बच्चों, बुजुर्गों, डायबिटीज, रक्तचाप, हृदय, टीबी और कैंसर रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता होती है कमजोर
डेंगू से बचाव के लिए मच्छर जनित परिस्थितियां पैदा न होने देंः सीएमओ
जिले में अब तक 24 डेंगू रोगी मिले, स्वास्थ्य विभाग हुआ सक्रिय
फतेहपुर। यह मौसम डेंगू के लिहाज से अति संवेदनशील है। हर बीमारी की तरह डेंगू के मामले में भी बचाव और समय रहते उपचार के लिए लक्षणों की पहचान जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों- बुजुर्गों और किसी बीमारी के चलते कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वालों को बिना बुखार आए भी डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे मामलों में थकान और शरीर में दर्द होता है, रोगी का ब्लड प्रेशर कम हो जाता है, साँसें तेज चलने लगती हैं। मधुमेह रोगियों का शुगर लेबल बढ़ जाता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अशोक कुमार बताते हैं कि डेंगू समेत तमाम मच्छर जनित बीमारियों से बचाव का सबसे बेहतर उपाय है कि मच्छर जन्य परिस्थितियां ही पैदा न होने दें, इसके लिए डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर (डीबीसी) संवेदनशील क्षेत्रों में घर – घर मच्छर जनित स्रोत नष्ट करने और लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं। डेंगू के लक्षण आने पर चिकित्सक से परामर्श लेने में देर न करें। सीएमओ ने कहा संतुलित और पौष्टिक आहार लें और नियमित अंतराल पर पानी और अन्य पेय पदार्थ पीते रहें। डेंगू के मामले में सावधान रहने की जरूरत है। समय से उपचार न होने पर स्थिति बिगड़ सकती है। इसलिए डेंगू के लक्षण आने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर चिकित्सक से परामर्श करें, बिना चिकित्सक से परामर्श लिए केमिस्ट से दवा लेकर न खाएं। तरल पदार्थ ज्यादा लें। जिला अस्पताल में 24 घंटे डेंगू जांच की सुविधा उपलब्ध है। जिला मलेरिया अधिकारी सुजाता ठाकुर का कहना है डेंगू का संक्रमण एडीज मच्छर के काटने से फैलता है, यह मच्छर अधिकतर घरों के अंदर पाया जाता है और साफ व रुके हुए पानी में पनपता है। यह दिन में काटता है। मलेरिया का संक्रमण फैलाने वाला मादा एनाफ़िलीज मच्छर घर के बाहर गंदे और रुके हुए पानी में पैदा होता है। अंडे से मच्छर बनने में एक सप्ताह का समय लगता है। इसलिए हर सप्ताह पानी के कंटेनर जैसे कूलर, फ्रिज और एसी की ट्रे साफ करते रहने की सलाह दी जाती है। मच्छरों से बचाव के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले ढीले कपड़े पहनें और सोने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वालों को विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है। बच्चों- बुजुर्गों और डायबिटीज, रक्तचाप, हृदय रोगियों, टीबी रोगियों और कैंसर रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। कुछ मामलों में बुखार नहीं होता और अन्य लक्षण भी थोड़े हल्के होते हैं, ऐसे में कई बार डॉक्टर के पास जाने में देर हो जाती है, और वही खतरे का कारण बन सकती है। डेंगू में प्लेटलेट्स कम होने के साथ ही रेड और व्हाइट ब्लड सेल समेत कई चीजें डिस्टर्ब हो जाती हैं और साँस लेने में भी दिक्कत हो सकती है। बीपी और शुगर के रोगी खासतौर पर सचेत रहें, बीपी कम होने या शुगर बढ़ने पर चिकित्सक से परामर्श जरूर लें। 1376- घरों की जांच की गई, 1376- घरों में एंटी लार्वा का छिड़काव किया गया, 1376- घरों में इंडोर स्प्रे किया गया, 1569- कंटेनर खाली कराये गये, 82- कंटेनर में लार्वा पाया गया
सामान्य डेंगू के लक्षण -तेज बुखार, शरीर में तेज दर्द, उल्टियां, शरीर पर चकत्ते, कमजोरी