खागा-फतेहपुर। सरस सुंदर अपनी मीना,जो करे सरल सबका जीना,चतुर सफल है अपनी मीना,क्यों न सीखें इससे जीना। तहसील के सभी परिषदीय विद्यालयों में मीना मंच के गठन के अवसर पर आयोजित जन्मदिन पर केक काटकर हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।इस अवसर पर मीना मंच के गठन के उद्देश्य एवं सार्थकता पर विचार व्यक्त किए गए। बताया गया कि मीना 9 वर्ष की एक लड़की है जो यूनिसेफ की परिकल्पना है।वह उमंग और उत्साह से भरी हुयी है तथा जिसकी सोच सकारात्मक है।जो प्रश्न पूंछने में झिझकती नहीं है।जो कमजोर वर्ग के लिए हमेशा आवाज उठाती है।दूसरों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील है।परिवारी जनों,मित्रों एवं समाज की सहायता करने में तत्पर रहती है।मीना एक काल्पनिक चरित्र है वह बालिकाओं के मुद्दों को समझने के लिए बनाया गया है इसका उद्देश्य बालिकाओं की शिक्षा को मजबूत करना है।मीना का छोटा भाई है राजू तथा मिठ्ठू उसका पालतू तोता है।दीपू,रानो,सुमी,रीना,कृष्णा,मीना के मित्र एवं सहपाठी हैं।बहिन जी और रजनी बहिन जी मीना के स्कूल की शिक्षिकायें हैं।शोभा काकी,पोंगाराम चाचा,नर्स बहिन जी,डॉक्टर बाबू,सरपंच जी साथ के गांव के मुखिया प्रधान जी इत्यादि चरित्र गढ़े गए हैं।परिवेश ग्रामीण है। मीना एक ऐसा नाम है जो किसी धर्म विशेष का प्रतिनिधित्व नहीं करता।चूंकि मीना मंच का प्रारम्भ 24 सितम्बर को हुआ था। उस दिन रविवार होने के कारण शनिवार को मीना दिवस के रूप में मनाया गया।मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है।यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिक से अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में सहयोग किया।