लखनऊ। भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर शराब बंदी को लेकर अभियान चलाते हैं, लेकिन उनके ही घर पर शराब परोसी गई। इसमें एक युवक की गोली लगने से मौत हो गई। यूपी सरकार और आबकारी विभाग का नियम कहता है कि 21 साल से कम उम्र के लोग शराब नहीं पी सकते हैं। क्लब और बार में उनको शराब नहीं परोसा जाएगा। लेकिन, राजधानी लखनऊ के समिट बिल्डिंग के क्लबों के लिए यह नियम कोई मायने नहीं रखता है।
इन्हीं नियमों की ग्राउंड तहकीकात के लिए हमारी टीम समिट बिल्डिंग पहुंची। करीब चार घंटे तक समिट बिल्डिंग के अंदर चलने वाले पब-बार की हर एक्टिविटी पर नजर डाली। देखा कि क्लब में एंट्री से लेकर उनको शराब परोसने तक में किसी भी नियम का पालन नहीं किया जा रहा है।
स्थिति यह है कि क्लब की कमाई बढ़ाने के लिए एंट्री से पहले ही पैसा जमा करा लिए जाते हैं। उनकी पर्ची भी दी जाती है। अमाउंट और नाम भी लिखा जाता है, लेकिन उम्र नहीं पूछा जाता है। कम उम्र के बच्चों को यहां नशा करने की पूरी आजादी मिलती है। क्लब मालिक और स्टाफ के कारण युवा शराब पीकर बर्बाद भी हो रहे हैं।
समिट बिल्डिंग में आए दिन होने वाले बवाल को देखते हुए पुलिस चौकी बनाई गई, लेकिन पुलिस की भी मिलीभगत साफ दिखती है। रात 11 बजे के बाद साउंड बजाने पर रोक है , बावजूद इसके रात एक बजे तक तेज आवाज में साउंड भी बजता है। पुलिस वहां खड़ी रहती है, लेकिन बंद नहीं कराती है।
जब हमने कुछ लड़के-लड़कियों से बात की। उनका कहना था कि उनकी उम्र 21 साल से कम है। वह लोग स्टूडेंट है। क्लब में एंट्री बहुत आसानी से मिल जाती है। कोई भी उम्र नहीं देखता है। हालांकि उनको यह पता भी नहीं था कि 21 साल से कम उम्र के लोगों को शराब नहीं परोसी जा सकती है। एंट्री से पहले उनकी उम्र देखनी चाहिए। इसके लिए आईडी प्रूफ देखना होता है, उनको जानकारी थी कि 18 साल से कम उम्र के लोगों को एंट्री मिलने में परेशानी होती है।
ग्राउंड फ्लोर स्थित एक क्लब में जब हमने एंट्री ली तो देखा कि वहां कई लोग ऐसे हैं जिनकी उम्र 16 से 18 साल के बीच रही होगी। इस दौरान नजर एक ऐसी लड़की पर पड़ी जिसके एक हाथ में दारू की पैक और दूसरे हाथ में बोतल थी। क्लब में चल रहे डीजे के गानों में जमकर डांस करते हुए नजर आई। नशे में लड़खड़ाती दिखी।
समिट बिल्डिंग में 15 फ्लोर है। इसमें करीब 10 से ज्यादा क्लब और बार हैं। इस दौरान एक या दो क्लब को छोड़ दिया जाए तो किसी भी क्लब के बाहर नियमों की जानकारी नहीं दी गई है। जबकि आबकारी विभाग की गाइड लाइन बाहर चस्पा होनी चाहिए। ग्राउंड फ्लोर पर एक क्लब के बाहर नोटिस लगी भी है तो वह इतना छोटा है कि नजर ही नहीं जाती। इसके अलावा बाकी जगह तो कोई जानकारी ही नहीं है।
नशे के बाद ये लड़के-लड़कियां क्लब से बाहर निकलते ही सिगरेट और बीयर पीते हैं। इसमें बड़ी संख्या लड़कियों की रहती है। महिला पुलिस की संख्या कम होने की वजह उनको कोई जल्दी बोलता भी नहीं है। ऐसे में उसका ही फायदा यह लोग उठाते हैं। यहां तैनात एक पुलिस कर्मी ने बताया कि कई लोग रसूखदार परिवारों से होते हैं। ऐसे में एक बार कार्रवाई करने के बाद दबाव बढ़ जाता है। ऐसे में अब पुलिस भी कार्रवाई करने से डरती है।
रात 10 बजे के बाद खुमार चढ़ता गया। इसके बाद बिल्डिंग से बाहर आकर लड़के-लड़कियां सिगरेट पीने के साथ हंगामा करने लगे। स्थिति यह थी कि 16 से 18 साल के बच्चे खुलेआम कश लगाते नजर आए। सार्वजनिक स्थान पर सिगरेट पीने की मनाही के बाद भी वहां चक्कर लगा रही, पुलिस ने एक बार भी किसी से कुछ नहीं कहा।
पुलिस ने रात 12 बजे के बाद ग्राउंड फ्लोर के एंट्री पाॅइंट पर रस्सी लगा दी। 8 से 10 पुलिस वाले वहां आ रहे लोगों को अंदर जाने से मना कर रहे थे। लेकिन, उनके ही सामने लोग पहले सीढ़ियों से बेसमेंट में गए। उसके बाद वहां से जिस क्लब में जाना होता है, उस फ्लोर पर पहुंच गए। रात 12 बजे के बाद ऐसे लोगों के साथ क्लब में एंट्री ली।
लखनऊ के इन क्लबों में नियमों को ताख पर रखकर हो रहे नशे के बारे में आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल से बात की। मंत्री ने दावा किया कि अगर कोई क्लब ऐसा कर रहा है तो उसको सीज किया जाएगा। मंत्री से यह सवाल किया गया कि शहर के क्लब में 21 साल से कम उम्र वालों को न सिर्फ एंट्री मिलती है बल्कि उनको खुलेआम शराब और बीयर परोसी जाती है। उसके बाद ही उन्होंने ऐसे क्लबों को सीज करने की बात कही थी।