एसएसपी एवं उनकी पत्नी ने मानवता कर्तव्य के साथ-साथ दर्शन कराकर मनीषियों को कर दिया मंत्रमुग्ध

 

✍🏻ब्यूरो संजीव शर्मा

रामकृष्ण मय हुआ कार्यक्रम, श्रोता हुए भाव विभोर ओज और श्रृंगार रस की वही ज्ञान गंगा ।

न्यूज़ वाणी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय वर्मा व उनकी पत्नी नीलम राय वर्मा ने अभिनंदन समारोह को बना दिया आध्यात्मिक, रामकृष्ण मय हुआ कार्यक्रम, श्रोता हुए भाव विभोर ओज और श्रृंगार रस की वही ज्ञान गंगा ।
इटावा के इतिहास में ऐसा अद्भुत नजारा देखने को कभी नहीं मिला चारों ओर हो रही प्रशंसा।
इटावा यशस्वी शिक्षा विद एवं साहित्य महोपाध्याय डॉ.विद्याकांत तिवारी किसी परिचय के मोहताज नहीं वे शिक्षाविद के साथ संचालन के बेताज बादशाह हैं ।किसी धर्म मजहब व वर्ग के साहित्य मनीषी क्यों न हों उनकी लाइकी और सरल स्वभाव की कद्र करते हैं ।यही कारण रहा कि जब डॉ. विद्याकांत तिवारी का स्वागत, सम्मान ,अभिनंदन समारोह स्वर्गीय चौधरी शंकर दयाल दीक्षित स्मारक संस्थान इटावा द्वारा राहतपुरा में स्थित श्री शंकर धर्मार्थ नेत्र चिकित्सालय में रखा गया तब उनके सम्मान में विभिन्न वर्गों के लोगों का पहुंचने का तांता लग गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय वर्मा तथा विशिष्ट अतिथि उनकी पत्नी नीलम राय वर्मा रहीं । इटावा जनपद के निवासी महान कथाकार कामरेड दिनेश पालीवाल ने खुशीशी मेहमान के इस कार्यक्रम में सहभागिता की। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर रमेश चंद्र शुक्ला भारत विकास परिषद के पांचाल प्रांत ने की उन्होने तिवारी संग इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पुलिस कप्तान संजय वर्मा व उनकी पत्नी को प्रतीक चिन्ह व अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया । इस स्वागत के केंद्र बिंदु में रहे वरिष्ठ पुलिस कप्तान संजय वर्मा एवं उनकी धर्मपत्नी नीलम राय वर्मा दोनों पति-पत्नी ने रामायण और गीता का विशेष उल्लेख करके तथा उसकी महिमा का वर्णन करके संदर्भों के माध्यम से व्याख्या की। उनके विशेष प्रकार के उद्बोधन ने समा बांध दिया । इस व्याख्यान के बाद कार्यक्रम राम व श्री कृष्णा मय हो गया। पुलिस कप्तान व उनकी पत्नी नीलम राय वर्मा ने जिस मार्मिक, तार्किक, व सारगर्भित अंदाज से गीता व रामायण पर अपने विचार व्यक्त करके कार्यक्रम को राम और श्री कृष्णा मय बनाया ,उसे जनपद इटावा के इतिहास में बहुत दिनों तक याद किया जाएगा। उपरोक्त कार्यक्रम मील का पत्थर साबित हुआ। दोनों पति-पत्नी ने जिस तरीके से राम व श्री कृष्ण का विराट स्वरूप प्रकट किया उससे तो प्रकाण्ड पंडित भी आश्चर्यचकित रह गए । इन दोनों महानुभावों का अपना तर्कपूर्ण विचार काफी महत्वपूर्ण रहा। उनका यह कहना कि जब राम, कृष्ण सारे ब्रह्मांड में हैं तब उनकी महिमा और कद उनका नाम लेने वाले क्यों घटा रहे हैं ? कण कण में राम और कृष्णा है । राम कृष्ण हमारे रोम रोम में बसे हैं तब उन्हें संकुचित भाव में रखने का वाले हम कौन होते हैं?
