दुर्गावती प्रखंड में धूमधाम से मनी सद्गुरु सदाफल देव की 136 वी जयंती

 

न्यूज वाणी ब्यूरो शोएब खान

 

दुर्गावती/कैमूर ज़िला के स्थानीय प्रखण्ड में आज रविवार को दुर्गावती में विहंगम योग के अध्यात्म के शिखर पुरुष सद्गुरु सदाफल देव की 136 जयंती धूमधाम से मनाई गई जिसमें दुर्गावती प्रखंड के तथा आसपास के प्रखंडों से भारी मात्रा में गुरु भाई गुरु बहनों ने भाग लिया। सर्वप्रथम सद्गुरु सदाफल देव के तैल चित्रों पर माल्यार्पण कर कार्य क्रम का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर उपस्थित वक्ताओं ने सतगुरु देव सदाफल देव की जीवनी पर विस्तार से चर्चा की और कहां की यह ज्ञान विश्व के 65 देश में जा चुका है इस ज्ञान के द्वारा मानव के चरित्र का विकास और आध्यात्मिक जीवन का निर्माण होता है। सद्गुरु सदाफल देव ने 17 बरस की कठोर साधना करके इस ज्ञान को अपने अंदर उतारा है जिस ज्ञान के द्वारा लाखों गुरु भाई और गुरु बहनों के जीवन में सुधार हुआ है। अध्यात्म के बिना यह जीवन अधूरा है और जिस व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिक ज्ञान और ऊर्जा नहीं है उसका जीवन पशु के समान है। आजकल अध्यात्म के ऊपर तमाम तरह की टिप्पणियां हो रही है लेकिन वास्तव में आध्यात्मिक ज्ञान का एक अंश भी भी ज्ञान उन लोगों को नहीं है जो अध्यात्म पर टिप्पणी कर रहे हैं। अध्यात्म आत्मा और परमात्मा के मिलन का नाम है।अध्यात्म का विज्ञान मन और प्राण को शुद्ध करना अपने मूल कारण में विलीन कर उसकी अनुभूति करने का नाम है। जब आत्मा अपने मूल रूप में आती है तो अध्यात्म की अनेक घटनाएं साधक के अंदर घटती हैं जिसका वह प्रत्यक्ष अनुभूति करता है। वास्तव में जिन व्यक्तियों के पास आध्यात्मिक ऊर्जा होगी उनके जीवन के रहन-सहन बोलचाल की सारी शैलियों में परिवर्तन निश्चित रूप से देखने को मिलेगा। अध्यात्म की व्याख्या कोई भी व्यक्ति बिना साधना की धरातल पर प्रकट किया यदि करता है तो वह मिथ्या है। कार्यक्रम की अध्यक्षता विहंगम योग के जिला सचिव प्रेमचंद जय सवाल तथा संचालन सत्येंद्र कुमार युवा संगठन मंत्री कर रहे थे। इस अवसर पर उपस्थित सासाराम कैमूर के प्रभारी मंगला प्रसाद चौधरी अनुमंडल संयोजक पारसनाथ शर्मा उपदेष्टा रमेश सिंह जयप्रकाश सिंह संतोष चौधरी केश लाल पांडे के तथा प्रखंड प्रभारी बुधीराम वीरेंद्र शाह सेवा प्रभारी पत्रिका प्रभारी माराछु जी भोला सहित तमाम पदाधिकारी मौजूद थे। भक्ति और प्रवचन तथा भजन से पूरा वातावरण भक्ति में देखने को मिला। भक्ति हीन मनुष्य का जीवन वैसे ही है जैसे नमक के बिना व्यंजन भक्ति हिन जीवन पशु के समान व्यतीत होता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.