ताइवान में 103 चीनी विमानों ने घुसपैठ की कोशिश करी, चीन के विदेश मंत्री से मिले अमेरिका के सिक्योरिटी एडवाइजर

 

विदेश। ताइवान की डिफेंस मिनिस्ट्री ने सोमवार को दावा किया है कि 24 घंटे में चीन के 103 जंगी विमानों ने उनके इलाके में घुसपैठ की कोशिश की है। डिफेंस मिनिस्ट्री ने इसे हाल ही के दिनों की सबसे बड़ी घुसपैठ बताया है। ताइवान ने कहा है कि ऐसा कर चीन इलाके में तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

चीन लगभग हर रोज ताइवान के इलाके में घुसपैठ करता है। हालांकि, रविवार और सोमवार के बीच चीन के 40 वॉरप्लेन दोनों देशों के बीच बनी मीडियन लाइन पार करते हुए ताइवान में घुसे। इससे पहले शनिवार और रविवार के बीच 63 प्लेन ताइवान में घुसे थे। इनके अलावा 9 युद्धपोतों ने भी ताइवान के एरिया में एंट्री ली।

 

 

चीन की तरफ से ये घुसपैठ उस समय की गई है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। दो दिन की मुलाकात में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने ताइवान का मुद्दा भी उठाया।

जासूसी बैलून के बाद रिश्तों में आए तनाव को दोनों देश दूर करना चाहते हैं। ऐसे में जेक सुलिवन और वांग यी के बीच हुई बातचीत को अहम माना जा रहा है। हालांकि, दोनों के बीच क्या चर्चा हुई अभी इसकी डिटेल में जानकारी नहीं दी गई है।

व्हाइट हाउस ने बताया है कि दोनों के बीच यूक्रेन जंग, ताइवान और ग्लोबल सिक्योरिटी के मुद्दों पर चर्चा की गई। चीन ने कहा है कि दोनों देशों के रिश्तों में ताइवान वो रेड लाइन है, जिसे अमेरिका क्रॉस नहीं कर सकता है।

 

 

पिछले हफ्ते ही चीन ने ताइवान पर कब्जा कर उसे अपने में मिलाने के लिए एक ब्लूप्रिंट जारी किया था। इसके लिए वो तटीय क्षेत्र फुजियान और ताइवान के बीच दूरियां कम करना चाहता है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी और स्टेट काउंसिल ने ताइवान पर कब्जे और उसके बाद वहां अपनी सत्ता जमाने के लिए फुजियान को प्रैक्टिस जोन बनाया।

करीब 1 महीने पहले चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिक ताइवान पर हमले के लिए ट्रेनिंग करते नजर आए थे। PLA के 96 साल पूरे होने पर चीन ने स्टेट मीडिया सीसीटीवी पर एक डॉक्यूमेंट्री जारी की थी। इसका नाम झू मेंग या चेसिंग ड्रीम्स था।

 

 

 

अमेरिका ने 1979 में चीन के साथ रिश्ते बहाल किए और ताइवान के साथ अपने डिप्लोमेटिक रिश्ते तोड़ लिए। इसके बावजूद अमेरिका ताइवान को हथियारों की सप्लाई करता रहा है। चीन को इस पर ऐतराज है। अमेरिका भी दशकों से वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करता है, लेकिन ताइवान के मुद्दे पर उसकी नीति नहीं है।

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने फिलहाल इस पॉलिसी से बाहर जाते दिख रहे हैं। उन्होंने कई मौकों पर कहा है कि अगर ताइवान पर चीन हमला करता है तो अमेरिका उसके बचाव में उतरेगा। बाइडेन ने हथियारों की बिक्री जारी रखते हुए अमेरिकी अधिकारियों का ताइवान से मेल-जोल बढ़ा दिया।

 

 

 

 

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