अमेरिका की खुफिया एजेंसियों को पता लगा है कि फरवरी में अमेरिकी समुद्र तट के पास आए चीन के जासूसी गुब्बारे के संबंध में राष्ट्रपति शी जिन पिंग को पहले से जानकारी नहीं थी। उन्होंने इस पर सीनियर फौजी जनरलों पर गुस्सा भी जताया था।
शी अमेरिका के खिलाफ जोखिम भरे जासूसी अभियानों के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन, जब उन्हें अहसास हुआ कि बैलून कांड से अमेरिका के विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकन से बातचीत प्रभावित होगी तब उन्होंने सीनियर जनरलों की खिंचाई की थी।
यह घटना अमेरिका और चीन के बीच गुप्त जासूसी मुकाबले के विस्तार पर रोशनी डालती है। बैलून संकट अमेरिका के खिलाफ चीन के बेखौफ और आक्रामक जासूसी प्रयासों की झलक दिखाता है। वहीं इसके साथ चीन के संबंध में जानकारी जुटाने की अमेरिका की बढ़ती क्षमता का खुलासा भी होता है।
राष्ट्रपति जो बाइडेन की सोच है, अमेरिका की ताकत के लिए चीन लंबे समय में सबसे बड़ी चुनौती बन सकता है। इसलिए वे उसकी सैनिक और तकनीकी क्षमता पर काबू पाना चाहते हैं। दूसरी ओर चीनी खुफिया एजेंसियों का दुस्साहस शी की योजना का हिस्सा है। उन्होंने देश की सीमाओं पर आक्रामक रुख अपनाया है।
चीन और अमेरिका ने दुनियाभर में अपनी इंटेलिजेंस एजेंसियों को एक्टिव होने के निर्देश दिए हैं। इसकी दो मुख्य वजह हैं
1. प्रतिद्वंद्वी देश के नेताओं के इरादे क्या हैं?
2 उनके पास कैसी सैनिक और तकनीकी क्षमता है?
जासूसी अभियान के बारे में अधिकतर अमेरिकी अधिकारियों का कहना है, CIA का फोकस ताइवान के संबंध में चीन के इरादों पर है। FBI ने अमेरिका के अंदर जासूस भर्ती करने के चीनी प्रयासों की खोज पर ध्यान दिया है। अमेरिकी एजेंटों ने पिछले एक साल में अमेरिका की धरती पर फौजी अड्डों में चीनी नागरिकों की एक दर्जनों घुसपैठ का पता लगाया है। दोनों देश अपनी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस टेक्नोलॉजी का विकास तेजी से कर रहे हैं। इससे फौजी, आर्थिक सर्वोच्चता बनाए रखने के साथ उनकी खुफिया एजेंसियों को नई धार मिलेगी।
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है, चीन अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा, डिप्लोमेसी और आधुनिक कॉमर्शियल टेक्नोलॉजी के हर पहलू पर नजर रखता है। CIA और पेंटागन की इंटेलिजेंस एजेंसी ने चीन की जासूसी पर फोकस करने वाले नए सेंटर बनाए हैं। इलेक्ट्रॉनिक संदेशों को खोजने की क्षमता बेहतर की गई है। चीन की समुद्री सीमा के पास जासूसी विमानों की हलचल बढ़ाई है। FBI के डायरेक्टर क्रिस्टोफर व्रे कहते हैं, चीन से जासूसी टकराव शीत युद्ध के समय अमेरिका और सोवियत यूनियन के बीच हुए टकराव से अधिक व्यापक है।
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है, चीन का सैटेलाइट निगरानी सिस्टम और साइबर हमले खुफिया सूचनाएं जुटाने के सबसे अहम साधन हैं। स्पाई बैलूनों के जरिए चीन ने आसमान से जासूसी करने का नया सिस्टम तैयार किया है। अमेरिकी सरकार सहयोगी देशों को बार-बार आगाह कर रही है कि अगर उन्होंने चीनी कम्युनिकेशन कंपनियों की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया तो चीन की इलेक्ट्रॉनिक जासूसी क्षमता बढ़ जाएगी।
अमेरिकी सरकार में घुसपैठ करने की कोशिश अमेरिकी अधिकारी चीनी एजेंसियों द्वारा निजी संपर्क के माध्यम से जानकारी जुटाने के बारे में ज्यादा चिंतित हैं। चीन की मुख्य इंटेलिजेंस एजेंसी- स्टेट सिक्योरिटी मंत्रालय अमेरिकी सरकार में एजेंटों की भर्ती करना चाहती है। उसका लक्ष्य टेक्नोलॉजी कंपनियों और डिफेंस इंडस्ट्री में घुसपैठ करना भी है। चीन एजेंट सोशल मीडिया साइट खासकर लिंक्ड इन का उपयोग लोगों को लुभाने के लिए करते हैं।