रूस जंग के लिए स्कूली बच्चों को तैयार कर रहा: बम फेंकना और हथियार चलाने जैसी सीख दे रहा देश

 

 

विदेश के शहर रूस जंग के लिए बच्चों को तैयार कर रहा है। CNN के मुताबिक, ब्लैक सी के आस-पास वाले इलाकों के स्कूलों में बच्चों को बम फेंकना और हथियार चलाना सिखाया जा रहा है। उन्हें देश की मिट्टी की रक्षा करने की सीख दी जा रही है। सिलेबस में भी बदलाव किए गए हैं। अगस्त 2023 में रूसी सरकार ने बच्चों के लिए नई हिस्ट्री बुक रिलीज की थी। इसमें यूक्रेन पर हमले को सही ठहराया गया है। रूस-यूक्रेन जंग छिड़ने के बाद से रूस के पब्लिक स्कूलों का सैन्यीकरण बढ़ा है।

 

 

CNN के मुताबिक, 7-8 साल के बच्चों को बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग दी जा रही है। इनमें उन्हें ऑटोमेटिक गन चलाना, मशीन गन को असेंबल करना और किसी तरह की बाधा को पार करना सिखाया जा रहा है। स्कूलों में रोजाना मॉक ड्रिल करवाई जा रही हैं। कई स्कूलों में बच्चों को आर्मी और नेवी की यूनिफॉर्म में परेड करवाई जा रही है। जंग शुरू होने के बाद एक ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन ने आरोप लगाया था कि रूस 16 साल के बच्चों को सेना में भर्ती कर रहा है। एक अधिकारी ने कहा था- क्रेमलिन पूर्वी यूक्रेन में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाने के लिए मासूम बच्चों की भर्ती का सहारा ले रहा है।

 

 

रूसी सैनिकों ने यूक्रेन पर 24 फरवरी 2022 को हमला कर दिया था। इसके पीछे व्लादिमिर पुतिन का मकसद एक ही था- यूक्रेन पर कब्जा। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को ये मंजूर नहीं था, लिहाजा आज 579 दिनों बाद भी ये जंग जारी है।

रूस हमेशा से ही इस हमले को ‘स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन’ कहता आया है। यही बात वो बच्चों को पढ़ा रहा है। सरकार बच्चों के मन में देशभक्ति की भावना जगाना चाहती है। इसके लिए सरकार ने अगस्त 2023 में 5 महीने में लिखी हिस्ट्री बुक सिलेबस में ऐड कर दी थी। किताब में लिखा है कि यूक्रेन में डिमिलिटराइजेशन और डीनाजीफिकेशन की जरूरत थी। शिक्षा मंत्री सेर्गेय क्रासवतोव ने कहा था- किताब का मकसद स्कूली बच्चों को डीमिलिटराइजेशन और डीनाजिफिकेशन का मतलब समझाना है। ऐसा इलाका जहां फौज की मौजूदगी नहीं होती या वहां अमन की वजह से सेना की जरूरत नहीं होती उसे डिमिलिटराइज जोन या एरिया भी कहते हैं।

 

 

वहीं, डीनाजीफिकेशन का मतलब होता है कि हिटलर की लोगों को दबाने की जो मानसिकता थी, उसके उलट लोगों को आजादी देना, ताकि वो खुद को सही मायनों में आजाद महसूस कर सकें। उन्हें किसी बात का डर न हो। वो अपनी विचारधारा के हिसाब से फैसले ले सकें।

शिक्षा मंत्री सेर्गेय क्रासवतोव ने कहा था- नई किताब के जरिए 11वीं क्लास में पढ़ने वाले स्कूली बच्चों को यूक्रेन पर किए गए रूस के मिलिट्री ऑपरेशन के मकसद के बारे में बताया जाएगा। उनका कहना है कि यूक्रेन पर उनकी जीत के बाद किताब में उन अध्यायों को भी जोड़ दिया जाएगा।

 

 

इस बुक में 2014 में रूस के क्रीमिया पर किए गए कब्जे का भी जिक्र है। क्रीमिया पर हुए रूसी कब्जे को इलाके में शांति स्थापित करने के तौर पर बताया गया है। इसमें कहा गया है कि रूसी सैनिकों ने क्रीमिया में शांति स्थापित की है।

वहीं, पुतिन के सहयोगी व्लादिमिर मेदिन्स्की ने किताब और लेखक की तारीफ करते हुए कहा- हमारे देश के इतिहास में इतनी तेजी से कोई किताब नहीं लिखी गई है। उन्होंने कहा- लेखक ने काफी प्रैक्टिकली इस किताब को लिखा है। इसमें रूस के पॉइंट ऑफ व्यू को समझाया गया है।

 

 

 

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