PM मोदी ने ब्राजील को G20 की अध्यक्षता सौंपी, प्रधानमंत्री ने UNSC के विस्तार की मांग करी

 

 

 

विदेश। G20 समिट के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G20 की अध्यक्षता ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा को सौंपी और समिट का समापन किया। अब अगले साल G20 समिट ब्राजील में होगा। PM मोदी ने इसके लिए लूला डा सिल्वा को बधाई भी दी। इसके बाद लूला डा सिल्वा ने कहा कि गरीब देशों की कर्ज की समस्या पर ध्यान देना होगा। दुनिया को वैश्विक भुखमरी खत्म करने की कोशिश बढ़ानी होगी।

PM मोदी ने कहा कि दुनिया बदल रही है इसके साथ दुनिया के संस्थानों को भी बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा- UNSC में अभी तक उतने ही सदस्य हैं जितने इसकी स्थापना के वक्त थे। स्थायी देशों की संख्या बढ़नी चाहिए।

 

 

इससे पहले तीसरे सेशन के दौरान घोषणा पत्र पर औपचारिक मुहर लगाई गई। शिखर सम्मेलन शुरू होने से ठीक पहले ब्राजील और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने PM मोदी को पौधे भेंट किए। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन वियतनाम दौरे के लिए रवाना हो गए।

G20 समिट के दूसरे और आखिरी दिन G20 और मेहमान देश के नेताओं ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। राजघाट पर प्रधानमंत्री मोदी ने सभी नेताओं का खादी के शॉल के साथ स्वागत किया। सभी नेताओं को राजघाट के बारे में जानकारी भी दी।

 

 

शनिवार को दूसरे सेशन की शुरुआत में PM मोदी ने बतौर अध्यक्ष सभी सदस्य देशों की सहमति से नई दिल्ली डिक्लेरेशन पारित किया। डिक्लेरेशन पास होने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- सभी देशों ने नई दिल्ली घोषणा पत्र मंजूर किया है। सभी लीडर्स ने माना है कि G20 राजनीतिक मुद्दों को डिस्कस करने का प्लेटफॉर्म नहीं है। घोषणा पत्र में यूक्रेन जंग का 4 बार जिक्र हुआ है।

 

 

जयशंकर से टेररिज्म और अफ्रीकी यूनियन को G20 में शामिल किए जाने पर भी सवाल हुए। इस पर विदेश मंत्री ने कहा- आप इस समिट का बाली समिट से कंपैरिजन न करें। बाली एक साल पहले था, अब नई दिल्ली है। यूक्रेन मुद्दे और फूड सिक्योरिटी जैसे मसलों का 7 पैराग्राफ में जिक्र किया गया है। मोदी ने जकार्ता और इसके पहले भी अपने सहयोगी नेताओं से बातचीत (यूक्रेन का नाम नहीं लिया) की थी। अफ्रीकी यूनियन के प्रेसिडेंट (सेनेगल के राष्ट्रपति) पिछले साल बाली में मोदी के पास आए थे। तब उन्होंने मोदी से कहा था कि हमें G20 में जगह क्यों नहीं मिलती? मुझे याद है तब प्रधानमंत्री ने उनसे कहा था- मैं आपको नई दिल्ली में G20 की सदस्यता दिलाने की गारंटी देता हूं।

 

 

जयशंकर से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के न आने पर भी सवाल किया गया। इस पर जयशंकर ने कहा- हमें लगता है कि हर देश को ये हक है कि वो किस लेवल पर शिरकत करना चाहता है। इसके मायने इससे ज्यादा नहीं होने चाहिए। चीन ने काफी सपोर्ट किया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- हमें चुनौतीपूर्ण समय में अध्यक्षता मिली। G20 का साझा घोषणा पत्र 37 पेज का है। इसमें 83 पैराग्राफ हैं। यहां मुख्य प्रस्तावों पर एक नजर…

सभी देश सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल पर काम करेंगे। भारत की पहल पर वन फ्यूचर अलायंस बनाया जाएगा।

 

 

सभी देशों को UN चार्टर के नियमों के मुताबिक काम करना चाहिए।

बायो फ्यूल अलायंस बनाया जाएगा। इसके फाउंडिंग मेंबर भारत, अमेरिका और ब्राजील होंगे।

एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य पर जोर दिया जाएगा।मल्टीलैट्रल डेवलपमेंट बैंकिंग को मजबूती दी जाएगी।

 

 

ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं पर फोकस किया जाएगा।

क्रिप्टोकरेंसी पर ग्लोबल पॉलिसी बनाई जाएगी।

कर्ज को लेकर बेहतर व्यवस्था बनाने पर भारत ने कॉमन फ्रेमवर्क बनवाने की बात पर जोर दिया है।

ग्रीन और लो कार्बन एनर्जी टेक्नोलॉजी पर काम किया जाएगा।

सभी देशों ने आतंकवाद के हर रूप की आलोचना की है।

 

 

समिट के पहले सेशन में भारत ने अफ्रीकन यूनियन को G20 का परमानेंट मेंबर बनाने का प्रस्ताव रखा था। बतौर अध्यक्ष सभी देशों की सहमति से PM मोदी ने जैसे ही इसे पारित किया, अफ्रीकन यूनियन के हेड अजाली असोमानी जाकर PM मोदी के गले लग गए। भारत के प्रस्ताव का चीन और यूरोपियन यूनियन ने भी समर्थन किया। यूनियन को मेंबरशिप मिलने से अफ्रीका के 55 देशों को फायदा होगा।

 

 

 

 

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