कार्यक्रम का आगाज करते हुए अपर्णा मिश्रा ने सरस्वती वंदना पढ़ी, तत्पश्चात कार्यक्रम में पधारे कवि कमलेश शर्मा ने अपनी बहुचर्चित कविता कि लोग राम को काल्पनिक मानकर उनका प्रमाण मांगते हैं ।इसके बाद श्रीमती नीलम राय वर्मा ने पहले गीता का और फिर राम और तुलसी कृत रामचरितमानस की चौपाईयां सुना कर प्रशंसा की , जिसके बाद किसी को कुछ कहने का अधिकार नहीं रह जाता । श्रीमती वर्मा का उद्बोधन इतना प्यारा,न्यारा व दुलारा होने के साथ इतना प्रभावी था कि श्रोतागण अपने आप में गदगद हो गए । इसी तर्ज में वरिष्ठ पुलिस कप्तान संजय वर्मा ने हिंदी संस्कृत का अंग्रेजी में गीता व रामायण को ओज पूर्ण रूप में उद्घघृत किया जिसे सुनकर धार्मिक प्रकांड पंडित तक शर्मा जाएं। पति-पत्नी का शाब्दिक उच्चारण गजब का था । ऐसा लग रहा था कि संजय वर्मा व उनकी पत्नी नीलम राय वर्मा में प्रतिस्पर्धा हो रही हो । लेकिन जब पुलिस कप्तान संजय वर्मा ने यथार्थ से श्रोताओं को रूबरू कराते हुए सामाजिक दर्शन और मानवीय दर्शन के साथ इंसानी संवेदनाओं को स्पर्श करते हुए ,कर्तव्य बोध का एहसास कराया तब तो वातावरण इंसानियत भाईचारा मय हो गया । एस एस पी वर्मा ने जब निषाद केवट और शबरी प्रसंग धारा प्रवाह रूप से किया तब श्रोतागण तालियां बजाने के लिए विवस हो गए । पति-पत्नी की प्रस्तुति इतनी प्रभावी और तार्किक थी कि श्रोता मंत्र मुग्ध हो गए । सारांश यह था कि राम और कृष्ण के मानने वाले संकीर्ण हो ही नहीं सकते, इसमें घृणा का कोई स्थान नहीं है। पुलिस कप्तान संजय वर्मा व उनकी पत्नी नीलम राय वर्मा के बीच में गीता व रामायण के व्याख्यान को लेकर जो ज्ञान गंगा की आपस में जुगलबंदी चली उसे कभी बुलाया नहीं जा सकता । पुलिस कप्तान वर्मा ने जब यह कहा कि हमारे पास अधिकांश शिकायतें इस बात को लेकर आती हैं की उनका बेटा अपने बूढ़े मां-बाप का निरादर व उत्पीड़न कर रहा है । क्या ऐसे समाज के लोगों को सभ्य कहा जा सकता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हमें स्वयं और अपने बच्चों को संस्कारवान बनाना चाहिए । एसएसपी वर्मा ने कहा कि समाज में एक अजीब प्रकार का प्रदूषण फैलता जा रहा है। आज मोबाइल का जिस तरीके से पढ़ने ,लिखने वाले बेटे और बेटियां दुरुपयोग कर रहे हैं। क्या यह बुराइयां हम लोगों से छुपी हुई है उन्होंने कहा कि जब हम आप सब जानबूझकर ऐसी बुराइयों को नजरअंदाज करने लगते हैं तब इसका खामियाजा किसी और को नहीं हमें स्वयं भुगतना पड़ता है।
एसएसपी संजय वर्मा ने कहा कि हमें सच्चे मायने में धर्म के मर्म को समझना चाहिए ।तभी समाज में फैली कुरीतियों और बुराइयों पर विराम लगेगा। उन्होंने कहा कि सभी धर्म बुराइयों से मनुष्य को रोकते हैं। हम धर्म ग्रंथो को जानते हैं लेकिन उसमें मनुष्य कल्याण के लिए जो लिखा है उसका अनुसरण नहीं करते। दोनों पति-पत्नी ने कुछ ऐसे शेरों को उद्गृत किया जिससे मनुष्य में सुधार हो सकता है । एसएसपी संजय वर्मा और श्रीमती नीलम राय वर्मा ने जिस गहराई से गीता और रामायण का गहन अध्ययन करने के बाद जो अपना उद्बोधन किया वह वास्तविक रूप से मन को छू रहा था। एसएसपी संजय वर्मा ने नेताजी सुभाष बोस और महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा कि क्या हम लोग अपने इन महापुरुषों से कोई सबक नहीं ले सकते यह लोग सच्चे राष्ट्रभक्त एवं राष्ट्रवादी थे।
