुलिया ने फिल्म में विलेन रामाधीर सिंह का रोल प्ले किया था। तिग्मांशु वैसे तो फिल्म मेकर हैं, लेकिन इस फिल्म में उन्होंने एक्टिंग में भी हाथ आजमाया था।
अनुराग कश्यप ने कहा- तिग्मांशु धूलिया ने इतना नेचुरली इसे किया कि हम लोग हंस-हंस कर पागल हो गए। मैंने अपने एक्टर्स को खुली छूट दी थी कि जैसे चाहे वैसे परफॉर्म करो। ऐसा करने से एक्टर्स अपने ऊपर एक्सपेरिमेंट करते थे।
मैं उन्हें बस इतना बताता हूं कि क्या नहीं करना है। ये नहीं बताता कि क्या करना है। मैं एक्टर्स के साथ कभी स्क्रिप्ट शेयर नहीं करता। स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद एक्टर उसी हिसाब से अभिनय करने की कोशिश करने लगता है। मुझे लगता है कि स्क्रिप्ट सिर्फ एक मैप का काम करती है।
गैंग्स ऑफ वासेपुर ऐसी फिल्म थी जिसे दर्शक आज भी भूल नहीं पाते हैं। इस फिल्म के हर एक डायलॉग आज भी याद किए जाते हैं। हम अक्सर सोशल मीडिया पर इससे जुड़े मीम्स भी देखते हैं। ‘सबका बदला लेगा रे तेरा फैजल’ से लेकर ‘कह के लेंगे’ वाला डायलॉग काफी ज्यादा फेमस हुआ था।
इस फिल्म के कैरेक्टर भी एक से एक थे। चाहे वो मनोज बाजपेयी हो, नवाजुद्दीन सिद्दीकी हो या फिर पंकज त्रिपाठी..सबने एक से बढ़कर एक उम्दा काम किया। विनीत कुमार सिंह और राजकुमार राव को इसी फिल्म से पहचान मिली थी।
पंकज त्रिपाठी का भी उदय इसी फिल्म से माना जाता है। फैजल खान बने एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी इसी फिल्म के बाद इंडस्ट्री में स्थापित हो गए। फिल्म के डायरेक्टर अनुराग कश्यप को भी काफी सराहना मिली थी।