निष्ठा हत्याकांड में खुलास, वारदात को खुदकुशी का रूप देने की कोशिश की; पिस्टल ठिकाने लगाने वाला गिरफ्तार

 

 

उत्तर प्रदेश के हरदोई निवासी बीबीडी की छात्रा निष्ठा त्रिपाठी (23) हत्याकांड में अवैध पिस्टल ठिकाने लगाने वाला आरोपी इंजीनियरिंग छात्र आदित्य शुक्ला शनिवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने पूरी वारदात कुबूली है। उधर, पुलिस ने पिस्टल मुहैया कराने वाले जेल में बंद शातिर आसिफ को आरोपी बनाया है। पुलिस जल्द ही कोर्ट से अनुमति लेकर उससे पूछताछ करेगी। उसके साथी अखंड प्रताप सिंह की भी भूमिका जांची जा रही है। उसकी भी तलाश जारी है। सुबूत मिले तो उसे भी आरोपी बनाया जाएगा।

 

 

 

हरदोई निवासी निष्ठा त्रिपाठी बीबीडी से बीकॉम थर्ड ईयर की पढ़ाई कर रही थी। 20 सितंबर की रात वह चिनहट स्थित दयाल रेजीडेंसी में मूलरूप से बलिया निवासी अपने दोस्त आदित्य देव पाठक के घर गई थी। तड़के करीब साढ़े तीन बजे विवाद के बाद आदित्य ने निष्ठा की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने आदित्य देव को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पुलिस की जांच में सामने आया था कि वारदात के बाद आदित्य देव के साथी देवरिया निवासी आदित्य शुक्ला ने पिस्टल जनेश्वर मिश्र पार्क के गेट नंबर छह के पास छिपा दी थी। जिसको पुलिस ने बरामद किया था। पुलिस ने उसको साक्ष्य मिटाने का आरोपी बनाया है।

 

 

 

पुलिस ने आदित्य शुक्ला की गिरफ्तारी कर ली है। एडीसीपी पूर्वी सैयद अली अब्बास ने बताया कि आरोपी ने अपने बयान में बताया था कि मटियारी गोली कांड को अंजाम देने वाला आसिफ उसका करीबी है। आसिफ जब पिस्टल देने आया था तो उसके साथ अखंड प्रताप सिंह भी था। इसी आधार पर आसिफ को आरोपी बनाया है। आदित्य शुक्ला ने एक बड़ा खुलासा किया है। दावा है कि घटना के बाद आदित्य पाठक ने कहा था कि सभी लोग अस्पताल चलो। चूंकि पिस्टल ठिकाने लगानी थी इसलिए उसको नहीं ले गए। जब डॉक्टरों ने निष्ठा को मृत घोषित किया तो आदित्य ने उसको कॉल की। उसने कहा कि आ जाओ पुलिस से बताएंगे कि निष्ठा ने खुदकुशी की है।

 

 

 

आदित्य शुक्ला ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि वह अपने कमरे में सो रहा था। साढ़े तीन बजे गोली चलने की आवाज आई। जब वह आदित्य देव के कमरे में पहुंचा तो देखा कि निष्ठा खून से लथपथ पड़ी है। पिस्टल आदित्य देव के हाथ में थी। उसने कहा कि वारदात में उसका हाथ नहीं है। उसने सिर्फ पिस्टल छिपाई थी। गोली आदित्य देव ने मारी या धोखे से चली उसको नहीं पता।

 

 

आसिफ ने फरवरी में गोलीकांड को अंजाम दिया था। इसके बाद उसने पिस्टल आदित्य देव को दे दी थी। 15 मार्च को आदित्य व उसके साथियों ने मिलकर एक छात्र पर हमला किया था। तब वह जेल गया था, लेकिन उसके पास से पिस्टल बरामद नहीं हुई थी। न ही पुलिस ने आसिफ वाले केस में पिस्टल की बरामदगी की। मतलब आदित्य देव जेल जाने से पहले पिस्टल ठिकाने लगा गया था। जब 31 अगस्त को जेल से छूटा तो फिर से वह उस पिस्टल को रखने लगा। इसमें पुलिस की बड़ी नाकामी रही है।

 

 

 

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