एस एसपी संजय वर्मा का लहजा ओज पूर्ण तरीके से सारगर्भित होने के साथ तार्किक व समाज में फैल रही छोटी-छोटी सी गलतियां और बुराइयों को इस तार्किक अंदाज में सामने ला रहे थे ,जैसे कोई अभिभावक अपने निजी बच्चों को तर्कपूर्ण चीज सामने लाकर समझा रहा हो । सम्मान समारोह में जाने-माने साहित्यकार मनीषी और बुद्धिजीवी उपस्थित थे ,उसका कारण यह था कि ऐसे लोग डॉ. विद्याकांत तिवारी को मन की गहराइयों से चाहते हैं । जिस प्रकार से वरिष्ठ पुलिस कप्तान संजय वर्मा और उनकी पत्नी नीलम राय वर्मा ने सामाजिक, आध्यात्मिक, धार्मिक बातों को तथ्यात्मक अंदाज से रखा उसकी मुक्त कंठ से सभी ने प्रशंसा की। बिरले अधिकारी ऐसे होते हैं जो जनता से सीधा संवाद सरल भाषा में स्थापित करते हैं । डॉ. विद्याकांत तिवारी को समर्पित सम्मान समारोह से समाज को एक लाभ हुआ कि उन्हें इस अवसर पर एसएसपी संजय वर्मा के साथ उनकी पत्नी नीलम राय वर्मा के सुविचार सुनने को मिले।
इस कार्यक्रम में जनपद इटावा के मनीषी विद्वानों के साथ बाहर के साहित्य प्रेमियों ने बड़ी संख्या में कार्यक्रम में हिस्सा लिया तथा उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। सम्मान समारोह का सफल संचालन वरिष्ठ पत्रकार सुधीर मिश्रा एवं हैवरा डिग्री कॉलेज के प्रचार डॉ. शैलेंद्र शर्मा ने संयुक्त रूप से किया ।
स्वागत ,सम्मान समारोह कार्यक्रम से अभिभूत होकर डॉ.विद्याकांत तिवारी ने सभागार में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन और आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ईश्वर ने पाषाण, बरगद का वृक्ष और आसमान तीनों बनाए हैं, जब कोई वस्तु पाषाण के नीचे दब जाती है तो उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है । यदि कोई छोटा पौधा बरगद के पेड़ के नीचे उग जाता है तो बरगद किसी भी कीमत पर उसका विकास नहीं होने देता है । साथ ही प्रकृति ने आसमान बनाया है कि आप स्वच्छंद होकर निर्बाध रूप से विचरण करें । हर आदमी की तमन्ना होती है कि वह आसमान छुए । पुनः आभार और वंदन करते हुए उन्होंने अपने शब्दों को विराम दिया ।यह वाकई एक दार्शनिक शब्दावली थी जिस पर हमें चिंतन और मनन करना चाहिए। कार्यक्रम में पूर्व प्रधानाचार्य ब्रजानंदन शर्मा जी के अलावा संघ के विनोद चंद्र पांडे, महेश चंद्र तिवारी , शिव कुमार दुबे एडवोकेट, डॉ. अशोक चौधरी वरिष्ठ पत्रकार गणेश जज्ञानार्थी, डॉ .कुश चतुर्वेदी, डॉ.धर्मेंद्र कुमार ,गोविंद नारायण बाजपेई,कौमी तहफ्फुज कमेटी के संयोजक खादिम अब्बास ,इंसानी भाईचारा प्रेम सदभाव समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद आमीन भाई, ध्रुव दत्त मिश्रा, विनोद कुमार तिवारी ,श्रीमती आशा दुबे ,श्याम सुंदर दीक्षित, श्रीमती खत्रा दीक्षित, डॉ. आयुष त्रिपाठी, राजेंद्र दीक्षित, रिभु दीक्षित, कृष्णकांत त्रिपाठी, डॉ. पीयूष पांडे, राकेश वर्मा , सुमित त्रिवेदी , आलोक श्रीवास्तव , कमल कांत त्रिपाठी, घनश्याम तिवारी, रितु त्रिपाठी, राजेंद्र सिंह शर्मा, सतीश महेरे ,प्रियंका महेरे , सुमित द्विवेदी, आलोक श्रीवास्तव , उपदेश नारायण त्रिपाठी, शशिकांत त्रिपाठी आज के कार्यक्रम के व्यवस्थापक रहे ,कार्यक्रम को सजीव स्वरुप प्रदान करने में आप सभी का योगदान सराहनीय रहा। इस सम्मान समारोह के अवसर पर श्री शंकर धर्मार्थ नेत्र चिकित्सालय की संयोजक समिति का विशेष योगदान विस्मृत नहीं किया जा सकता बल्कि उनके संयोजन में हुआ यह कार्यक्रम इटावा के लिऐ एक यादगार बन गया।

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