खाद्यान्न वितरण में कोटेदारों की कटौती से कराहते लाभार्थी

– राशन दुकानदारों की मनमानी से आजिज हैं कार्डधारक
– कार्डधारकों से 2 से 5 किलो तक की हो रही कटौती
– नजराना लेकर दुरुस्त वितरण का फर्जी प्रमाण पत्र दे रहे पर्यवेक्षणीय अधिकारी
फतेहपुर। गरीबों को बांटे जाने वाले निःशुल्क खाद्यान्न पर अफसरों की अनदेखी के चलते दुकानदार डांका डाल रहे हैं। दिए जाने वाले खाद्यान्न में कटौती से आजित लाभार्थी मन मार कर कोटेदारों की जबरदस्ती का शिकार हो रहे हैं। नाम के लिए लगाए गए पर्यवेक्षणीय अधिकारी नजराना लेकर सब कुछ दुरुस्त होने की मोहर लगाने से बेखौफ हो चुके सरकारी दुकानदारों को किसी का भय रहा ही नहीं। कई तो इतने बेलौस और बेखौफ हो गए हैं कि दो-टूक जवाब दे रहे हैं कि सबको समझना पड़ता है। अब जब इन हालातों में गरीबों के हकों पर कटौती कर डांका डाला जाएगा तो फिर सरकार के अंत्योदय के सपने को आखिर कैसे साकार किया जा सकेगा। फतेहपुर जिले के 13 विकास खण्डों एवं नगरीय क्षेत्र में गरीबों तक खाद्यान्न सुलभता से पहुंचाने को लेकर 1098 सरकारी दुकानदार लगाए गए हैं। आम गरीब तक खाद्यान्न बिना किसी समस्या एवं भ्रष्टाचार के पहुंचे इसके लिए शासन द्वारा वितरण में पारदर्शी व्यवस्था रखने के निर्देश हैं। लेकिन जिस तरह से जिले में राशन दुकानदार मनमानी पर उतारू हैं और गरीबों के खाद्यान्न पर डांका डाल रहे हैं उससे गरीब कराहने के अलावा और कुछ नहीं कर पा रहा है। जनपद में पात्र गृहस्थी के 465835 एवं अंत्योदय के 36789 राशन कार्डधारकों को फिलहाल सरकार निःशुल्क खाद्यान्न दे रही है। साथ ही अंत्योदय कार्डधारकों को 1 किलो चीनी देने की भी व्यवस्था की गई है। हर माह बंटने वाले खाद्यान्न में कार्डधारकों से 2 किलो से 5किलो तक की कटौती करके कोटेदार मलाई खा रहे हैं। राशन वितरण की पड़ताल नमूने के तौर पर की गई तो पीरनपुर की उर्मिला देवी, रहमत अली, गीता देवी अमरजई की पुष्पा, रामप्यारे, शकुंतला सादीपुर की तबस्सुम, राम प्रकाश, कांशीराम कॉलोनी की लक्ष्मी, रानी कॉलोनी की प्रशंसा सहित आधा सैकड़ा कार्डधारकों ने स्वीकार किया कि उनसे खाद्यान्न की कटौती की जाती है। विरोध करने पर कोटेदार का बात करने का तरीका ही बदल जाता है और कई तो यहां तक कहते हैं कि जो बचता है वह ऊपर तक जाता है। मलाई खा रहे कोटेदार गरीबों के हकों में तो डांका डाल ही रहे हैं साथ ही साथ सरकार के अंत्योदय के सपने को भी धूल-धूसरित कर रहे हैं। हालात तो ये हैं कि पारदर्शी वितरण को लेकर शासन के निर्देश पर पर्यवेक्षणीय अधिकारी भी लगाए गए हैं लेकिन दुकानों पर ना तो पर्यवेक्षण करने वाले अधिकारी-कर्मचारी नजर आते हैं। और ना हीं दुकानों में दिए गए दिशा निर्देशों का पालन किया जाता है। खुलेआम कार्डधारकों से हो रही कटौती के बावजूद उनके दुरुस्त वितरण का प्रमाण पत्र आखिर कैसे मिल रहा है। यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है। मामले में जिला पूर्ति अधिकारी अभय सिंह ने कहा है कि इसकी जांच करेंगे और गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

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