फतेहपुर। नई संसद भवन के प्रवेश पर जिस संविधान की लोकतांत्रिक ग्रंथ से समाजवाद और धर्म निरपेक्ष शब्द को हटाया गया! उसकी आशंका कांग्रेस पार्टी को एनडीए की सरकार में भारतीय जनता पार्टी के आनुषंगिक संगठन के नेताओं के दिए गए वक्तव्यों से हों, या प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार का लेख हो या फिर राज्यसभा में लाया गया निजी बिल हो! इस प्रकरण पर विरोध दर्ज किया गया है। उत्तर प्रदेश कॉंग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता मिस्बाह उल हक ने कहा कि इन्हीं आशंकाओं को दूर दृष्टि से आकलनों पर ही बीते कई माह से उत्तर प्रदेश कॉंग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग समुदायों में संवैधानिक चेतना पैदा करने का काम कर रही थी कि केंद्र की सरकार संविधान के प्रस्तावना से संविधान की आत्मा कही जाने वाले शब्द ,समाजवाद और धर्म निरपेक्ष शब्द हटाने का कुत्सित प्रयास कर रही है अब जब नई संसद के प्रवेश का शुभ अवसर आया तो बिना किसी संवैधानिक प्रक्रिया के, सांसदों को दी गई प्रति से उक्त शब्द को विलुप्त करने की गैर संवैधानिक कार्यवाई की गई जिसकी निंदा की गई। इस अवसर पर केंद्र के मंत्री का जवाब भी देश की समावेशी विकास में शामिल प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा के खिलाफ है! देश के नागरिकों के जीवन पर प्रभाव के साथ बहु जातीय संस्कृति के संरक्षण में, बहु धार्मिक विश्वास के साथ साथ ही उनके समता वादी, न्याय और अधिकारिता का प्रभाव डालेगा।