विदेश। रूस-यूक्रेन जंग में यूक्रेन के सबसे बड़े साथी पोलैंड ने उसे हथियार सप्लाई न करने की घोषणा की है। पोलैंड के प्रधानमंत्री ने कहा है कि वो यूक्रेन को हथियार देने की जगह अपने देश में ज्यादा मॉडर्न और एडवांस वेपेन जुटाने पर फोकस करेंगे। दरअसल पोलैंड और यूक्रेन में अनाज के एक्सपोर्ट को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है।
BBC के मुताबिक, मंगलवार को UN में जेलेंस्की ने बिना नाम लिए पोलैंड पर तंज कसा था। उन्होंने कहा था कुछ देश दुनिया के सामने यूक्रेन का साथ देने का दिखावा करते हैं। पोलैंड ने जेलेंस्की के इस आरोप को खारिज करते हुए कहा था कि उन्होंने जंग के पहले दिन से यूक्रेन का साथ दिया है।
दरअसल, अनाज को लेकर ये विवाद तब शुरू हुआ जब रूस के साथ जंग की वजह से ब्लैक सी के जरिए अनाज एक्सपोर्ट के रास्ते को बंद करना पड़ा।
इसके बाद यूक्रेन का अनाज दुनियाभर के कई देशों में न जाकर सेंट्रल यूरोप के मुल्कों में रह गया।
इसकी वजह से यूरोप के कई देशों के किसान परेशान हो गए, क्योंकि यूक्रेन से अनाज आने की वजह से उनके अपनी फसल की कीमत बेहद कम हो गई।
इसे देखते हुए यूरोपियन यूनियन ने बुल्गारिया, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया और स्लोवाकिया में अनाज के इम्पोर्ट पर बैन लगा दिया।
ये बान 15 सितंबर को खत्म हो गया था। हालांकि, किसानों के हित में फैसला लेते हुए पोलैंड, हंगरी और स्लोवाकिया ने ये पाबंदियां जारी रखीं। इससे यूक्रेन का अनाज बर्बाद होने लगा।
इस हफ्ते की शुरुआत में यूक्रेन ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन में इन देशों की तरफ से लगाए गए बैन के खिलाफ केस दर्ज करवाया। उसने पोलैंड सहित बाकी दोनों देशों पर अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। यूक्रेन की इकोनॉमी मिनिस्टर ने कहा- ये बेहद जरूरी है कि हम ये साबित करें कि कुछ देश अकेले यूक्रेनी सामान के इम्पोर्ट पर बैन नहीं लगा सकते हैं।
हालांकि, WTO में यूक्रेन के केस का पोलैंड ने विरोध करते हुए बैन जारी रखने की घोषणा की। साथ ही पोलैंड के PM ने कहा- अगर यूक्रेन ने इस मामले को ज्यादा बढ़ाया तो हम वहां से आ रहे दूसरे सामानों पर भी पाबंदियां लगा देंगे। पोलैंड की विदेश मंत्री ने कहा- अंतरराष्ट्रीय फोरम के जरिए पोलैंड पर दबाव बनाना 2 देशों के बीच में मसला सुलझाने का सही तरीका नहीं है।
पोलैंड, स्लोवाकिया और हंगरी ने पाबंदी के बावजूद अपने देशों के रास्ते दूसरे मार्केट में यूक्रेनी अनाज के एक्सपोर्ट की इजाजत दे रखी है। पौलैंड जंग की शुरुआत से यूक्रेन का साथ देता आया है और उसने अलग-अलग मौकों पर हमले के लिए रूस की निंदा की है।
पोलैंड ने ही सबसे पहले यूक्रेन को फाइटर जेट देने की घोषणा की थी। यही वो देश है जिसने जर्मनी से यूक्रेन को लेपर्ड 2 बैटल टैंक देने की अपील की थी। इसके अलावा जंग के बाद से पोलैंड अब तक यूक्रेन के करीब 15 लाख लोगों को पनाह दे चुका है। यूक्रेन जाने वाले अलग-अलग वर्ल्ड लीडर्स भी अक्सर पोलैंड होकर ही अपनी यात्रा करते हैं।
इसके अलावा पोलैंड नाटो संगठन का भी मेंबर है। यूक्रेन लंबे समय से इस संगठन में शामिल होने की कोशिश करता रहा है। इसका रूस और पुतिन ने सीधे तौर पर विरोध किया है।
1991 में सोवियत संघ के 15 हिस्सों में टूटने के बाद NATO ने खासतौर पर यूरोप और सोवियत संघ का हिस्सा रहे देशों के बीच तेजी से प्रसार किया।
2004 में NATO से सोवियत संघ का हिस्सा रहे तीन देश- लातविया, एस्तोनिया और लिथुआनिया जुड़े, ये तीनों ही देश रूस के सीमावर्ती देश हैं।
पोलैंड (1999), रोमानिया (2004) और बुल्गारिया (2004) जैसे यूरोपीय देश भी NATO के सदस्य बन चुके हैं। ये सभी देश रूस के आसपास हैं। इनके और रूस के बीच सिर्फ यूक्रेन पड़ता है।
यूक्रेन कई साल से NATO से जुड़ने की कोशिश करता रहा है। उसकी हालिया कोशिश की वजह से ही रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है।
यूक्रेन की रूस के साथ 2200 किमी से ज्यादा लंबी सीमा है। रूस का मानना है कि अगर यूक्रेन NATO से जुड़ता है तो NATO सेनाएं यूक्रेन के बहाने रूसी सीमा तक पहुंच जाएंगी।
यूक्रेन के NATO से जुड़ने पर रूस की राजधानी मॉस्को की पश्चिमी देशों से दूरी केवल 640 किलोमीटर रह जाएगी। अभी ये दूरी करीब 1600 किलोमीटर है। रूस चाहता है कि यूक्रेन ये गांरटी दे कि वह कभी भी NATO से नहीं जुड़ेगा।